Happy Birthday Sunil Gavaskar: बिना हेलमेट दुनिया के खतरनाक गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाले लिटिल मास्टर हुए 71 साल के
Happy Birthday Sunil Gavaskar टेस्ट क्रिकेट में 10000 रन बनाने वाले दुनिया के पहले बल्लेबाज गावस्कर 71 साल के हो गए।
अभिषेक त्रिपाठी, नई दिल्ली। अगर मुझसे कहा जाए कि किसी ऐसे क्रिकेटर का नाम बताओ जिसकी बल्लेबाजी तकनीक सर्वश्रेष्ठ थी, जो शुरुआती ओवरों में वेस्टइंडीज के छह-सात फुट लंबे खूंखार तेज गेंदबाजों को बड़ी एकाग्रता और धैर्य के साथ खेलता था, जो बल्लेबाजी के दौरान पिच पर अपनी पारी को जिस ढंग से लिखता था वैसे ही संन्यास के बाद क्रिकेट की बातों को अखबार के पन्नों पर उतारने लगा तो एक ही नाम जेहन में आएगा और वह है 'द ग्रेट सुनील गावस्कर'।
आज 71 साल के हो गए पांच फुट पांच इंच लंबे सुनील जब बिना हेलमेट पहने दुनिया के सबसे तेज गेंदबाजों के खिलाफ बेधड़क खड़े होते थे तो हर भारतीय का सिर भी ऊंचा होता था। उन्हें लगता था कि क्रिकेट की दुनिया में ही सही कोई ऐसा भारतीय तो है जो उनके सम्मान को ऊंचा कर रहा है। एकाग्रता सुनील गावस्कर में भगवान प्रदत्त एक गुण था। उनकी एकाग्रता का स्तर अविश्वसनीय था। एक बार जब वह अपने जोन में आते थे तो कोई उनके पास नहीं आ पाता था और वह किसी की नहीं सुनते थे। अगर आप उनके सामने बात कर रहे हो या नाच रहे हो, उनको कोई फर्क नहीं पड़ता और उनका ध्यान सिर्फ क्रिकेट पर ही रहता था।
10 साल बाद मुंबई में जन्म दिन मनाएंगे : सुनील गावस्कर क्रिकेट, खासतौर पर भारतीय क्रिकेट का ऐसा नाम है जो अगर इस खेल से संबंधित कोई बात करता है तो उसे दुनिया सुनती है। वह जिस प्रतिभा की तारीफ करते हैं वह अंतरराष्ट्रीय जगत में नाम कमाती है वह चाहे सचिन तेंदुलकर हों या रिषभ पंत। उनकी पारखी नजर कमाल की है। छह मार्च 1971 को पोर्ट ऑफ स्पेन में वेस्टइंडीज के खिलाफ पहला टेस्ट मैच खेलने वाले गावस्कर ने पांच नवंबर 1987 को मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में इंग्लैंड के खिलाफ आखिरी अंतरराष्ट्रीय वनडे खेला।
उन्होंने क्रिकेटर के तौर पर इस खेल से जरूर संन्यास लिया, लेकिन उसके बाद कमेंटेटर और लेखक के तौर पर क्रिकेट से और ज्यादा जुड़ गए। यही कारण था कि उन्होंने पिछले 10 साल से अपना जन्मदिन मुंबई में नहीं बनाया। वह इस दौरान किसी ना किसी दौरे पर कमेंट्री कर रहे थे। उन्होंने दैनिक जागरण से कहा कि कोरोना वायरस के कारण क्रिकेट संबंधी गतिविधियां बंद होने के कारण उन्हें 10 साल बाद मुंबई में परिवार के साथ जन्मदिन मनाने का मौका मिला है।
एक नहीं, दो फोटो खींचो : भारत के वर्तमान युवाओं में अधिकतर वे लोग हैं जिन्होंने गावस्कर को लाइव बल्लेबाजी करते हुए नहीं देखा है, लेकिन शायद ही ऐसा कोई हो जो उन्हें नहीं जानता हो। यही कारण है कि वह जब भी देश-विदेश में कमेंट्री करने जाते हैं तो आजकल के क्रिकेटरों से ज्यादा भीड़ उनके साथ सेल्फी खिंचवाने के लिए दौड़ती है।
