Sally Barton: 66 साल की उम्र में इस महिला ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू कर रचा इतिहास, रिकॉर्ड्स बुक हुई तितर-बितर
66 साल की सैली बार्टन ने जिब्राटर की तरफ से इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया है। इस दौरान उन्होंने पुर्तगाल के अकबर सैयद का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जब उन्होंने 66 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। सैली बार्टन ने इस दौरान इतिहास रच दिया और रिकॉर्ड्स बुक को तितर-बितर किया। सैली ने अकबर सैयद का रिकॉर्ड धराशायी किया जो उन्होंने साल 2012 में बनाया था।
स्पोर्ट्स डेस्क,नई दिल्ली। क्रिकेट को अनिश्चितताओं का खेल कहा जाता है, क्योंकि यहां कब क्या हो जाए किसी को भी इसके बारे में जानकारी नहीं होती। क्रिकेट में कुछ ऐसा अनोखा अक्सर होता रहता है, जिससे हर कोई हैरान रह जाता है।
हाल ही में 66 साल की एक महिला ने जिब्राटर की तरफ से इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया है। इस्टोनिया के खिलाफ जिब्राटर ने इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू कर इतिहास रच दिया। उस महिला का नाम सैली बार्टन हैं, जिन्होंने जिब्राल्टर की तरफ से अपना पहला क्रिकेट मैच खेला, जिसके बाद रिकॉर्ड्स बुक तितर-बितर हो गई है।
Sally Barton ने 66 साल की उम्र में डेब्यू कर पुर्तगाल के अकबर सैय्यद का रिकॉर्ड तोड़ा
दरअसल, सैली बार्टन ने पुर्तगाल के अकबर सैयद का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। जब उन्होंने 66 साल की उम्र में इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू किया। सैली बार्टन ने इस दौरान इतिहास रच दिया और रिकॉर्ड्स बुक को तितर-बितर किया। सैली ने अकबर सैयद का रिकॉर्ड धराशायी किया, जो उन्होंने साल 2012 में बनाया था।
उस दौरान अकबर सैयद ने 66 साल और 12 दिन की उम्र में फिनलैंड के खिलाफ खेला था। तीन बच्चों की दादी सैली, महामारी के बाद सेवानिवृत्त होने से पहले लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में गणित की व्याख्याता भी थीं। दिलचस्प बात यह है कि वह जिब्राल्टर की सबसे उम्रदराज क्रिकेटर रोजलीन एन रीली से लगभग 20 साल बड़ी हैं, जिन्होंने अप्रैल में सैली के साथ खेला था।
सैली को मैच में बल्लेबाजी करने का मौका नहीं मिला, लेकिन स्टंप के पीछे वह तेज थीं, हालांकि उन्हें आउट करने का मौका नहीं मिला। जिब्राल्टर ने यह मैच 128 रनों से जीत लिया, जिसके बाद उन्होंने सीरीज 3-0 से जीत ली।
सैली बार्टन की अगर बात करें तो वह लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पॉलिटिकल साइंस डिपार्टमेंट में टीचर थीं। वो शुरु से ही क्रिकेट की शौकीन रही। अपनी स्कूलिंग के दौरान उन्होंने एसेक्स जूनियर और केंट इनविक्टा लेडीज के लिए खेला था। यहां तक कि नॉटिंघम यूनिवर्सिटी में मेंस थर्ड टीम के लिए उन्होंने विकेटकीपिंग भी की थी। इसके बाद वह एक दशक तक डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में रही, जिसकी वजह से उनके क्रिकेट करियर पर लगाम लग गया।