ये उत्तर प्रदेश का नहीं UPCA सचिव का क्रिकेट है
जब इस बारे में युद्धवीर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी चुना जाता है वह प्रतिभा के आधार पर ही चुना जाता है।
नई दिल्ली, निखिल शर्मा। ऐसा कभी नहीं हुआ, जैसा अब हो रहा है। उत्तर प्रदेश क्रिकेट संघ (यूपीसीए) के पूर्णकालिक सचिव बनते ही युद्धवीर सिंह के शहर मेरठ के खिलाडि़यों का उत्तर प्रदेश की टीमों में भर-भरकर आना सिर्फ संयोग नहीं है।
विजय हजारे ट्रॉफी में मेरठ के रजत गोयल, उमेश शर्मा, शिवम चौधरी, प्रियम गर्ग अंतिम एकादश का हिस्सा बने जबकि कैंप में भी न रहने वाले प्रशांत चौधरी को स्टैंड बाई में जगह दी गई। खास बात यह है कि सचिव के ड्राइवर के पुत्र हरदीप सिंह भी स्टैंड बाई में जगह बनाने में कामयाब रहे।
कभी अंडर-16, अंडर-19 में भी जगह ना बना पाने वाले रजत गोयल को सुरेश रैना की कप्तानी में दो मैच खेलने को मिले जिसमें वह पूरी तरह से फेल रहे। वह न ढंग की गेंदबाजी कर सके, न ही क्षेत्ररक्षण। 75 जिलों वाले उत्तर प्रदेश के क्रिकेट में इस साल क्या हुआ इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि इस समय वीनू मांकड़ ट्रॉफी में भाग ले रही उत्तर प्रदेश की अंडर-19 टीम के 15 में से छह खिलाड़ी सिर्फ सचिव के शहर के ही हैं। इनके नाम समीर चौधरी, पुरनंक त्यागी, हर्ष त्यागी, शिवम बंसल, समीर रिजवी और अंकुर मलिक।
टीम के बाकी 74 जिलों से नौ खिलाडि़यों का चयन किया गया है। यही नहीं इसके लिए लगे कैंप में शुभाशीष बिस्वास, आदित्य शर्मा, विकास सिंह, वासुदेव और बादल सिंह भी मेरठ के ही थे। यूपीसीए के एक अधिकारी ने कहा कि हमेशा ऐसा नहीं होता था। इसमें कोई शक नहीं कि मेरठ में प्रतिभाओं की कमी नहीं है लेकिन कभी इतनी संख्या में उप्र की टीमों में खिलाडि़यों ने जगह नहीं बनाई।
निश्चित तौर पर यह साफ अनुमान लगाया जा सकता है कि युद्धवीर सिंह के सचिव बनने के बाद इसमें इजाफा हुआ है। अगर विजय हजारे ट्रॉफी की बात करें तो उसमें शिवम चौधरी और प्रियम गर्ग अच्छे खिलाड़ी हैं लेकिन रजत गोयल का तो कभी किसी ने नाम भी नहीं सुना था।
यही हाल अंडर-19 टीम का भी है। जब इस बारे में युद्धवीर सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जो भी चुना जाता है वह प्रतिभा के आधार पर ही चुना जाता है। इस बारे में सही जवाब चयनकर्ता ही दे पाएंगे।