पिता थे अस्पताल में, फिर भी बनाने रहे रन, लेकिन..
रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड शतक (32) बनाने वाले वसीम जाफर का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मुकाबलों के लिए टीम इंडिया में चयन नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। जाफर ने टीम चयन के बाद एक बयान में कहा कि मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। मेरा काम रन बनाना है। बाकी काम चयनकर्ताओं का है।
मुंबई। रणजी ट्रॉफी में रिकॉर्ड शतक (32) बनाने वाले वसीम जाफर का ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पहले दो टेस्ट मुकाबलों के लिए टीम इंडिया में चयन नहीं हुआ है, लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। जाफर ने टीम चयन के बाद एक बयान में कहा कि मैंने उम्मीद नहीं छोड़ी है। मेरा काम रन बनाना है। बाकी काम चयनकर्ताओं का है।
हालांकि जाफर के चेहरे पर साफ-साफ निराशा झलक रही थी। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे आखिरी दो टेस्ट मुकाबलों के लिए टीम इंडिया में चयन को लेकर उम्मीद बरकरार रखे हुए हैं तो उन्होंने कहा कि मैं मौके पाने के लिए हमेशा से ही आशा करता आया हूं। मुंबई के इस बल्लेबाज ने हाल के रणजी ट्रॉफी मुकाबले में जबरदस्त प्रदर्शन किया।
जाफर ने 7 रणजी मुकाबलों में 835 रन बनाए, जिसमें दो शतक शामिल हैं। रणजी ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में इस जांबाज ने शानदार शतक जड़कर मुंबई की 40वीं जीत में अहम भूमिका निभाई थी। जाफर जब रणजी ट्रॉफी खेल रहे थे, तब उनके पिता अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझ रहे थे। इसके बावजूद उन्होंने शानदार पारी खेली। रणजी ट्रॉफी के अलावा जाफर ने ईरानी ट्रॉफी की पहली पारी में 80 रन और दूसरी पारी में नाबाद 101 रन बनाए थे। इसके बाद वे खुद के चयन की उम्मीदें करने लगे थे, लेकिन चयनकर्ताओं ने पहले दो टेस्ट के लिए उन्हें मौका नहीं दिया।
इस मामले पर जाफर ने कहा कि वे आशावान थे। वे लगातार रन बना रहे हैं। उनकी फिटनेस भी जबरदस्त है। उन्होंने कहा कि मैं ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बेहतर करने के लिए आत्मविश्वास से भरा हुआ हूं। अगर मुझे दोबारा मौका मिलता है तो मैं अच्छा स्कोर बनाऊंगा। गौरतलब है कि जाफर ने अंतिम टेस्ट मुकाबला अप्रैल, 2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। उसके बाद से टीम इंडिया में उनकी वापसी नहीं हो सकी है।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर