बीसीसीआइ में हुए यौन शोषण की जांच पहले क्यों नहीं हुई?
इस वर्ष फरवरी में बोर्ड के एक अधिकारी पर साथ काम करने वाली महिला कर्मचारी ने आरोप लगाए थे। उसकी जांच नहीं की गई थी।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) भले ही अब बीसीसीआइ के सीईओ राहुल जौहरी पर लगे हालिया आरोपों पर उनसे जवाब मांग रही है लेकिन जब इस साल फरवरी में बोर्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी पर उसी के साथ काम करने वाली कर्मचारी ने आरोप लगाए थे तो उसकी जांच तक नहीं की गई थी। बोर्ड के अंदर तो यह सवाल सुलग ही रहे हैं, बाहर भी इसको लेकर जवाब मांगे जा रहे हैं।
दैनिक जागरण ने बीसीसीआइ और आइसीसी के पूर्व अध्यक्ष के हवाले से छह अक्टूबर को खबर छापी थी कि बीसीसीआइ के संबंधित अधिकारी की जांच होनी चाहिए और उसके खिलाफ केस दर्ज किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआइ में भ्रष्टाचार और सुधार मामले की चल रही सुनवाई के मुख्य याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि बोर्ड के सीईओ के खिलाफ उनकी पूर्व साथी ने गंभीर आरोप लगाए हैं, उसकी तो जांच होनी ही चाहिए लेकिन एक महिला कर्मचारी ने वर्तमान में कार्यरत बीसीसीआइ के अधिकारी पर जो आरोप लगाए थे उसकी जांच अब तक क्यों नहीं हुई? वर्मा ने कहा कि यह मामला इस साल 12 फरवरी से पांच मार्च के बीच बोर्ड के अंदर सुर्खियों में रहा। सीओए प्रमुख के हस्तक्षेप के बाद इसे दबा दिया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि एक उच्च स्तरीय समिति बनाकर उसकी भी जांच की जानी चहिए। बिहार क्रिकेट संघ के पूर्व मीडिया प्रभारी संजीव कुमार मिश्र ने भी कहा कि इस मामले की जांच जरूरी है।
बीसीसीआइ और आइसीसी के पूर्व अध्यक्ष रह चुके एक क्रिकेट प्रशासक ने दैनिक जागरण से कहा कि सभी को पता है कि बोर्ड के अंदर क्या हुआ लेकिन उस मामले को दबा दिया गया। राहुल जौहरी के डिस्कवरी नेटवर्क के कार्यकाल के लिए सीओए उनसे जवाब मांग रहा है लेकिन उस पदाधिकारी से अब तक जवाब नहीं मांगा गया जिसने बीसीसीआइ में रहते हुए गलत काम किया। उस मामले की जांच तक नहीं की गई बल्कि उसे छुपाने का काम किया गया। इस मसले पर सीओए ने चुप्पी साधी हुई है और आरोपी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। अगर पहले की तरह मैं बोर्ड अध्यक्ष होता तो तत्काल उस अधिकारी को निलंबित करता और केस दर्ज कराता। बीसीसीआइ के एंटी करप्शन यूनिट (एसीयू) के पूर्व प्रमुख और दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार ने पहले ही दैनिक जागरण से बातचीत के दौरान उस घटना की जानकारी को स्वीकारा था। उन्होंने कहा था कि जब मैं एसीयू में था तो मुझे उस बात की जानकारी थी। उन्होंने संबंधित लोगों को इसकी जांच कराने का आग्रह भी किया था।