सचिन के गुरु रमाकांत आचरेकर का निधन, खेला था सिर्फ एक फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच
रमाकांत आचरेकर ने ही सचिन को निखारा और उन्हें इस काबिल बनाया कि वो दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार हुए।
मुंबई, एजेंसी। दुनिया के महान बल्लेबाजों में गिने जाने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर के गुरु रमाकांत आचरेकर का मुंबई में निधन हो गया। आचरेकर पिछले कुछ वक्त से बीमार चल रहे थे और उन्होंने 87 वर्ष की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। क्रिकेट में योगदान के लिए उन्हें द्रोणाचार्य व पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
आचरेकर मुंबई क्रिकेट टीम के सेलेक्टर भी थे। आचरेकर एक खिलाड़ी के तौर पर उतने सफल नहीं हुए जितना कि वो अपनी कोचिंग के लिए जाने गए। उन्होंने 1943 में क्रिकेट खेलना शुरू किया और 1945 में वो न्यू हिंद स्पोर्ट्स क्लब के लिए क्लब क्रिकेट खेले। उन्होंने यंग महाराष्ट्र इलेवन, गुल मोहर मिल्स व मुंबई पोर्ट के लिए भी खेला। उन्होंने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के लिए सिर्फ एक फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेला था। वर्ष 1963 में हैदराबाद के खिलाफ उन्होंने ये मैच खेला था।
रमाकांत आचरेकर ने अपनी देखरेख में भारतीय टीम को कई बेहतरीन क्रिकेटर दिए। इन क्रिकेटरों ने उनकी देखरेख में ही अपने खेल को निखारा और बुलंदियों को छूआ। इनमें सचिन तेंदुलकर, विनोद कांबली, प्रवीण आमरे, समीर दीघे, चंद्रकांत पंडित व बलविंदर सिंह संघू, अमोल मजूमदार व अजित अगरकर जैसे कई खिलाड़ी शामिल हैं। आचरेकर के लिए तो उनके सभी शिष्य प्यारे थे लेकिन सचिन से उन्हें खास लगाव था जो कई मौकों पर अक्सर दिखता रहा है। सचिन ने जो कमाल किया वो उनका कोई और शिष्य नहीं कर सका।
वर्ष 1932 में जन्मे आचरेकर ने सचिन को तराशने में अहम भूमिका निभाई थी। वो युवा क्रिकेटरों को दादर में मुंबई के शिवाजी पार्क में क्रिकेट के गुर सिखाते थे। क्रिकेट इतिहास के महानतम बल्लेबाजों में शुमार सचिन उनके सबके चहेते शिष्य थे। सचिन ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत 1989 में की थी और वो अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 100 शतक लगाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज बने थे। वनडे क्रिकेट में पहली बार दोहरा शतक लगाने वाले बल्लेबाज सचिन ही थे साथ ही वो दुनिया के पहले ऐसे बल्लेबाज थे जिन्होंने 200 टेस्ट मैच खेले थे।
अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 34357 रन बनाने वाले सचिन अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने गुरु को ही देते हैं। सचिन अपने व्यस्त कार्यक्रम के बीच भी हर टीचर्स डे पर अपने गुरु से मिलने जरूर जाते थे और उन्हें सम्मान देते थे। क्रिकेट में उनके बेहतरीन सहयोग को देखते हुए वर्ष 1990 में उन्हें द्रोणाचार्य अवार्ड से सम्मानित किया गया था और उसके बाद वर्ष 2010 में वो पद्म श्री से सम्मानित किए गए। वर्ष 2010 में ही उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।
सचिन के करियर को निखारने में उनका अहम योगदान रहा है। वो सचिन को अपने स्कूटर पर बिठाकर मुंबई में कई अलग-अलग जगहों पर मैच खिलाने ले जाते थे। आचरेकर ने सचिन की बल्लेबाजी निखारने के लिए एक प्रैक्टिस मैच का आयोजन किया था जिसमें सचिन को नंबर चार पर बल्लेबाजी करनी थी और इस मैच में सचिन को फील्डिंग नहीं करनी थी। आचरेकर का कहना था कि सचिन नंबर चार पर किस तरह से रन बना सकते इसका अनुभव देने के लिए उन्होंने ऐसा किया था। इस बात का खुलासा खुद आचरेकर ने ही किया था।