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विदाई टेस्ट में आउट होने के बाद सचिन ने की थी इनसे चर्चा

दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने नवंबर, 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम टेस्ट के बाद भी अपने आउट होने के बारे में बड़े भाई अजीत से चर्चा की थी। जबकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोबारा बल्ला नहीं पकड़ेंगे। तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम

By sanjay savernEdited By: Published: Sat, 20 Feb 2016 04:58 PM (IST)Updated: Sat, 20 Feb 2016 05:51 PM (IST)
विदाई टेस्ट में आउट होने के बाद सचिन ने की थी इनसे चर्चा

मुंबई। दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने नवंबर, 2013 में वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम टेस्ट के बाद भी अपने आउट होने के बारे में बड़े भाई अजीत से चर्चा की थी। जबकि उन्हें अच्छी तरह पता था कि इसके बाद वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दोबारा बल्ला नहीं पकड़ेंगे। तेंदुलकर ने वानखेड़े स्टेडियम में वेस्टइंडीज के खिलाफ अपना 200वां और अंतिम टेस्ट खेलकर क्रिकेट को अलविदा कहा था। तेंदुलकर ने कहा कि संन्यास लेने के अगले दिन सुबह मैंने एक कप चाय बनाई। एक कार्यक्रम के दौरान यह खुलासा किया।

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42 वर्षीय सचिन ने कहा, 'अपने करियर के अंतिम दिन भी जब मैं आउट हुआ तब भी हमने आउट होने के बारे में चर्चा की और यह भी कि मैं क्या कर सकता था। इसमें कोई शक नहीं कि अजीत की वजह से ही मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया था। मैं पहले अपने भाई की तरह बनना चाहता था। फिर मैंने क्रिकेट देखना शुरू किया। तब भारत ने विश्व कप जीता और मैं ट्रॉफी अपने हाथ में लेना चाहता था। मैंने वहीं से अपने इस सपने का पीछा करना शुरू कर दिया। भाई ही मुझे कोच रमाकांत अचरेकर के पास ले गया था। स्कूली दिनों में अचरेकर सर हमेशा मेरे साथ थे। लेकिन स्कूल छोडऩे के बाद मैंने तुरंत भारत के लिए खेलना शुरू कर दिया, तब मैं शिवाजी पार्क से दूर चला गया। मैंने मुंबई रणजी टीम और भारतीय टीम के साथ यात्रा करनी शुरू कर दी थी। इसलिए बाद में ज्यादातर चर्चा मेरे भाई के साथ होनी शुरू हो गई।

2011 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे तेंदुलकर ने कहा कि उन्होंने हमेशा अपने भाई की राय पर भरोसा किया, भले ही वह इससे सहमत नहीं होते थे। मेरा भाई क्रिकेट खेल चुका था और जानता था कि क्या जरूरी है और उनसे मैं अपनी बल्लेबाजी तकनीक और खेल के मानसिक पहलू पर बात कर सकता था। मैं आलोचना के लिए भी तैयार था। ऐसे भी मौके आए जब हमारी राय अलग-अलग होती थी, लेकिन मैं जानता था कि अंत में वह जो कह रहा था, वो मेरे अच्छे के लिए था और मैंने हमेशा उसकी राय पर भरोसा किया।


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