राशिद खान ऐसे ही नहीं बन गए अफगानिस्तान के 'अफरीदी'
राशिद खान ने कड़ी मेहनत के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट टीम में जगह बनाई।
नई दिल्ली। सबसे कम उम्र में अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का कप्तान बनकर राशिद खान इन दिनों सुर्खियों में हैं। दाएं हाथ के इस लेग ब्रेक गेंदबाज ने बेहद कम समय मेंअपनी लगन, मेहनत और कुछ अलग करने की कोशिशों के बीच अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट जगत में जगह बनाई है। अफगानिस्तान के 'अफरीदी' नाम से लोकप्रिय राशिद ने दो साल पहले वनडे क्रिकेट में पदार्पण करते हुए अब तक 37 मैचों में 13.26 की औसत से 86 विकेट ले चुके हैं। इसमें 3 बार पांच विकेट लेने के साथ ही एक बार 18/7 का कीर्तिमान रच चुके हैं। ये उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हैं।टेस्ट में पदार्पण का इंतजार कर रहे राशिद 29 टी20 मैचों में 13.72 की औसत से 47 विकेट पा चुके हैं। 3 रन पर 5 विकेट सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
19 वर्षीय राशिद का जन्म 20 सितंबर 1998 को अफगानिस्तान के छोटे से प्रांत नांगरहार में हुआ। उन्हें क्रिकेट का शौक बचपन से था। लेकिन युद्धग्रस्त अफगान में युवाओं के लिए मैदान पर अभ्यास के मौके बेहद सीमित रहे। लेकिन विपरीत हालातों के बावजूद राशिद का क्रिकेट प्रेम कभी कम नहीं हुआ। कभी गली में दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने पहुंच जाते तो कभी घर से दूर ऊब़़ड-खाब़़ड मैदान में क्रिकेट खेला करते थे। ऐसे में बेटे की चिंता पिता के लिए लाजिमी थी। फिर राजधानी काबुल में आकर बकायदा क्लब में प्रवेश लेकर प्रशिक्षण प्राप्त करने लगे। इसी दौरान अफगान में हालात खराब हुए तो वे परिवार के साथ पाकिस्तान चले गए। यहां उन्होंने करीब पांच साल गुजारे। लेकिन क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। 15 साल की उम्र में परिवार के साथ वापस अपने देश लौटे तो खेल की वजह से राशिद को प्रांतीय टीम में जगह मिल गई। बेहतर प्रशिक्षण और उम्दा प्रदर्शन की बदौलत 17 की उम्र में जूनियर टीम में जगह बनाने में राशिद सफल रहे और उसी साल वे बतौर लेग स्पिनर राष्ट्रीय सीनियर टीम में चयनित हुए।
इस तरह राशिद ने 17 साल की उम्र में वनडे से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पहली बार कदम रखा। 10 भाई-बहनों में सबसे छोटे राशिद को क्रिकेटर बनाने में उनके ब़़डे भाई का योगदान काफी महत्वपूर्ण रहा है। राशिद का शौक पूरा करने के लिए वे हमेशा तत्पर रहते थे। पहले राशिद बल्लेबाजी में भाग्य आजमाना चाहते थे लेकिन क्लब कोच की सलाह को मानते हुए स्पिनर बन गए। दिलचस्प है कि राशिद का बहुत ब़़डा परिवार है और वे 10 भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। सबके दुलारे राशिद के लिए क्रिकेट किट व अन्य खेल सामान भाई पाकिस्तान से लेकर आते थे। वे नियमित 3-4 घंटे दो सत्रों में अभ्यास किया करते थे। जलालाबाद में अच्छी क्रिकेट पिच अभ्यास के लिए जब नहीं मिलती थी तो राशिद अपने क्लब साथियों के साथ काबुल का रुख करते थे।
'अफरीदी' नाम से मिली ख्याति राशिद ने छोटी सी उम्र में ही क्रिकेट से इतनी ख्याति अर्जित कर ली कि उनके अफगान प्रशंसक उन्हें अफगानिस्तान का 'अफरीदी' बुलाने लग गए। महत्वपूर्ण है कि राशिद के आदर्श गेंदबाजों में पाकिस्तान के शाहिद अफरीदी हमेशा से रहे हैं। उन्हीं से प्रभावित होकर फिरकी में इस युवा गेंदबाज ने कई तरह के प्रयोग का साहस भी दिखाया। घूमने-फिरने से ज्यादा परिवार के साथ क्रिकेट से फुर्सत पाकर समय बिताना राशिद को पसंद है। हालांकि लजीज व्यंजनों में उनकी कोई खास पसंद की डिश नहीं, बस स्थिति के अनुकूल जो मिल जाए।