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सचिन तेंदुलकर ने बंद की अश्विन के आलोचकों की जुबान, ऐसे दिया करारा जवाब

अश्विन ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी के साथ-साथ आइपीएल में लेग स्पिन गेंदबाजी भी कर रहे हैं और ऐसा करने पर अश्विन की काफी आलोचना भी हो रही है।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Wed, 25 Apr 2018 01:00 PM (IST)Updated: Wed, 25 Apr 2018 01:17 PM (IST)
सचिन तेंदुलकर ने बंद की अश्विन के आलोचकों की जुबान, ऐसे दिया करारा जवाब
सचिन तेंदुलकर ने बंद की अश्विन के आलोचकों की जुबान, ऐसे दिया करारा जवाब

नई दिल्ली, जेएनएन। सीमित ओवर क्रिकेट में कलाई के स्पिनरों के बढ़ते दबदबे के बीच सचिन तेंदुलकर ने कहा कि लेग स्पिन गेंदबाजी करने वाला ऑफ स्पिनर बहुभाषी की तरह होता है। निश्चित तौर पर उनकी इस टिप्पणी से रविचंद्रन अश्विन का हौसला बढ़ेगा, जो सीमित ओवरों के प्रारूप में राष्ट्रीय टीम में वापसी करने के लिए कलाई से स्पिन कराने के कौशल को आजमा रहे हैं।

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इन दिनों अश्विन ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी के साथ-साथ आइपीएल में लेग स्पिन गेंदबाजी भी कर रहे हैं और ऐसा करने पर अश्विन की काफी आलोचना भी हो रही है। कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों का कहना है कि कलाई से स्पिन कराने की कोशिश में कहीं उनकी ऑफ स्पिन गेंदबाज़ी न खराब हो जाए। लेकिन मंगलवार को अपना 45वां जन्मदिन मनाने वाले तेंदुलकर ने कहा, ‘मुझे लगता है कि इससे सिर्फ मदद ही मिलेगी। यह इस तरह है कि आपको दो से तीन अलग-अलग भाषाएं आती हैं। अब पांच या छह अलग-अलग भाषाएं जानने में कोई समस्या नहीं है। इससे आपको कोई नुकसान नहीं होगा। यह अधिक विविधताएं खोजने की तरह ही है। यह कहना गलत होगा कि वे (अंगुली के स्पिनर) लेग स्पिन गेंदबाजी करके इस कड़ी में शामिल हो रहे हैं। इसकी जगह हमें ऐसे देखना चाहिए कि उन्होंने एक गेंद का विकास करने के लिए कोशिश की है।

मुझे लगता है कि यह लोगों की गलत सोच है कि ऑफ स्पिनर, लेग स्पिन नहीं कर सकते। लेग स्पिन आपके लिए तरकश का एक और तीर हो सकती है। लोग ऑफ स्पिन गेंदबाजी कर सकते हैं, लेकिन अगर ऑफ स्पिन के साथ वे विविधता के तौर पर लेग स्पिन करने में सक्षम हैं तो फिर क्यों नहीं ऐसा किया जाए। मैं बायें हाथ के बल्लेबाजों को ऑफ स्पिन और दायें हाथ के बल्लेबाजों को लेग स्पिन गेंदबाजी करता था।’

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युवा बल्लेबाजों की लेग स्पिन को समझने में नाकामी पर तेंदुलकर ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि यह कहना सही होगा कि बल्लेबाज लेग ब्रेक के बीच में गुगली को नहीं समझ रहे। बल्लेबाज आउट स्विंग गेंद को देख लेता है, लेकिन इसके बावजूद बल्ले का किनारा लग जाता है। मैं सहमत हूं कि लेग स्पिनरों ने आज के बल्लेबाज को अधिक सोचने के लिए बाध्य किया है।’ 1989 में भारत की ओर से पदार्पण करने वाले तेंदुलकर ने तब से अब तक विश्व क्रिकेट में काफी बदलाव देखे हैं।

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