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सबसे 'तेज' और खतरनाक गेंद, जब 67 गज दूर जाकर गिरी गिल्ली

उस गेंद ने जो कहर ढाया, उसने सन्न करने के साथ-साथ कई सवाल भी पीछे छोड़ दिए थे।

By Shivam AwasthiEdited By: Published: Wed, 28 Jun 2017 08:32 PM (IST)Updated: Thu, 29 Jun 2017 10:12 AM (IST)
सबसे 'तेज' और खतरनाक गेंद, जब 67 गज दूर जाकर गिरी गिल्ली
सबसे 'तेज' और खतरनाक गेंद, जब 67 गज दूर जाकर गिरी गिल्ली

नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। पाकिस्तान के पूर्व गेंदबाज शोएब अख्तर ने 2003 विश्व कप के दौरान दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ क्रिकेट इतिहास की सबसे तेज गेंद फेंकी थी। उस गेंद की रफ्तार 161.3 किलोमीटर प्रति घंटा थी। तब से लेकर आज तक कोई भी उस रिकॉर्ड को तोड़ नहीं सका..लेकिन क्या आपको पता है कि एक ऐसी भी गेंद का रिकॉर्ड दर्ज हो चुका है जिसकी रफ्तार का तो पता नहीं चला। पर हां, उस गेंद ने जो कहर ढाया, उसने सन्न करने के साथ-साथ कई सवाल भी पीछे छोड़ दिए थे।

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- वो घातक गेंद

हम बात कर रहे हैं 29 जून 1911 की। वो आज का ही दिन था जब इंग्लैंड की प्रतिष्ठित काउंटी चैंपियनशिप में, एतिहासिक ओल्ड ट्रैफर्ड के मैदान पर वोरसेस्टरशर और लेंकशर की टीमों के बीच मैच चल रहा था। इस मैच में वोरसेस्टरशर के तेज गेंदबाज रॉबर्ट बरोस ने विरोधी टीम के बल्लेबाज विलियम हडलस्टन को इतनी घातक गेंद पर बोल्ड किया कि सब देखते रह गए। विकेट बिखरे और एक गिल्ली इतनी दूर गिरी कि फासला नापने का फैसला लिया गया। नतीजे ने सबके होश उड़ा दिए क्योंकि गेंद 67 गज और 6 इंच दूर जाकर गिरी थी। एक क्रिकेट पिच की लंबाई 22 गज होती है। यानी गिल्ली विकेट के पीछे तीन पिच की दूरी के बराबर जाकर गिरी थी। ये एक विश्व रिकॉर्ड था, है और न जाने कब तक रहेगा।

- क्या है हकीकत?

2003 में शोएब अख्तर द्वारा की गई गेंद को सबसे तेज गेंद माना जाता है लेकिन क्या यही हकीकत है, ये हमेशा से एक बड़ा सवाल रहा है। इसकी वजह ये है कि क्रिकेट में गेंद की रफ्तार नापने वाले यंत्र यानी स्पीडोमीटर का असल प्रयोग 1998 में इंग्लैंड में शुरू हुआ था। उससे पहले अलग-अलग तरह की तमाम कोशिशें की जा चुकी थीं लेकिन कभी गेंद की असली रफ्तार का पता नहीं लग पाता था। एक समय वेस्टइंडीज के पास एंडी रॉबर्ट्स, जोल गार्नर, कॉलिन क्रॉफ्ट और माइकल होल्डिंग जैसे ऐसे घातक तेज गेंदबाज मौजूद थे कि दुनिया की सभी टीमें वेस्टइंडीज के सामने आने से कांपती थीं। उस समय भी स्पीडोमीटर की मौजूदगी न होने के कारण किसी की रफ्तार का पता नहीं चल सका। ऐसे में कुछ दिग्गज 1911 में रॉबर्ट बरोस की गेंद को सबसे तेज गेंद मानते हैं क्योंकि उस गेंद ने अपना प्रभाव मैदान पर छोड़ा था और उस रिकॉर्ड को आज तक कोई नहीं तोड़ सका। क्रिकेट एक्सपर्ट रवि शर्मा कहते हैं, 'गेंद की रफ्तार का हमेशा से क्रिकेट का गहरा नाता रहा है। पहले के जमाने में क्रिकेट इतिहास के कई तेज गेंदबाजों की रफ्तार दुनिया नहीं जान सकी लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उनकी रफ्तार आज के धुरंधर से कम थी। मार्शल और गार्नर जैसे गेंदबाज हेल्मेट में दरार लाने वाली गेंदबाजी भी कर चुके थे।'

- गजब का ऑलराउंडर, हैरान करने वाले आंकड़े

दाएं हाथ से गेंदबाजी और बल्लेबाजी करने वाले इंग्लैंड के रॉबर्ट बरोस उन ऑलराउंडर्स में से रहे जिन्होंने 20 साल तक मैदान पर धमाल मचाया। ये सिर्फ उस एक सबसे घातक गेंद की बात नहीं है, अपने करियर में जो कुछ उन्होंने किया वो यादगार और एतिहासिक रहा। उन्होंने अपने प्रथम श्रेणी क्रिकेट करियर में 277 मैच खेले जिस दौरान 5223 रन बनाए और 65 बार नॉटआउट भी रहे। उन्होंने करियर में दो शतक और 9 अर्धशतक जड़े। वहीं इतने ही मैचों में गेंदबाजी करते हुए बरोस ने 894 विकेट हासिल किए। उनके करियर में जो एक कमी रह गई, वो ये थी कि बरोस कभी राष्ट्रीय टीम से नहीं खेल सके।

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