यौन शोषण करने वाले BCCI के अधिकारी पर हो FIR
बीसीसीआइ के कई प्रमुख पदों पर रहे एक वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक ने कहा कि इस समय बोर्ड ठीक से काम नहीं कर रहा है
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) में विवाद थमने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीसीसीआइ की एक कर्मचारी ने अपने अधिकारी पर फरवरी में यौन शोषण का आरोप लगाया था लेकिन उस मामले को दबा दिया गया लेकिन अब उसके खिलाफ आवाज उठने लगी है।
बीसीसीआइ और आइसीसी में कई बार मुख्य पदों पर रहे एक अधिकारी से जब पूछा गया कि बोर्ड के एक बड़े अधिकारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाए जाने की खबरें आई हैं तो उन्होंने कहा कि बिलकुल, सभी को पता है कि यह हुआ है।
इस मसले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) ने चुप्पी साधी हुई है और आरोपी को बचाने का प्रयास किया जा रहा है। क्या बेवकूफी है? यह बेइज्जती की हद है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। उनसे जब यह पूछा गया कि अगर पहले की तरह आप इस समय बोर्ड के अध्यक्ष होते तो क्या करते तो उन्होंने कहा कि मैं तत्काल अधिकारी को निलंबित करता और केस दर्ज कराता।
बीसीसीआइ के एंटी करप्शन यूनिट (एसीयू) के पूर्व प्रमुख और दिल्ली पुलिस के पूर्व कमिश्नर नीरज कुमार से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मैं इस बारे में ज्यादा नहीं बोलना चाहता लेकिन बस इतना ही कहूंगा कि जब मैं एसीयू में था तो मुझे बात की जानकारी थी। संबंधित लोगों को इसकी जांच जरूर करानी चाहिए।
बीसीसीआइ के कई प्रमुख पदों पर रहे एक वरिष्ठ क्रिकेट प्रशासक ने कहा कि इस समय बोर्ड ठीक से काम नहीं कर रहा है। एक या दो चीजें नहीं बल्कि कई चीजें हैं। बीसीसीआइ ने आइसीसी में अपनी पकड़ कमजोर कर दी है। उसे नुकसान उठाना पड़ रहा है लेकिन सीओए को इसकी चिंता नहीं है। यह बहुत दुख की बात है।
केंद्रीय सूचना आयोग (सीआइसी) ने हाल ही में बीसीसीआइ को आरटीआइ के दायरे में लाने का निर्णय दिया और इसके बाद यह बात सामने आई कि सीओए ने सीआइसी के नोटिस का जवाब ही नहीं दिया जिसके कारण यह फैसला आया। जब वरिष्ठ पदाधिकारी से पूछा गया कि क्या सीओए इस मामले को संभालने में असफल रहा तो उन्होंने कहा कि अगर सीओए की बात करें तो पहली बात यह है कि वे क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं जानते हैं।
उदाहरण के लिए आपको बता दूं कि भारत कई वर्षो से विदेशी दौरे कर रहा है। 1932 में केवल लाला अमरनाथ को बीच दौरे से वापस भेजा गया था। उसके बाद इस बार इंग्लैंड दौरे में मुरली विजय और कुलदीप यादव को बीच दौरे से स्वदेश लौटाया गया। चयन समिति ने उन्हें वापस भेजने का फैसला किया। इस पर सीओए ने क्या क्या किया? आप उन्हें मैच में मत खिलाओ लेकिन उन्हें बीच दौरे से वापस भेजकर उनकी बेइज्जती और उनका अपमान क्यों करना।
आपको क्रिकेट और क्रिकेटरों की चिंता नहीं, तो फिर आपकी जरूरत क्या है। आप किस तरह से काम कर रहे हैं। यह गलत है। कुल मिलाकर उन्हें क्रिकेट के बारे में कुछ नहीं पता और ना ही उन्हें किसी बात की चिंता है। हाल ही में आइसीसी में बीसीसीआइ और पीसीबी को लेकर सुनवाई हुई।
जब यह एमओयू हुआ था तो आप बीसीसीआइ में थे? उन्होंने कहा कि अभी मामला चल रहा है इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहूंगा लेकिन कई ऐसी परिस्थितियां हैं जिनको लेकर क्या बोलूं? उन्होंने कहा कि उस समय आइसीसी व बीसीसीआइ-पीसीबी में जो वित्तीय करार हुआ था वह कभी क्रियान्वित ही नहीं हुआ। भारत और पाकिस्तान के खेलने का जो काल्पनिक करार हुआ था वह कभी व्यवहार में आया ही नहीं तो ऐसे में किसी तरह के करार या दावे का कोई क्या मतलब ही नहीं बनता है।
बीसीसीआइ में अगर इस तरह की घटिया हरकत हो रही है तो माननीय सर्वोच्च न्यायालय में भी इसे वकील के द्वारा उठाया जा सकता है। आदित्य वर्मा, सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता