बोर्ड के कदम से श्रीनिवासन को फायदा
भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट में अर्जी देकर चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की करतूतों को उजागर कर रहा है तो दूसरी ओर उसका मालिकाना हक रखने वाली कंपनी इंडिया सीमेंट्स के मुखिया एन श्रीनिवासन के भाग लेने के लिए बोर्ड की वार्षिक
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) एक तरफ सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट में अर्जी देकर चेन्नई सुपर किंग्स (सीएसके) की करतूतों को उजागर कर रहा है तो दूसरी ओर उसका मालिकाना हक रखने वाली कंपनी इंडिया सीमेंट्स के मुखिया एन श्रीनिवासन के भाग लेने के लिए बोर्ड की वार्षिक आम सभा (एजीएम) को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया है।
बीसीसीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके यह पूछा है कि क्या श्रीनिवासन बोर्ड बैठकों में भाग ले सकते हैं? हालांकि इसी याचिका में उसने कहा है कि सीएसके की कुल कीमत 1140 करोड़ है और श्रीनि ने उसे ट्रस्ट को आठ करोड़ रुपये में हस्तांतरित कर दिया है। इसमें यह भी लिखा है कि श्रीनि लगातार विरोधाभासी काम कर रहे हैं और उन्हें बीसीसीआइ की बैठकों में शामिल करना अदालत की अवमानना हो सकता है।
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव और आइपीएल स्पॉट फिक्सिंग मामले में याचिकाकर्ता आदित्य वर्मा ने कहा कि एक तरफ बीसीसीआइ सुप्रीम कोर्ट और मद्रास हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल करके सच बोल रही है तो एजीएम स्थगित करके उन्हें अतिरिक्त समय क्यों दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह जनता की नजर में धूल झोंकने की तरह है। सुप्रीम कोर्ट अपने इस साल के 22 जनवरी और 23 फरवरी के फैसले में तमिलनाडु क्रिकेट संघ (टीएनसीए) को कह चुका है कि श्रीनि बोर्ड बैठक में भाग नहीं ले सकते। श्रीनि ने भी इसको लेकर कोर्ट में माफी मांगी थी। इसके बावजूद बीसीसीआइ के पदाधिकारी श्रीनि के बोर्ड बैठक में भाग लेने के लिए स्पष्टीकरण को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। एक आदमी बीसीसीआइ को बंधक नहीं बना सकता। यह किसी के बाप की बपौती नहीं है। बीसीसीआइ सीधे टीएनसीए को कह सकता था कि उसके प्रतिनिधि के तौर पर अगर श्रीनि आते हैं तो उसे प्रतिबंधित कर दिया जाएगा, लेकिन कोलकाता में एक्जक्यूटिव कमेटी की बैठक को स्थगित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि हलफनामे को देखते हुए लगता है कि दिसंबर से पहले एजीएम होना मुश्किल है और इसका सीधा मतलब है कि सीएसके का करार रद होने से बचाने के लिए श्रीनिवासन को दिसंबर तक का समय मिल गया। इतने समय में वह कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं। अगर पिछले महीने कोलकाता में बैठक हो जाती तो शायद सीएसके और राजस्थान रॉयल्स का आइपीएल करार रद हो जाता, लेकिन टीएनसीए को नोटिस देने और उसे प्रतिबंधित करने के बजाय श्रीनि के डर से बैठक को ही रद कर दिया गया। कुल मिलाकर इससे श्रीनिवासन को ही फायदा मिल रहा है।