क्या आपने सुना गौतम गंभीर का ये Emotional Message, देखें Video
कोलकाता नाइट राइर्डस के कप्तान के तौर पर गंभीर ने दो बार आइपीएल खिताब जीते हैं। वह दिल्ली की रणजी टीम तथा डेयरडेविल्स टीम के भी कप्तान रहे हैं।
नई दिल्ली, जेएनएन। साल 2011 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे पूर्व सलामी बल्लेबाज गौतम गंभीर ने क्रिकेट के सभी प्रारूप से संन्यास ले लिया। दिल्ली और आंध्र प्रदेश के बीच गुरुवार से फिरोजशाह कोटला मैदान पर खेला जाने वाला रणजी मुकाबला गंभीर के शानदार क्रिकेट करियर का अंतिम मैच होगा।
भारत के लिए 58 टेस्ट और 147 वनडे मैच खेलने वाले गंभीर ने ट्विटर पर इसकी जानकारी दी। गंभीर ने लिखा, 'जिंदगी में कड़े फैसले हमेशा भारी मन से लिए जाते हैं। भारी मन से मैं वह फैसला ले रहा हूं, जिसको लेने के ख्याल मात्र से ही मैं जिंदगी भर डरता रहा।'
The most difficult decisions are often taken with the heaviest of hearts.
And with one heavy heart, I’ve decided to make an announcement that I’ve dreaded all my life.
➡️https://t.co/J8QrSHHRCT@BCCI #Unbeaten — Gautam Gambhir (@GautamGambhir) 4 दिसंबर 2018
गंभीर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी कर कहा, 'आंध्र प्रदेश के साथ होने वाला रणजी ट्रॉफी मुकाबला मेरे करियर का अंतिम मैच होगा। मेरे करियर का अंत वहीं होने जा रहा है, जहां (कोटला स्टेडियम) से मैंने शुरुआत की थी। एक बल्लेबाज के तौर पर मैंने टाइमिंग का सम्मान किया है। मेरे लिए यह संन्यास लेने का सही समय है और मुझे लगता है कि यह मेरे शॉट्स की तरह ही स्वीट है।'
गंभीर के भावुक संदेश का वीडियो-
गंभीर ने 2016 में भारत के लिए अंतिम टेस्ट मैच खेला था। उनका करियर 1999 में शुरू हुआ था। गंभीर ने टेस्ट मैचों में 41.95 के औसत से कुल 4154 रन बनाए और वनडे मैचों में उनके नाम 5238 रन रहे। गंभीर ने भारत के लिए 37 टी-20 मैच भी खेले।
टेस्ट मैचों में गंभीर ने नौ शतक लगाए, जबकि वनडे मैचों में उनके नाम 11 शतक रहे। इसके अलावा गंभीर ने टी-20 मैचों में सात अर्धशतक लगाए।
अपने दो दशक के क्रिकेट करियर के दौरान गंभीर भारत के अलावा दिल्ली, दिल्ली डेयरडेविल्स, एसेक्स, कोलकाता नाइट राइर्डस के लिए खेले। कोलकाता नाइट राइर्डस के कप्तान के तौर पर गंभीर ने दो बार आइपीएल खिताब जीते हैं। वह दिल्ली की रणजी टीम तथा डेयरडेविल्स टीम के भी कप्तान रहे हैं।
उन्होंने अपने करियर को याद करते हुए कहा, 'सब कुछ खत्म हुआ गौती' मैदान, ड्रैसिंग रूम आप चाहे किसी भी चीज का नाम लें यह विचार मुझे शायद ही खाली छोड़ेंगे। मैं जब भी भारत, कोलकाता, दिल्ली डेयरडेविल्स के लिए मैदान पर उतरा, यह विचार मेरे दिमाग में एक गहरी और विचलित करने वाली आवाज की तरह रहा और ड्रेसिंग रूम में मेरे साथ गया।'
गंभीर ने कहा, 'जब मैं आइपीएल-2014 में लगातारी तीन बार शून्य पर आउट हुआ तो यह मुझे बेहद गहराई से चुभा। उसी साल जब मेरा इंग्लैंड का दौरा अच्छा नहीं रहा तो भी मैं निराश हुआ। 2016 में मुझे इंग्लैंड के खिलाफ खेले गए राजकोट टेस्ट के बाद से टीम से बाहर कर दिया गया था। लेकिन एक बार फिर मैंने ध्यान नहीं दिया। मैं इस आवाज को हराना चाहता था। फैसला लेने के बजाय मैंने अपने शरीर को सजा दी।'
गंभीर ने कहा, 'मैंने सपनों को सच होते देखा है। दो विश्व कप, दोनों के फाइनल में सबसे ज्यादा रन बनाना सपने जैसा था। मैंने विश्व कप जीतने का सपना आप लोगों के लिए देखा था। मुझे लगता है कि कहीं कोई मेरी कहानी लिख रहा था लेकिन अब ऐसा लगता है कि उसके पास स्याही कम पड़ गई है।'
बाएं हाथ के इस बल्लेबाज ने कहा, 'लेकिन उसने कुछ अच्छे चैपटर मेरी जिंदगी में लिखे। उसमें कहीं न कहीं नंबर-1 टेस्ट टीम का हिस्सा बनना था। जो ट्रॉफी को मैं सबसे ज्यादा खुश हो कर देखता हूं वो 2009 में आईसीसी द्वारा साल का सर्वश्रेष्ठ टेस्ट बल्लेबाज का खिताब मिलने वाली ट्रॉफी है।'
गंभीर ने काफी लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा, 'मेरी शुक्रिया अदा करने वाली सूची में क्यूरेटर, ग्राउंडसमैन, कई ड्रैसिंग रूम अटैंडर्स हैं। उन्होंने बदले में कुछ भी न मिलने के बाद भी काफी कुछ किया। मुझे उम्मीद है कि उनके जीवन में सुधार आया होगा। आप सभी का तहेदिल से शुक्रिया।'
अपने कोच के बारे में गंभीर ने कहा, 'मेरे क्रिकेट कोच संजय भारद्वाज हमेशा मेरे साथ मेरे उतार-चढ़ाव में खड़े रहे। मैं जब भी परेशानी में रहा तो मैं उनके पास गया। सर मैं नहीं जानता कि मैंने आपको अपने ऊपर गर्व करने का मौका दिया या नहीं लेकिन मैं एक बात निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि मेरे पास जो था मैंने वो सब कुछ झोंक दिया।'
गंभीर ने कहा कि वह भारतीय टीम के ड्रैसिंग रूम को याद करेंगे।
उन्होंने कहा, 'जो चीज मैं सबसे ज्यादा याद करूंगा वो भारतीय टीम का ड्रैसिंग रूम। वह शानदार जगह थी। हां बेशक अंतर्राष्ट्रीय मैचों का दबाव रहता है लेकिन जब आपके पास इस तरह के खिलाड़ी हों तो दबाव कुछ नहीं लगता।'