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चार साल पर भारी पड़े 45 मिनट, भारतीय प्रशंसकों को मिली दिल को झकझोरने वाली हार

1983 और 2011 की विश्व कप चैंपियन भारतीय टीम को एक और खिताब जीतने के लिए अब कम से कम 2023 में भारत में होने वाले विश्व कप का इंतजार करना होगा।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 11 Jul 2019 09:16 AM (IST)Updated: Thu, 11 Jul 2019 09:20 AM (IST)
चार साल पर भारी पड़े 45 मिनट, भारतीय प्रशंसकों को मिली दिल को झकझोरने वाली हार

अभिषेक त्रिपाठी, मैनचेस्टर। 26 मार्च 2015 को सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे सेमीफाइनल में मिली 95 रनों की हार के बाद भारत ने 2019 विश्व कप की तैयारियां शुरू कर दी थीं। इसमें चौथे नंबर के बल्लेबाज की खोज भी शामिल थी, लेकिन चार साल का यह सफर न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाजों के शुरुआती 45 मिनट के स्पेल के आगे धराशायी हो गया। विराट की टीम नौ लीग मैचों में सात मुकाबले जीतने के बाद न्यूजीलैंड से 18 रनों से पराजित हो गई। 1983 और 2011 की विश्व कप चैंपियन भारतीय टीम को एक और खिताब जीतने के लिए अब कम से कम 2023 में भारत में होने वाले विश्व कप का इंतजार करना होगा।

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इसमें कोई शक नहीं कि यह पिच बल्लेबाजी के लिए आसान नहीं थी, लेकिन रवींद्र जडेजा (77) ने तो अच्छी बल्लेबाजी की और भारतीय बल्लेबाजों को उनसे सीख लेनी चाहिए थी। न्यूजीलैंड पिछले तीन मैच हारकर रन रेट के सहारे बड़ी मुश्किल से सेमीफाइनल में पहुंचे थे, लेकिन उनके गेंदबाजों ने सही स्पॉट पर गेंदबाजी करके अंकतालिका में नंबर वन पर रही टीम को बाहर का रास्ता दिखाया। इसी मैदान पर पाकिस्तान के तेज गेंदबाजों ने भारत को छोटी गेंदें फेंकें थीं, जबकि कीवी गेंदबाजों को पता था कि अगर भारत के शीर्ष क्रम को झकझोर दिया तो मैच उनके पक्ष में आ जाएगा और उन्होंने वैसा ही किया। भारत-न्यूजीलैंड के बीच ट्रेंट ब्रिज में लीग मुकाबला बारिश के कारण रद हो गया था, लेकिन यहां पर कीवियों ने बाजी मार ली। दूसरे सेमीफाइनल में ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड में से जो जीतेगा वह रविवार को लॉर्ड्स में फाइनल में न्यूजीलैंड से भिड़ेगा।

सबकुछ गड़बड़ हो गया

मंगलवार की बारिश के बाद बुधवार की सुबह सूरज की रोशनी ने ओल्ड ट्रैफर्ड मैदान को अपने आगोश में ले लिया था। पिछले दिन की अपेक्षा मैदान में कम लोग थे, क्योंकि जो लोग बाहर से छुट्टी लेकर यहां मैच देखने आए थे उनको होटल की बुकिंग नहीं मिली। सबकी वापस जाने की टिकट बुक थी और यहां पर ट्रेन की टिकट समय बीतने पर और मांग बढ़ने पर महंगी हो जाती है। ऐसे में कुछ लोगों को वापस अपने शहर जाना पड़ा। यही वजह थी कि सेमीफाइनल होने और भारतीय टीम के खेलने के बावजूद दूसरे दिन स्टेडियम आधे से ज्यादा खाली था। बहरहाल इस मैच की बात करते हैं।

