ऑस्ट्रेलिया में भारतीय क्रिकेट टीम के कोच शास्त्री के 'शस्त्र और शास्त्र' हो रहे हैं बेअसर
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट में भारतीय टीम को कमजोर मेजबान टीम के हाथों हार झेलनी पड़ी।
अभिषेक त्रिपाठी, मेलबर्न। दो साल पहले आपने टेलीविजन में देखा होगा कि रवि शास्त्री सूटबूट पहनकर एक हाथ में माइक लेकर पिच पर चाभी घुसेड़कर बताते थे कि यह अगले पांच दिन कैसे खेलेगी। इसमें किस खिलाड़ी को खिलाना चाहिए। कौन सा स्पिनर यहां पर मुफीद रहेगा? लेकिन टीम इंडिया का कोच बनने के बाद शायद पिच के आकलन और अंतिम एकादश के चयन में उनका अनुभव काम नहीं आ रहा है। कप्तान विराट कोहली और टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री इस मामले में पूरी तरह फेल साबित हुए हैं।
यही कारण है कि टीम इंडिया ने इस साल दक्षिण अफ्रीका और इंग्लैंड में सीरीज जीतने का शानदार मौका तो गंवाया ही, इस समय ऑस्ट्रेलिया में चल रही चार टेस्ट मैचों की सीरीज में कमजोर मेजबान टीम से भी पर्थ टेस्ट हार गई। 71 साल बाद भारत के पास यहां पहली टेस्ट सीरीज जीतने का शानदार मौका था लेकिन एडिलेड में पहला टेस्ट मैच जीतने के बाद पर्थ में मिली बड़ी हार ने टीम इंडिया के विश्वास को डगमगा दिया है। अब भारत को 26 तारीख से मेलबर्न क्रिकेट मैदान में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरा टेस्ट मैच खेलना है।
भारत इस साल दक्षिण अफ्रीका में तीन टेस्ट मैचों की सीरीज 1-2 से और इंग्लैंड में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज 1-4 से हारा। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ वर्तमान सीरीज में टीम इंडिया ने 1-0 से बढ़त ली लेकिन पर्थ टेस्ट हारकर अब यह 1-1 से बराबरी पर आ गई है। पर्थ में हार के बाद पूर्व भारतीय कप्तान सुनील गावस्कर ने भी कहा था कि दक्षिण अफ्रीकी दौरे से हम टीम चयन में बड़ी गलतियां देख रहे हैं। यह सब टीम हित की कीमत पर हो रहा है क्योंकि इनके चलते भारत की उन मैचों में हार हुई। इन मैचों को टीम जीत सकती थी। गावस्कर ने कहा था कि अगर बिना डेविड वार्नर और स्टीव स्मिथ के खेल रही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ भारत नहीं जीतता है, तो चयनकर्ताओं को सोचने की जरूरत है कि क्या उन्हें इस संयोजन (विराट, रवि शास्त्री और सहयोगी स्टॉफ) से फायदा हो रहा है।
ऑस्ट्रेलिया में 19 खिलाड़ी और 18 सहयोगी स्टाफ मौजूद : ऐसा पहली बार हो रहा है जब टीम इंडिया के 19 खिलाड़ी और 18 सहयोगी स्टाफ ऑस्ट्रेलिया में मौजूद हैं। इसके बावजूद टीम इंडिया पर्थ में 146 रनों से हार गई। टीम इंडिया में सदस्य के तौर पर विराट कोहली, मुरली विजय, रोहित शर्मा, अजिंक्य रहाणे, रिषभ पंत, चेतेश्वर पुजारा, केएल राहुल, हनुमा विहारी, भुवनेश्वर कुमार, पार्थिव पटेल, जसप्रीत बुमराह, रविचंद्रन अश्विन, रवींद्र जडेजा, उमेश यादव, कुलदीप यादव, मुहम्मद शमी, इशांत शर्मा और पृथ्वी शॉ को भेजा गया था।
पहले टेस्ट से पूर्व ही पृथ्वी चोटिल हो गए और उनके ठीक न होने की संभावना के बाद उन्हें टीम से हटा दिया गया। इसके बाद चयनकर्ताओं ने मयंक अग्रवाल और हार्दिक पांड्या को अंतिम दो टेस्ट के लिए टीम में चुना। इससे टीम इंडिया में इस समय 19 सदस्य हो गए। इसके अलावा टीम को ऑस्ट्रेलिया में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए 18 सदस्यीय सहयोगी स्टाफ भी है। इसमें मुख्य कोच रवि शास्त्री, एनालिस्ट सीकेएम धनंजय, टीम मैनेजर सुनील सुब्रमण्यम, लॉजिस्टिक्स मैनेजर ऋषिकेश उपाध्याय, एस एंड सी कोच बासु शंकर, गेंदबाजी कोच भरत अरुण, मुख्य चयनकर्ता एमएसके प्रसाद, सहायक कोच संजय बांगर, टूरिंग लाइजनिंग ऑफिसर क्रेग न्यूटन, लोकल सुरक्षा अधिकारी हॉवर्ड बीर, सुरक्षा मैनेजर मेजर सौम्यदीप, टीम असिसटेंट नुवान सेनेविरथने, मीडिया मैनेजर आनंद सुब्रमण्यम, फिजियोथेरेपिस्ट पैट्रिक फरहार्ट, फील्डिंग कोच आर श्रीधर, ट्रेनिंग असिस्टेंट राघविंदर और मसाज थेरेपिस्ट राजीव कुमार व अरुण कनाडे मौजूद हैं।
गावस्कर ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा था कि भारतीय कैप और ब्लेजर की अहमियत को और ज्यादा बढ़ाए जाने की जरूरत है। मुझे लगता है कि चयन समिति ने अपनी जिम्मेदारी को सही ढंग से नहीं निभाया।
