DDCA में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश, लोकपाल बोले- मैं नौकर नहीं
DDCA में भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद अब 5 साल के फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश भी लोकपाल ने दे दिए हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। देश की राजधानी दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में लाउंज, बार और रेस्तरां के निर्माण के आरोपों के बाद लोकपाल रिटायर्ड जस्टिस दीपक वर्मा ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ (डीडीसीए) के पांच साल के एकाउंट के फॉरेंसिक ऑडिट के आदेश दिए हैं।
लोकपाल ने शुक्रवार के आदेश में लिखा कि मुझे फाइनेंस और इंफ्रा कमेटी के सदस्य संजय भारद्वाज के मेल मिले, जिसमें उन्होंने कांट्रेक्टर जेवी जांगिड पर घोटाले के आरोप लगाए थे। मुझे साथ ही डीडीसीए के संयुक्त सचिव राजन मनचंदा, वकील सौरभ चढ्ढा, इंफ्रा कमेटी मैनेजर नीरज शर्मा और डीडीसीए के वकील गौतम दत्ता के भी ईमेल मिले। 15 मार्च को मैंने शीर्ष परिषद से कहा था कि निर्माण करने वाली कंपनी के सभी दस्तावेज दिखाएं। अब तक मुझे कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं बल्कि कई सदस्यों के मेल मिले हैं जो एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।कोई भी डीडीसीए अधिकारी मुझे दस्तावेज नहीं दिखा सका है।
डीडीसीए अधिकारियों के गंभीर आरोप के बाद डीडीसीए अकाउंट का फॉरेंसिक ऑडिट होना चाहिए। ऐसे में मैंने आदेश दिया है कि डीडीसीए के पिछले पांच साल के एकाउंट स्टेटमेंट के फॉरेंसिक ऑडिट जल्द से जल्द कराए जाएं। उन्होंने लिखा कि मैंने डीडीसीए के उपाध्यक्ष राकेश बंसल से ये जानकारियां उपलब्ध कराने को कहा था लेकिन मेरी जानकारी में आया है कि उन्हें अदालत ने निलंबित कर दिया है। ऐसे में अब यह जिम्मेदारी सचिव विनोद तिहारा को दी जाती है। सीए अनिल अग्रवाल डीडीसीए की वर्ष 2016-17, 2017-18, 2018-19 की बैलेंस शीट तैयार करें। साथ ही आइटीआर की जानकारी दें।
मैं डीडीसीए का नौकर नहीं : लोकपाल
फॉरेंसिक ऑडिट का आदेश देने के बाद लोकपाल का डीडीसीए के सदस्यों से अभद्र भाषा में ईमेल आने लगे इसके बाद दीपक वर्मा ने कहा कि मैं लोकपाल हूं, आपका या डीडीसीए का नौकर नहीं हूं। कुछ तथाकथित डीडीसीए सदस्य लगातार दीपक वर्मा को ईमेल करके उन्हें अपने आरोप गिनवा रहे थे और कुछ सुझाव दे रहे थे।
लोकपाल ने डीडीसीए सदस्यों को ईमेल में लिखा कि मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं कि ना तो मैं बाध्य हूं और ना ही यह मेरा काम है कि मैं सभी डीडीसीए सदस्यों के मेल का जवाब दूं। ना तो मैं आपका कर्मचारी हूं और ना ही आपका नौकर और ना ही डीडीसीए का। मैं सिर्फ शीर्ष परिषद सदस्य या अन्य डीडीसीए कमेटी के सदस्यों का जवाब देने के लिए बाध्य हूं। मौजूदा समय में मैं दिल्ली में नहीं बल्कि जबलपुर में हूं। मुझे यह कहते हुए खराब लग रहा है कि अब तक मुझे इतनी आक्रामक भाषा में मेल स्वीकार करने की आदत नहीं रही है।
मैं आपकी इस खराब को भाषा से बेहद अप्रसन्न हूं। मेरे पद संभालने के दिन से मैं डीडीसीए में बिना किसी निजी भाव के सुधार के सभी प्रयास कर रहा हूं। खासकर क्रिकेट के सुधार के लिए। आपके कई मेल दिल दुखाने वाले हैं। ऐसा देखने को मिला है कि आपके मन में मेरे और लोकपाल के पद की कोई इज्जत नहीं है। मैं आपको बताना चाहता हूं कि मैं अपने अधिकार क्षेत्र अच्छे से जानता हूं और हमेशा कोई भी आदेश देने के पहले इस बात का ख्याल रखता हूं। आप सभी के आरोप और तथाकथित सुझाव भविष्य में तभी सुने जा सकते हैं जब यह शीर्ष परिषद के जरिए मेरे पास पहुंचे।