न्यूजीलैंड की टीम मंगलवार के मैच को आगे बढ़ाते हुए बल्लेबाजी करने उतरी। उसके बल्लेबाज रॉस टेलर (74) और लाथम (10) भुवनेश्वर की एक दिन पहले की बची हुई पांच गेंदें खेलीं। जब मंगलवार को खेल रुका था तो न्यूजीलैंड का स्कोर 46.1 ओवर में 211/5 था। लाथम और टेलर ने स्कोर बढ़ाने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन रवींद्र जडेजा ने 48वें ओवर की आखिरी गेंद पर मिडविकेट की तरफ दौड़ते हुए थ्रो फेंका जो सीधे गिल्लियां उड़ा ले गया। उधर से सिर्फ एक डंडा दिख रहा था और टेलर को लग रहा था कि सीधा थ्रो नहीं लगेगा, लेकिन जडेजा तो जडेजा ही हैं। इसकी अगली ही गेंद पर भुवनेश्वर के ओवर में जडेजा ने लाथम का मिडविकेट पर ही शानदार कैच लपका। भुवी को आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर हेनरी (01) का विकेट भी मिला जो छक्का मारने के चक्कर में बाउंड्री से 20 मीटर पहले कोहली द्वारा कैच हुए। बुमराह ने आखिरी ओवर में सात रन दिए और न्यूजीलैंड ने भारत को 240 रनों का लक्ष्य दिया। न्यूजीलैंड ने अंतिम 23 गेंदों पर सिर्फ 28 रन बनाए।

वो 45 मिनट

240 रनों का लक्ष्य भारत को लग रहा था कि वह आराम से जीत लेंगे, लेकिन न्यूजीलैंड के गेंदबाजों ने जो किया वह दिल झकझोरने वाला था। तेज गेंदबाज मैट हेनरी, ट्रेंट बोल्ट और लॉकी फग्र्यूसन ने बादलों के नीचे ऐसा खेल दिखाया कि भारतीय बल्लेबाज नाचने लगे। दूसरे ओवर में ही हेनरी की गेंद टिप्पा खाकर बाहर की तरफ गई और इस विश्व कप में पांच शतक लगाने वाले रोहित (01) भी विकेटकीपर लाथम को कैच देकर बाहर की तरफ गए। मामला यहां खत्म नहीं हुआ, इसके अगले ओवर में बोल्ट ने कप्तान विराट कोहली (01) को एलबीडब्ल्यू कर दिया। रिव्यू में साफ दिख रहा था कि गेंद गिल्ली को ऊपर से हल्का छूते हुए जा रही थी, लेकिन अंपायर कॉल की वजह से विराट को जाना पड़ा। यह बायें हाथ के गेंदबाज की टिपिकल इनस्विंगर थी। बोल्ट ने कोहली के खिलाफ विशेष प्लान बनाया था। उन्होंने इस ओवर की पहली गेंद ऑफ स्टंप के बाहर फेंकीं और उसके बाद गेंद को अंदर लेकर आने लगे। अगले ओवर की पहली गेंद भारतीयों के दिल को दहलाने के लिए काफी थी।

पिछले विश्व कप के सेमीफाइनल में एक रन और 2016 चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पांच रन बनाकर आउट होने वाले विराट यहां भी ज्यादा रन नहीं बना सके। पिछले विश्व कप में उन्हें बायें हाथ के तेज गेंदबाज मिशेल जॉनसन, चैंपियंस ट्रॉफी में बायें हाथ के ही मुहम्मद आमेर और इस बार बायें हाथ के तेज गेंदबाज बोल्ट ने आउट किया। इसके बाद दूसरे ओपनर केएल राहुल (01) समझ ही नहीं पाए कि हेनरी की गेंद को खेलें या छोड़ें। हालांकि, लाथम ने सोच रखा था कि वह इस कैच को नहीं छोड़ेंगे। भारत ने सिर्फ 3.1 ओवर में पांच रन पर तीन विकेट गंवा दिए थे।

इस विश्व कप में पहली बार ऐसा हुआ जब भारत का शीर्ष क्रम शुरुआती तीन ओवर में ही ढह गया। अभी तक उसको शुरुआत के तीन बल्लेबाज ही जिताते आए थे और पहली बार मध्य क्रम की बारी थी। केदार जाधव की जगह अंतिम एकादश में आए दिनेश कार्तिक (06) 10वां ओवर बीतते-बीतते पवेलियन पहुंच चुके थे और पहले पावरप्ले के बाद भारत का स्कोर 24/4 हो गया था। यह इस टूर्नामेंट का सबसे खराब पावरप्ले रहा। नीशाम ने कार्तिक का शानदार कैच लिया और भारतीयों का हलक सूख गया। वह 25 गेंद पर एक चौका लगाकर आउट हुए।