जंबो सेना से क्या फायदा
वर्तमान मुख्य कोच रवि शास्त्री 19 सदस्यीय भारतीय टीम लेकर यहां बैठे हैं। इसके अलावा चोटिल पृथ्वी शॉ भी यहां मौजूद हैं। टीम इंडिया की वनडे टीम के सदस्य शिखर धवन भी शुक्रवार को किट बैग के साथ टीम होटल में देखे गए थे। इसका टीम को क्या फायदा मिल रहा है ये तो नहीं पता लेकिन खिलाड़ी के चोटिल होने पर उसे वापस भारत भेज देना चाहिए और यह बात शास्त्री को बखूबी पता है क्योंकि 1991-92 में जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर आई थी तो तीन टेस्ट के बाद शास्त्री के घुटने में चोट लग गई थी। तत्कालीन मैनेजर और बाद में बीसीसीआइ के अध्यक्ष बने रनबीर सिंह महिंद्रा ने इलाज कराने के लिए उन्हें भारत वापस भेज दिया था।
मेलबर्न में हुई पूरे दिन बारिश
यहां पर 26 तारीख से बॉक्सिंग डे टेस्ट होना है और इस मैच का निर्णय सीरीज का भी फैसला कर सकता है। हालांकि मैच से पांच दिन पहले शुक्रवार को यहां जमकर बारिश हुई। शनिवार को भी बारिश की संभावना है। हालांकि 26, 27 और 28 दिसंबर को यहां पर सिर्फ आंशिक बादल छाए रहने की संभावना है। ऐसे में अभी मैच पर कोई संकट नहीं दिखाई दे रहा है लेकिन बारिश से पिच में नमी और तेज हवाएं चलने से सीम गेंदबाजों को फायदा मिल सकता है।
विदेश में पिछली तीन सीरीज की गलतियां
-दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में अंतिम एकादश के चयन और पिच के आकलन में फेल हुए कोच शास्त्री और कप्तान विराट।
-साल की शुरुआत में केपटाउन टेस्ट से उपकप्तान अजिंक्य रहाणे को बाहर किया और इसके पीछे रोहित शर्मा की अच्छी फॉर्म को वजह बताया गया। रोहित को अंतिम एकादश में जगह मिली जबकि केपटाउन की कंडीशन में उनके लिए बल्लेबाजी करना हमेशा से मुश्किल रहा है।
-केपटाउन में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भुवनेश्वर कुमार को सेंचुरियन में दूसरे टेस्ट में बाहर बैठा दिया गया। उसके पीछे परिस्थितियों का बहाना बनाया गया। यहां रोहित की तरफ फॉर्म को तवज्जो नहीं दी गई। दोनों मैच टीम इंडिया हारी थी।
-सेंचुरियन में मैच से पहले कोहली ने कहा कि यहां की पिच केपटाउन की तरह ही है लेकिन वह साफ-साफ भारतीय पिच की तरह लग रही थी। केपटाउन में बिलकुल हरी पिच थी। यहां पर शास्त्री और कोहली पिच पढ़ने में असफल रहे थे।
-जोहानिसबर्ग में तीसरे टेस्ट में टीम को अक्ल आई और रहाणे व भुवी को अंतिम एकादश में शामिल किया गया। लगातार चार पारी में फेल होने के बाद रोहित बाहर हुए। यह मैच टीम इंडिया जीती। भुवी मैन ऑफ द मैच रहे थे।
-इंग्लैंड में जुलाई-अगस्त में पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में चेतेश्वर पुजारा को काउंटी में रन नहीं बनाने का हवाला देकर अंतिम एकादश से बाहर बैठा दिया गया था।
-लॉर्ड्स में दूसरे टेस्ट मैच के पहले दिन बारिश हुई। टॉस दूसरे दिन हुआ। पिच हरी थी और बारिश के कारण उसमें नमी थी। मौसम का आकलन करने का समय भी मिला। इसके बावजूद दूसरे टेस्ट में दो स्पिनर कुलदीप व अश्विन को खिलाया गया। कुलदीप ने पूरे मैच में नौ ओवर फेंके। भारत यह मैच पारी से हारा था।
-तीसरे टेस्ट के बाद चाइनामैन कुलदीप को स्वदेश वापस भेज दिया और साउथैंप्टन में चौथे टेस्ट मैच में अनफिट स्पिनर अश्विन को खिलाया। यहां भी टीम प्रबंधन पिच पढ़ने में असफल हुआ। जहां दो स्पिनर खिलाने थे वहां एक ही खिलाया वह भी अनफिट। शेन वार्न ने कहा था कि यहां पर कुलदीप को खिलाते तो वह दरारों का फायदा उठा सकते थे। भारत जीता हुआ मैच और सीरीज हार गया।
-ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले मुकाबले में सही एकादश का चयन किया लेकिन पर्थ में दूसरे टेस्ट में पिच को पढ़ने में फिर असफलता मिली। जहां मेहमान टीम ने स्पिनर नाथन लियोन को खिलाया वहीं स्पिनरों की जननी रही भारतीय टीम ने चार तेज गेंदबाज खिलाए। उसमें भी उमेश यादव के चयन ने सब चौपट कर दिया।
-इन सबसे ज्यादा इन तीनों सीरीज में लगातार ओपनर केएल राहुल के चयन ने सवाल खड़े किए हैं। राहुल में ऐसा क्या है जो विराट और शास्त्री उन्हें लगातार खिला रहे हैं।