सौरव गांगुली की वजह से ही भारतीय टीम को धौनी जैसा खिलाड़ी मिला, जानिए कैसे
गांगुली टीम में युवा खिलाड़ियों को लगातार मौका देते थे।
नई दिल्ली, प्रेट्र। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली जब टीम के कप्तान थे उस वक्त वो नए खिलाड़ियों को टीम में खूब मौका देते थे। गांगुली का नए खिलाड़ियों को आजमाने की वजह से ही भारतीय क्रिकेट टीम को महेंद्र सिंह धौनी जैसा क्रिकेटर मिला। इस बात का खुलासा गांगुली के उपर लिखे हुए किताब 'विनिंग लाइक गांगुली: थिंक एंड सक्सेस लाइक गांगुली' में किया गया। बंगाल के गांगुली को भारतीय टीम की कमान वर्ष 2000 में दी गई थी जब भारतीय टीम में मैच फिक्सिंग की बात सामने आई थी। उन्होंने युवराज, मो. कैफ, जहीर खान, सहवाग, हरभजन सिंह जैसे खिलाड़ियों के साथ मिलकर टीम को आगे बढ़ाया और 'टीम इंडिया' मैन इन ब्लू का दौर यहीं से शुरू हुआ।
कप्तानी के दौरान गांगुली का ये सोचना था कि अगर कोई युवा खिलाड़ी जिसमें टैलेंट है उसे पर्याप्त मौका दिया जाना चाहिए ताकि वो खुद को साबित कर सके। उनकी इस सोच की वजह से युवा खिलाड़ियों के लिए टीम में काफी अच्छा वातावरण बना रहता था क्योंकि उन्हें पता था कि एक बार अगर वो असफल हो गए तो उन्हें दूसरा मौका जरूर मिलेगा। धौनी से बड़ा उदाहरण और क्या हो सकता है कि वो अपने करियर की शुरुआती चार पारियों में लगातार फेल होते रहे लेकिन गांगुली ने उन पर विश्वास दिखाया और उन्होंने इसके बाद पाकिस्तान के खिलाफ 148 रन की शानदार पारी खेली। ये वही पारी थी जिसकी वजह से धौनी का क्रिकेट करियर काफी हद तक सेट हो गया। इसके बाद धौनी ने भारतीय टीम को लीड किया और टी20 साथ ही क्रिकेट विश्व कप भारत को दिलाया। वर्ष 2013 में धौनी की कप्तानी में भारत ने पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता था।
इस किताब के मुताबिक अगर गांगुली धौनी की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें लगातार मौका नहीं देते तो भारत को शायद ही ऐसा बेहतरीन विकेटकीपर-बल्लेबाज मिल पाता। यही नहीं गांगुली के कप्तान रहते टीम में कई युवा खिलाड़ियों का उदय हुआ जिन्होंने भारतीय टीम के लिए शानदार प्रदर्शन किया। गांगुली में इस बात की काबिलियत थी कि टीम में युवा और सीनीयर खिलाड़ियों का किस तरह से मिश्रण करना है। उन्हें भारतीय टीम की कप्तानी तब सौंपी गई थी जब टीम को लीड करने वाले खिलाड़ियों की कमी हो गई थी।