दुनिया देखती रही और आपस की इस लड़ाई ने हमें बना दिया बादशाह!
[शिवम् अवस्थी], नई दिल्ली। 'जरूरी नहीं कि दो-चार हाथ मिलने से ही कठिन रास्ते पिघलते हैं, कभी-कभी दो पत्थरों की टक्कर भी शोले पैदा करने का दम रखती है'..यह शब्द आज भारतीय क्रिकेट पर बिल्कुल फिट बैठते नजर आते हैं। एक दौर था जब रुतबे और पहुंच के दम पर खिलाड़ी टीम में जमे रहते थे और नई प्रतिभा के टीम में जल्दी-जल्दी ना आने से भारतीय क्रिकेट एक शांत झील-सा दिखने लगा था, जहां गहराई तो थी, लेकिन बहाव नहीं। आज टीम हर फॉर्मेट में जिस तेजी से बादशाहत पर पहुंच रही है उसका
[शिवम् अवस्थी], नई दिल्ली। 'जरूरी नहीं कि दो-चार हाथ मिलने से ही कठिन रास्ते पिघलते हैं, कभी-कभी दो पत्थरों की टक्कर भी शोले पैदा करने का दम रखती है'..यह शब्द आज भारतीय क्रिकेट पर बिल्कुल फिट बैठते नजर आते हैं। एक दौर था जब रुतबे और पहुंच के दम पर खिलाड़ी टीम में जमे रहते थे और नई प्रतिभा के टीम में जल्दी-जल्दी ना आने से भारतीय क्रिकेट एक शांत झील-सा दिखने लगा था, जहां गहराई तो थी, लेकिन बहाव नहीं। आज टीम हर फॉर्मेट में जिस तेजी से बादशाहत पर पहुंच रही है उसका कारण सिर्फ और सिर्फ एक ही है, प्रतिद्वंद्विता, वह भी आपस में।
महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में टीम टी20 चैंपियन बनी, फिर पहली बार टेस्ट में बादशाहत हासिल की और फिर वनडे चैंपियन भी बने जो आज भी बरकरार है..लेकिन इसका श्रेय सिर्फ धौनी को नहीं जाता है, यह नतीजा है टीम में लगातार होते बदलावों का जिसमें जाहिर तौर पर कप्तान का भी अहम योगदान रहा। अब तक मैदान के बाहर जिन प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की लाइन लगी थी वह टीम के अंदर आने लगे, कुछ ने पैर जमाए और कुछ फुस्स भी हुए लेकिन एक संदेश साफ हो गया कि, जो खेलेगा...वही खेलेगा। आपस की इसी टक्कर, इसी प्रतिद्वंद्विता ने भारतीय क्रिकेट की इस शांत झील को बहाव दिया और आज हम चैंपियन हैं।
1. बल्लेबाजों की जंग:
पहले सचिन और सहवाग, या फिर सहवाग और गंभीर..यही वह सलामी जोड़ियां हैं जो हमें मैदान पर नजर आती थीं, इनका रुतबा इतना मजबूत हो चुका था कि खराब फॉर्म के बावजूद कई बार टीम इन्हें मजबूरी में ढोती जा रही थी, नतीजतन खराब नतीजे सामने आने लगे, लेकिन जब धौनी व चयनकर्ताओं ने इस प्रथा को बदलने का दम भरा तो प्रयोग करने की हरी झंडी मिली और इसी हरी झंडी के दम पर आज टेस्ट में जहां पुजारा और शिखर धवन ओपनिंग का जिम्मा बखूबी संभालने में सक्षम हैं, वहीं वनडे में शिखर धवन और रोहित शर्मा की सलामी जोड़ी ने हाल की चैंपियंस ट्रॉफी में हमें चैंपियन बनाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा मिडिल ऑर्डर में भी धौनी ने कई बार उथल-पुथल की और नतीजे सामने आने लगे। जब युवराज फॉर्म से बाहर हुए तभी विराट को मौका मिला और हमें एक शानदार बल्लेबाज मिला और अब विराट के सामने भी चुनौती है कि वह अपनी जगह टीम में बरकरार रखें क्योंकि बाहर प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की लाइन अब भी मौजूद है जो उनके खराब फॉर्म पर उन्हें हटाने का दम रखती है।
2. गेंदबाजों की जंग:
आज टीम में भुवनेश्वर कुमार, उमेश यादव, शमी अहमद, रविचंद्रन अश्विन मोहित शर्मा जैसे कुछ ऐसे गेंदबाजों को आगे आने का मौका मिला है जो कभी जहीर, नेहरा, प्रवीण और भज्जी जैसे गेंदबाजों द्वारा टीम में जमाई गई बर्फ को तोड़ ही नहीं पा रहे थे। पुराने दिग्गज खराब फॉर्म और फिटनेस के बावजूद टिके थे और युवा खिलाड़ी घरेलू क्रिकेट में अपनी प्रतिभा को धूल लगने देने पर मजबूर थे। फिर हवा चली, और टीम में युवा गेंदबाजों की फेहरिस्त ने कदम बढ़ाए और ऐसे कदम बढ़ाए जिसने दिग्गजों की कुर्सी खतरे में डाल दी। इससे ना सिर्फ टीम को शानदार युवा मिश्रण मिला बल्कि ढीले होते जा रहे दिग्गजों को भी संदेश मिल गया कि वह पहले अपने खेल को सुधारें और फिर टीम में जगह हासिल करें। युवी और इरफान की जगह जहां हमें रवींद्र जडेजा जैसा ऐसा ऑलराउंडर मिला जिसने चैंपियंस ट्रॉफी में सर्वाधिक विकेट बटोर कर टीम को चैंपियन बनने में मदद की, वहीं जहीर को पटखनी देने वाले भुवनेश्वर ने वेस्टइंडीज की कठिन पिचों पर भी मैन ऑफ द सीरीज का खिताब जीतकर इस आपस की टक्कर को और रोचक व दिलचस्प बना दिया।
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