पंत-पांड्या के गंदे शॉट

लोगों ने रिषभ पंत (32) को खिलाने के लिए शोर मचा रखा था, लेकिन मुझे पता था कि वह अभी बड़े मुकाबले के लिए अनुभवी नहीं हुए हैं। 13वें ओवर में नीशाम ने शॉर्ट मिडविकेट पर पंत का कैच छोड़ा। इस समय वह 18 रन पर थे। वह और हार्दिक पांड्या (32) सही दिशा में जा रहे थे। यह साझेदारी धीमे-धीमे आगे बढ़ रही थी, लेकिन हमेशा ढीली गेंद देखकर ललचाने वाले पंत यहां भी वही गलती कर गए। शिखर धवन के चोटिल होने के कारण टीम में और विजय शंकर के चोटिल होने के बाद अंतिम एकादश में आने वाले पंत ने स्पिनर मिशेल सेंटनर की गेंद पर एक्रॉस द लाइन जाकर शॉट मारा और बाउंड्री से काफी पहले ग्रैंडहोम के हाथों पकड़े गए। उनकी गलती से निराश होकर विराट अंदर से पवेलियन के बरामदे में आ गए। यहीं से 47 रनों की साझेदारी का अंत हुआ। पंत के पास चौथे नंबर की सीट अपने नाम पर रिजर्व करने का मौका था, लेकिन वह आउट हो गए। गोली खाकर खेल रहे पांड्या भी सेंटनर की गेंद पर ही गंदा शॉट खेलकर आउट हुए।

जडेजा और धौनी की उम्दा पारी

जब टीम दबाव में थी तो सभी उम्मीद कर रहे थे कि 350वां वनडे खेल रहे पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धौनी चौथे व पांचवें नंबर पर उतरेंगे, लेकिन वह इस मैच में सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करने उतरे। दिनेश कार्तिक के बाद धौनी के नहीं उतरने पर पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने कमेंट्री करते हुए इसकी आलोचना भी की। उन्होंने कहा कि धौनी कहां हैं? यह अकथनीय है। दबाव के समय उन्हें मैदान में आना चाहिए था। यह बर्दाश्त के काबिल नहीं है। पंत के आउट होने के बाद धौनी उतरे। उन्होंने रवींद्र जडेजा के साथ मिलकर सातवें विकेट के लिए विश्व कप की सबसे बड़ी साझेदारी (116 रन) की। जहां धौनी एक-एक रन ले रहे थे तो वहीं जडेजा अद्भुत बल्लेबाजी करते हुए किसी भी कीवी गेंदबाज को नहीं बख्श रहे थे। जडेजा ने तीन चौकों और तीन छक्कों की मदद से 39 गेंदों पर अर्धशतक ठोककर मैच को भारत के पक्ष में मोड़ा। उन्होंने इसके बाद एक चौका और एक छक्का मारा। वह अद्भुत फॉर्म में थे। 48वें ओवर में वह छक्का मारने के चक्कर में आउट हुए।

धौनी का रन आउट

भारत को आखिरी 12 गेंद पर 31 रन की जरूरत थी। धौनी ने फग्यूर्सन की पहली ही गेंद पर बैकवर्ड प्वांइट पर छक्का मारा। अगली गेंद यॉर्कर थी जिस पर वह रन नहीं ले सके। उसके बाद वाली गेंद उन्होंने दो रन लेने की कोशिश की, लेकिन मार्टिन गुप्टिल ने सीधे स्टंप पर मारकर उन्हें रन आउट कर दिया। धौनी के 50 रन तो पूरे हुए, लेकिन वह वापस पवेलियन चले गए। धौनी पिछले विश्व कप के सेमीफाइनल में रन आउट हुए थे। तब ग्लेन मैक्सवेल ने उनको पवेलियन भेजा था। इसके बाद भारत की हार तय हो गई थी। फर्ग्यूसन ने भुवनेश्वर और नीशाम ने चहल को आउट करके दूसरी बार फाइनल में प्रवेश किया।


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