कम से कम दो-तीन बार तो मेरे सामने ही ऐसा हुआ है जब लिफ्ट में ही प्रशंसकों ने उन्हें घेर लिया। जब भी कोई प्रशंसक उनसे कहता है कि सर आपके साथ सेल्फी लेनी है तो वह थोड़ा सीरियस होकर कहते हैं कि एक सेल्फी नहीं दूंगा। जैसे ही प्रशंसक सकते में आता है वह कहते हैं दो लो, एक क्यों? कुछ ऐसे ही मौजियल हैं गावस्कर साहब।
किस्सागोई के मास्टर : बल्लेबाजी करते समय जिस परफेक्ट अंदाज में सुनील गावस्कर के आगे और पीछे के पैर चलते थे वैसे ही अब उनका दिमाग चलता है। अगर भारतीय टीम विदेश दौरे पर हो और सुनील गावस्कर उस मैच में कमेंट्री कर रहे हों तो अधिकतर पत्रकार ब्रेक में उनके साथ ही बैठे नजर आते हैं। विदेश में मैचों, खासतौर पर टेस्ट मैच के दौरान जब गावस्कर कमेंट्री ब्रेक के बाद लाउंज में मिलते हैं तो ऐसे-ऐसे मजेदार किस्से सुनाते हैं कि सभी हंसते-हंसते लोटपोट हो जाते हैं।
नेट का रोग : सर डॉन ब्रेडमैन के 29 टेस्ट शतकों का रिकॉर्ड गावस्कर ने तोड़ा। क्रिकेट के किसी भी फॉर्मेट में 10000 रनों का आंकड़ा सबसे पहले इसी योद्धा ने पार किया। उनके जैसा बल्लेबाज ना हुआ है और ना ही होगा। उनकी तकनीक पर कोई सवाल उठा ही नहीं सकता, लेकिन हाल ही में पूर्व भारतीय विकेटकीपर किरण मोरे ने एक राज खोला। उन्होंने कहा कि गावस्कर नेट्स पर सबसे खराब बल्लेबाज थे।
वह नेट्स पर संघर्ष करते हुए नजर आते थे। नेट्स पर अभ्यास और टेस्ट में उनकी बल्लेबाजी में 99 फीसद से भी ज्यादा अंतर होता था। नेट्स पर उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखकर लगता था कि वह कैसे रन बना पाएंगे। अगले दिन मैच में उन्हें बल्लेबाजी करते हुए देखकर मुंह से वाह निकल जाता था।
टिप नहीं सम्मान चाहिए
25 जून 1983 को भारत ने वेस्टइंडीज को हराकर विश्व कप फाइनल जीता। तत्कालीन बीसीसीआइ अध्यक्ष एनकेपी साल्वे ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा था कि उन दिनों बोर्ड के पास बिल्कुल पैसा नहीं था। गावस्कर मेरे पास आए कि हमें विश्व कप जीतने के लिए क्या मिलेगा? मैंने गावस्कर से कहा कि न तो मेरे पास और न ही बोर्ड के पास कोई पैसा है। फिर भी हम कोशिश कर टीम को दो लाख रुपये देने की कोशिश करेंगे। गावस्कर का जवाब था सर हम टिप नहीं मांग रहे हैं।
गावस्कर को यह कहने के लिए पीछे से कपिल देव भड़का रहे थे और इस काम में फिर पूरी टीम शामिल हो गई थी। मैंने तीन लाख रुपये की पेशकश की तो गावस्कर का कहना था कि दो और तीन में क्या फर्क है, अच्छा होगा कि आप ये भी न दें। मैं फिर पांच और सात लाख तक पहुंच गया, लेकिन खिलाड़ी तैयार नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने साफ किया कि वे चाहते हैं कि उन्हें सम्मान मिले। इसके बाद लता मंगेशकर जी का कॉन्सर्ट कराकर सभी खिलाडि़यों को एक-एक लाख रुपये दिए गए।