फील्डिंग में सुधार के लिए इस नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है टीम इंडिया
भारतीय टीम अपनी फील्डिंग में सुधार के लिए नई तकनीक का इस्तेमाल कर रही है।
हैमिल्टन। क्षेत्ररक्षण कोच आर श्रीधर ने कहा कि रीएक्शन टाइम में सुधार के लिए 'ब्लाइंडफोल्ड तकनीक', तेज हवा में गेंद की बदलती दिशा के अनुमान के लिए विभिन्न वजन की गेंदें और स्लिप कैचिंग के लिए सिमुलेशन मशीन का इस्तेमाल, जैसी चीजों ने भारतीय टीम की कैचिंग में काफी सुधार किया है। 'ब्लाइंडफोल्ड तकनीक' का इस्तेमाल विशेष तौर पर इंग्लैंड में लाल गेंद की क्रिकेट के लिए किया गया, जबकि 'टीममेट' नाम की सिमुलेशन मशीन का उपयोग ऑस्ट्रेलिया में स्लिप कैचिंग के लिए किया गया।
'ब्लाइंडफोल्ड तकनीक' के बारे में श्रीधर ने बताया, 'गेंद फेंकने वाला पर्दे के पीछे होता है और कैच करने वाले को पता नहीं होता कि गेंद कहां से आने वाली है। हम इसे पर्दे के नीचे से फेंकते हैं। इससे रीएक्शन टाइम में सुधार होता है। इंग्लैड में पूरी टेस्ट सीरीज में हमने ऐसा किया। यह विशेष रूप से लाल गेंद की क्रिकेट के लिए था।' अब न्यूजीलैंड के खिलाफ वनडे मैचों के दौरान विभिन्न वजन की गेंदों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे कि खिलाडि़यों को हवा में ऊंची उठी गेंदों के लिए तैयार किया जा सके, क्योंकि तेज हवा के कारण गेंद की दिशा बदलने का खतरा रहता है। श्रीधर ने कहा, 'स्लिप कैचिंग के लिए हम अलग तरह की मशीन 'टीममेट' लाए। हमने ब्लाइंडफोल्ड और रीएक्शन पर काफी काम किया। जब हम ऑस्ट्रेलिया पहुंचे तो हमें काफी अनुभव था और आप देख सकते हैं कि विराट ने कुछ शानदार कैच लपके।'