अब डर पैदा नहीं करती कैरेबियाई टीम: गावस्कर
एक वक्त ऐसा भी था जब वेस्टइंडीज के भारत दौरे को लेकर बड़ी गहमागहमी हुआ करती थी और भारतीय क्रिकेटप्रेमी इसका बड़ी उम्मीदों के साथ
(गावस्कर का कॉलम)
एक वक्त ऐसा भी था जब वेस्टइंडीज के भारत दौरे को लेकर बड़ी गहमागहमी हुआ करती थी और भारतीय क्रिकेटप्रेमी इसका बड़ी उम्मीदों के साथ इंतजार किया करते थे। प्रशंसकों की प्रत्याशा कैरेबियाई क्रिकेटरों के रोमांचक खेल पर टिकी होती थी, वह चाहे उनकी लाजवाब बल्लेबाजी हो या खौफ पैदा करने वाली गेंदबाजी या फिर चुस्त क्षेत्ररक्षण। वेस्टइंडीज वह टीम थी जो मैदान पर ढेरों रोमांच पैदा करती थी।
प्रशंसक उन्हें देखना चाहते थे, क्योंकि वे क्रिकेट को वैसे ही खेलते थे जिस तरह से इसे खेला जाना चाहिए। चेहरे पर एक मुस्कान के साथ। वे मैदान के बाहर भी उतने ही खुशमिजाज और आकर्षक थे। कैरेबियाई खिलाड़ी भी प्रशंसकों से घुलना-मिलना पसंद करते थे। अन्य विदेशी टीमों की तरह कमरों में बंद रहना उन्हें पसंद नहीं था। हालांकि भारतीय क्रिकेटरों के लिए ये दौरे उनके करियर के आंकड़ों को खराब करने वाले ही साबित होते थे।
अफसोस की बात है, लेकिन अब कहानी बिल्कुल बदल गई है। वेस्टइंडीज की टीम में अब वह बातें नहीं रहीं। वैसे वे आज भी मैदान पर मुस्कान लिए खेलते हैं, लेकिन उनके क्रिकेट का स्तर इस हद तक फिसल गया है कि अब वे विपक्षी खेमे में डर पैदा करने वाली इकाई नहीं रह गए हैं। पिछले साल जब वे भारत में टेस्ट मैच खेलने आए थे तो दोनों ही टेस्ट मैच तीसरे ही दिन ही समाप्त हो गए थे। इस बार वे यहां नए कप्तानों के साथ यहां आए हैं और उम्मीद इस बात की है कि उन्होंने अपने पिछले साल के प्रदर्शन से कुछ सबक लिया होगा। वनडे सीरीज में उन्हें निश्चित तौर पर क्रिस गेल की कमी खलेगी। जिसमें वे अच्छा प्रदर्शन करके टेस्ट सीरीज में बढ़े हुए उत्साह के साथ उतरना चाहेंगे।
भारत 'एÓ टीम के खिलाफ अभ्यास मैचों में उनके प्रदर्शन को देखने के बाद उम्मीद की किरण ज्यादा नहीं दिखती है, लेकिन फिर भी अंतरराष्ट्रीय मैचों में एक खिलाड़ी के खेल का स्तर खुद ब खुद उठ जाता है। भारतीय टीम के लिए यह घरेलू सीरीज इंग्लैंड के विनाशकारी दौरे से हुए नुकसान की क्षति पूर्ति करने के मौके के साथ-साथ आगे ऑस्ट्रेलिया में होने वाली सख्त परीक्षा की तैयारी का भी एक अवसर होगा।
राष्ट्रीय चयनकर्ताओं ने युवा स्पिनर कुलदीप यादव को मौका देकर अच्छा काम किया है। उम्मीद है कुलदीप ने अपने पिछले दो चैंपियंस लीग के मैचों से सीखा होगा, जहां उनकी कुछ गेंदों को छक्के व चौकों के लिए सीमापार भेजा गया। रोहित शर्मा की जगह मुरली विजय एक सही चयन है, क्योंकि विजय एक नेचुरल स्ट्रोक प्लेयर हैं और वह शिखर धवन के ऊपर दबाव कम कर सकते हैं। हालांकि सभी की निगाहें विराट कोहली पर होंगी, जो इंग्लैंड में अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर सके। भारत स्पष्ट रूप से सीरीज में प्रबल दावेदार के रूप में उतरेगा।