क्रिकेटर हार्दिक पांड्या व लोकेश राहुल का बैन हुआ खत्म, सीओए ने लिया फैसला
पांड्या व राहुल पर लगा बैन खत्म कर दिया गया है।
नई दिल्ली, पेट्र। भारतीय क्रिकेट टीम के खिलाड़ी हार्दिक पांड्या और केएल राहुल पर टेलीविजन कार्यक्रम में महिलाओं पर आपत्तिजनक टिप्पणियां करने के मामले में प्रशासकों की समिति (सीओए) ने निलंबन खत्म कर दिया। हालांकि दोनों के खिलाफ जांच चलती रहेगी।इससे पहले सीओए प्रमुख विनोद राय ने कहा था कि बीसीसीआइ को दोनों खिलाडि़यों के करियर को खतरे में डालने की जगह उनमें सुधार करने पर ध्यान देना चाहिए। बीसीसीआइ के कार्यवाहक अध्यक्ष सीके खन्ना ने भी इससे पहले कहा था कि दोनों पर से निलंबन हट जाना चाहिए और जांच चलती रहनी चाहिए। हालांकि दोनों खिलाडि़यों के बिना शर्त माफी मांगने के बावजूद भी बीसीसीआइ की 10 इकाइयों ने इस मामले की जांच के लिए लोकपाल नियुक्त करने के लिए विशेष आम बैठक बुलाने की मांग की थी।
टीवी शो कॉफी विद करण के दौरान हार्दिक पांड्या की टिप्पणियों की काफी आलोचना हुई थी और इन्हें सेक्सिस्ट करार किया गया। पांड्या ने बाद में माफी मांगी थी। उन्होंने कहा था कि वह शो के हिसाब से भावनाओं में बह गए थे। इस शो में राहुल भी पांड्या के साथ थे। शो पर पांड्या ने कई महिलाओं से अपने संबंधों को बढ़ा-चढ़ाकर बताया था और यह भी कहा था कि वह अपने माता-पिता से भी इसके बारे में काफी खुले हुए हैं।सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त सीओए की ओर से पांड्या और राहुल को उनकी टिप्पणियों के लिए कारण बताओ नोटिस भेजा गया था और स्पष्टीकरण के लिए 24 घंटे का समय दिया था। टीवी शो महिलाओं के खिलाफ अनुचित टिप्पणी के बाद सीओए प्रमुख विनोद राय ने दोनों खिलाडि़यों पर दो मैचों के प्रतिबंध की सिफारिश की थी।
सीओए की एक अन्य सदस्य इडुल्जी ने शुरुआत में इन दोनों को दो मैचों के लिए निलंबित करने का सुझाव दिया था लेकिन बाद में इस मामले को कानूनी विभाग के पास भेज दिया था। सीओए सदस्य डायना इडुल्जी ने भारतीय खिलाडि़यों पांड्या और लोकेश राहुल के खिलाफ आगे की कार्रवाई तक निलंबन की सिफारिश की थी, क्योंकि बीसीसीआइ की कानूनी टीम ने महिलाओं पर इनकी विवादास्पद टिप्पणी को आचार संहिता का उल्लंघन घोषित करने से मना कर दिया था। कानूनी टीम से राय लेने के बाद इडुल्जी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा था कि यह जरूरी है कि दुर्व्यवहार पर कार्रवाई का फैसला लिए जाने तक दोनों खिलाडि़यों को निलंबित रखा जाए जैसा कि (बीसीसीआइ सीईओ राहुल जौहरी के मामले में किया गया था जब यौन उत्पीड़न के मामले में उन्हें छुट्टी पर भेजा गया था। बोर्ड की विधि कंपनी सिरिल अमरचंद मंगलदास की सिफारिशों के जवाब में इडुल्जी ने लिखा कि कानूनी राय के आधार पर और इस मुद्दे से निपटने के लिए अंतिम प्रक्रिया तय होने तक, सिफारिश की जाती है कि संभावित खिलाडि़यों और टीम को तुरंत यह सूचना भेजी जाए।
विधि फर्म ने स्पष्ट किया है कि पांड्या की अनुचित टिप्पणियां आचार संहिता के दायरे में नहीं आती। विधिक राय के अनुसार, 'हमारा मानना है कि मौजूदा मामला आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में नहीं आता और मौजूदा हालात में आचार संहिता की प्रक्रिया को लागू नहीं किया जा सकता। बीसीसीआइ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इडुल्जी के नजरिये का समर्थन करते हुए कहा था कि जांच लंबित रहने तक निलंबन होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह आचार संहिता का मामला नहीं बल्कि संस्थान की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना है। जैसे कि आइसीसी ने गेंद से छेड़छाड़ के आरोपों में अपनी आचार संहिता के तहत स्टीव स्मिथ पर एक मैच का प्रतिबंध लगाया था।