विराट कुछ भी कहें, सच तो यही है कि भारतीय टीम टेस्ट सीरीज हार चुकी है
इतिहास में यही लिखा जाएगा कि विराट की कप्तानी में भी टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका में कोई टेस्ट सीरीज ना जीतने का दंश मिटा नहीं पाई।
अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। भारतीय कप्तान विराट कोहली ने चौथा टेस्ट हारने के बाद कहा कि हमने इंग्लैंड के सामने अच्छी प्रतिद्वंद्विता दिखाई। सिर्फ स्कोर बोर्ड और आंकड़ों को नहीं देखना चाहिए। विराट ने इंग्लिश कप्तान जो रूट का हवाला दिया। रूट ने भी कहा कि नतीजा 3-1 दिख रहा है लेकिन सीरीज काफी कांटे की रही। विराट और मुख्य कोच रवि शास्त्री शुरुआत से यही लाइन पकड़े हुए हैं कि अगर लॉर्ड्स टेस्ट को छोड़ दिया जाए तो हमने इस सीरीज ही नहीं दक्षिण अफ्रीका में भी काफी कांटे का प्रदर्शन किया। विराट और शास्त्री के इसी रवैये के कारण टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीकी दौरे से कोई सीख नहीं ले पाई और लचर बल्लेबाजी वाली इंग्लिश टीम से उसे पराजय का सामना करना पड़ा। अगर उसने अपने रवैये में कोई सुधार नहीं किया तो उसे इस साल के आखिर में होने वाले ऑस्ट्रेलिया दौरे में भी झटके मिल सकते हैं जबकि स्टीव स्मिथ और डेविड वार्नर के बिना उतरने वाली ऑस्ट्रेलियाई टीम को कमजोर माना जा रहा है।
आंकड़े ही याद रहते हैं : इस साल की शुरुआत में भारत को दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में 1-2 से पराजय का सामना करना पड़ा और तब भी विराट व शास्त्री ने कुछ ऐसे ही बयान दिए थे। उन्हें यह समझना होगा कि जब इतिहास खंगाला जाएगा तो उसमें पता चलेगा कि विराट को छोड़कर सभी भारतीय बल्लेबाज 2018 टेस्ट सीरीज में दक्षिण अफ्रीका में फेल हुए थे और टीम इंडिया एक बार फिर वहां हारकर आई थी। इतिहास में यही लिखा जाएगा कि विराट की कप्तानी में भी टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका में कोई टेस्ट सीरीज ना जीतने का दंश मिटा नहीं पाई। विराट ने इन दोनों ही देशों में हारने के बाद कहा कि सब घर में जीत रहे हैं और हम घर में बाकी टीमों से बहुत आगे हैं। निश्चित तौर पर विराट की यह बात भी दिल तोड़ने वाली है क्योंकि एक तरफ शास्त्री कहते हैं कि हम इस समय विश्व की सर्वश्रेष्ठ दौरा करने वाली विदेशी टीम बनना चाहते हैं और दूसरी तरफ हार के बाद विराट कहते हैं कि हम सर्वश्रेष्ठ घरेलू टीम हैं। भारत में तो मुहम्मद अजहरुद्दीन, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ की कप्तानी में भी टीम इंडिया सीरीज जीतती रही है बल्कि द्रविड़ की कप्तानी में तो टीम इंडिया ने इंग्लैंड में भी टेस्ट सीरीज जीती थी। गांगुली और द्रविड़ की कप्तानी में भारत का ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में प्रदर्शन काफी अच्छा रहा है जबकि उनके सामने स्टीव वॉ और माइकल वॉन जैसे कप्तान थे। ऐसे में आप बहानों के पीछे कब तक छुप सकते हैं। आपको हर हाल में जीतना होगा और जीत का नाम ही क्रिकेट है।
बीसीसीआइ ने सबकुछ दिया : पिछले साल इंग्लैंड में चैंपियंस ट्रॉफी हो रही थी तो उसके तुरंत बाद मुख्य कोच अनिल कुंबले ने इस्तीफा दे दिया था। उनकी और विराट की नहीं जम रही थी। कुंबले के एक साल के कार्यकाल में भारतीय टीम सिर्फ वेस्टइंडीज में एक टी-20 सीरीज हारी और चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पहुंची। इसके बाद भी उन्हें हटा दिया गया क्योंकि कप्तान उन्हें नहीं चाहते थे। बीसीसीआइ ने विराट के कहने पर रवि शास्त्री को मुख्य कोच बनाया। सहयोगी स्टाफ भी कप्तान और कोच के पसंद का रखा गया। यहां तक कि दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड का दौरा भी इन दोनों की सलाह से ही तय किया गया। इन्होंने ही दक्षिण अफ्रीका दौरे से पहले कोई अभ्यास मैच नहीं खेलने का फैसला किया। इन्होंने ही इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज से पहले वनडे और टी-20 सीरीज खेलने का फैसला किया। जब सबकुछ आपके हिसाब से हो रहा है तो फिर आप हारने पर ऐसे बहाने कैसे बना सकते हैं।
द्रविड़ से मदद न लेने का खेल : जब सौरव गांगुली वाली क्रिकेट एडवाइजरी कमेटी ने भारत-ए व अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का बल्लेबाजी सलाहकार नियुक्त किया था तो शास्त्री ने ही कहा था कि विदेशी दौरों पर उनकी सलाह ली जाएगी। निश्चित तौर पर अगर द्रविड़ की सलाह ली गई होती तो दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में यह दिन नहीं देखने होते। दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में हुए सात टेस्ट मैचों की 14 पारियों में सिर्फ विराट और चेतेश्वर पुजारा ही भारतीय टीम से शतक लगा पाए। यही नहीं दक्षिण अफ्रीका में भारत के चौथे सर्वश्रेष्ठ स्कोरर गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार थे।
4-1 से बचना होगा : अभी इंग्लैंड दौरा खत्म नहीं हुआ है। पांच मैचों की सीरीज का स्कोर 1-3 है और शुक्रवार से ओवल स्टेडियम में पांचवां टेस्ट खेला जाएगा। भारतीय टीम ने गलतियों से सीखना बंद कर दिया है। उसे आलोचना भी पसंद नहीं है। प्रशंसक यही चाहते हैं कि टीम इंडिया कम से कम आखिरी मुकाबला जीतकर सीरीज का अंत 2-3 से करे क्योंकि अगर इंग्लैंड यह मैच जीता तो स्कोर 4-1 होगा जिसे पचाना आसान नहीं होगा। महेंद्र सिंह धौनी की कप्तानी में भारतीय टीम 2011 में यहां 0-4 से और 2014 में 1-3 से हारी थी। 4-1 का रिजल्ट उसी की याद दिलाएगा।
भारत का एशिया से बाहर टेस्ट मैचों में प्रदर्शन
बनाम, मैच, जीत, हार, ड्रॉ,
ऑस्ट्रेलिया, 44, 5, 28, 11
इंग्लैंड, 61, 7, 33, 21
न्यूजीलैंड, 23, 5, 8, 10
दक्षिण अफ्रीका, 20, 3, 10, 7
वेस्टइंडीज, 49, 7, 16, 26
जिंबाब्वे, 6, 3, 2, 1