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कोरोना के दौरान खिलाड़ियों ने अपने इरादों को किया मजबूत, अब नए साल में धमाल को हैं तैयार

खेल इंसान को जिंदादिल बनाकर रखता है। विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण के दौरान भी खेलों ने सभी के जीवन को रोमांचक और गतिशील बनाए रखा। आंतरिक खोज को ध्यान में रखते हुए खिलाड़ियों ने भारत को ही नहीं संपूर्ण संसार को घनघोर अंधेरे के बीच उजाला लेकर आए...

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Sat, 02 Jan 2021 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 02 Jan 2021 06:33 PM (IST)
कोरोना के दौरान खिलाड़ियों ने अपने इरादों को किया मजबूत, अब नए साल में धमाल को हैं तैयार
कोरोना के इस मुश्किल दौर ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है।

अभिषेक त्रिपाठी। ‘अब तो इस तालाब का पानी बदल दो ये कंवल के फूल कुम्हलाने लगे हैं’ दुष्यंत कुमार की ये लाइनें 2020 और 2021 पर खूब फबती हैं। पिछले साल कोविड-19 ने खेल और खिलाड़ियों को ही नहीं पूरी दुनिया को जकड़ लिया, लेकिन सबने किसी न किसी तरह से अपने आप को उस जकड़न से मुक्त करा लिया। एक समय ऐसा भी आया जब पूरी दुनिया के स्टेडियम सूने हो गए, खिलाड़ी घरों में कैद होने को मजबूर हो गए। खेलों के महाकुंभ ओलंपिक समेत दुनियाभर में तमाम बड़े आयोजनों को स्थगित करना पड़ा। खिलाड़ियों में नकारात्मकता का माहौल बढ़ने लगा, लेकिन सबने अंतर्मन में झांका और आंतरिक खोज के जरिए खुद में ऊर्जा का संचार करते हुए नए रूप में सामने आए।

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बदल गया खेलों का दौर : कोरोना वायरस के प्रकोप ने यूरोप की फुटबॉल लीगों, अमेरिका की सबसे बड़ी बास्केटबॉल लीग एनबीए, इंग्लैंड में होने वाले टेनिस ग्रैंडस्लैम, भारत में होने वाली क्रिकेट सीरीज, ऑस्ट्रेलिया में होने वाले टी-20 विश्व कप और जापान में होने वाले ओलंपिक खेलों को स्थगित करने पर मजबूर कर दिया। इन विपरीत परिस्थितियों में भी खेल और खिलाड़ी कहां हार मानने वाले थे... जहां खिलाड़ियों ने उस समय को परिवार के साथ बिताने में, अपने पसंदीदा शौक को पूरा करने में बिताया तो वहीं आयोजकों ने जल्द खेल शुरू करने के तरीके खोजने में अपना दिमाग लगाया।

कुछ समय बाद दोनों ने ही सफलता पाई और यही कारण है कि अब दुनियाभर में आधे से ज्यादा खेल शुरू हो गए हैं और इस वर्ष बाकी भी शुरू हो जाएंगे। सकारात्मकता पाने पर रहा जोर लॉकडाउन में जब पूरी दुनिया घरों में कैद थी तो कई खिलाड़ी खाना बनाने का शौक पूरा कर रहे थे तो कइयों ने ऑनलाइन कोर्स कर डाले। भारत की शीर्ष महिला निशानेबाज मनु भाकर ने खाली समय में घुड़सवारी सीखी। वह गांव में गाय का दूध दळ्हते हुए भी नजर आईं। भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना परिवार के लिए चिकन बनाते हुए देखे गए तो निशानेबाज अंजुम मोदगिल ने अपने पेंटिंग के शौक को आगे बढ़ाया।

समय का सही इस्तेमाल : खिलाड़ी हर मुश्किल परिस्थिति का सामना करने में अव्वल होता है। इस बार भी जब सबसे मुश्किल परिस्थिति थी तो खिलाड़ी पीछे नहीं हटे। खिलाड़ियों का जिम जाना बंद हो गया था। घर से बाहर निकलना भी पूरी तरह से बंद था ऐसे में कई खिलाड़ियों ने घर में ही जुगाड़ करके जिम तैयार कर लिया। फिर चाहे ईंट की मदद से बनाए गए डंबल हों या सिलेंडर का उपयोग करके खुद को फिट रखना हो। पी वी सिंधू और साइना नेहवाल जैसी देश की शीर्ष बैडमिंटन खिलाड़ी ने योग का सहारा लेकर खुद को निखारा। अभ्यास में भी पीछे नहीं रहे खिलाड़ी यह ऐसा भी समय था जब खिलाड़ियों को अपने गांव में लंबे समय तक समय बिताने का मौका मिल गया।

भारतीय तेज गेंदबाज मुहम्मद शमी इसके सबसे बड़े उदाहरण हैं। शमी ने उत्तर प्रदेश के अमरोहा के अपने गांव में बने फार्म हाउस में रहना शुरू किया और वहां पर ही विकेट बनाकर सुबह-शाम अभ्यास शुरू कर दिया। उन्होंने अपने भाई के संग पिच तैयार की और फिर पूरी लगन से खुद को आइपीएल के लिए तैयार किया। इसका असर आइपीएल में दिखा भी। दूसरे गेंदबाजों से ज्यादा शमी अपनी गेंदबाजी में फिट नजर आ रहे थे। दूसरी ओर रैना ने गाजियाबाद के मोरटी गांव के पास अपने साथियों संग अभ्यास शुरू किया। इस दौरान रिषभ पंत ने भी उनके साथ जाकर अभ्यास किया।

परिवार संग समय बिताया : कोरोना काल खिलाड़ियों के लिए कुछ अच्छी चीजें लेकर आया। अधिकतर बड़े खिलाड़ी ज्यादा समय तक देश से बाहर परिवार से दूर रहते हैं, लेकिन यह पहला मौका था जब उन्हें इतना समय परिवार के साथ बिताने को मिला। खासतौर पर लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पूरा समय परिवार के साथ बिताया। भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा और विराट कोहली मुंबई स्थित फ्लैट में अपने परिवार के साथ रहे। लॉकडाउन में वे नीचे भी नहीं उतर सकते थे। ऐसे में विराट छत पर पत्नी अनुष्का के साथ क्रिकेट खेलते नजर आए जबकि रोहित बेटी के साथ खेलते हुए नजर आए।

बहुत महत्वपूर्ण है यह साल : 2020 खेलों के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, लेकिन 2021 ने उसकी जगह ले ली है। पिछले साल होने वाला क्रिकेट विश्व कप इस साल भारत में और ओलंपिक खेल जापान में होने हैं। वैक्सीन से खिलाड़ियों और आयोजकों को बहुत आस है क्योंकि उसी की बदौलत बहुद्देशीय खेलों के आयोजन की उम्मीद की जा रही है, लेकिन इतना तय है कि पिछले वर्ष से खिलाड़ियों ने जो सीखा है उसकी बदौलत वे इस वर्ष अपना सर्वश्रेष्ठ देने में पीछे नहीं रहेंगे, क्योंकि कोरोना के इस मुश्किल दौर ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया है।


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