रणजी मैच फीस का कम से कम 50 फीसद मुआवजा देने का प्रस्ताव, BCCI जल्द करेगी एलान
पिछले साल कोरोना वायरस महामारी के कारण भारत में रणजी ट्राफी का आयोजन नहीं हो सका था। ऐसे में बीसीसीआइ घरेलू क्रिकेटरों को कम से कम 50 फीसदी तक मुआवजा देने का फैसला कर सकती है। इसका प्रस्ताव जारी हो गया है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। कोरोना महामारी के कारण पिछले सत्र में रणजी ट्राफी रद होने के कारण घरेलू क्रिकेटरों को उनकी मैच फीस का कम से कम 50 फीसद मुआवजा मिल सकता है, बशर्ते भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड यानी बीसीसीआइ की शीर्ष परिषद कार्यसमूह के सुझाव मान ले। अंतिम फैसला हालांकि बोर्ड अध्यक्ष सौरव गांगुली और सचिव जय शाह लेंगे, जो 20 सितंबर को शीर्ष परिषद के साथ इस मसले पर चर्चा करेंगे।
समझा जाता है कि समिति ने कई प्रस्तावों पर बात की। समिति में भारत के पूर्व कप्तान मुहम्मद अजहरुद्दीन, युद्धवीर सिंह, संतोष मेनन, जयदेव शाह, अविषेक डालमिया, रोहन जेटली और देवजीत सैकिया शामिल हैं। ये सभी लोग किसी न किसी संघ के प्रमुख हैं। बोर्ड के एक सूत्र ने कहा, "अंतिम फैसला जय शाह को लेना है, लेकिन अधिकांश सदस्यों का मानना है कि कुल मैच फीस का कम से कम 50 फीसद मुआवजा मिलना चाहिए।"
इस समय रणजी मैच में अंतिम एकादश में रहने वाले खिलाड़ी को 35,000 रुपये प्रतिदिन और हर मैच का एक लाख 40 हजार रुपये फीस मिलती है। इसके मायने ये हैं कि कम से कम 70000 रुपये मुआवजे के तौर पर एक-एक मैच के लिए मिलेंगे। हालांकि, ये फैसला कैसे होगा कि कौन प्लेइंग इलेवन में होता और कौन अंतिम 15 में या इससे ज्यादा खिलाड़ियों में तो इसका फैसला शायद संघों को करना पड़े।
अगर बीसीसीआइ इस प्रस्ताव को स्वीकार करती है तो एक मोटी रकम बोर्ड को खिलाड़ियों को देनी होगी। इतना ही नहीं, स्कोरर, अंपायर और अन्य हितधारकों का भी ध्यान बीसीसीआइ रखना होगा, क्योंकि रणजी ट्राफी जैसे टूर्नामेंट से सिर्फ खिलाड़ियों ही नहीं, बल्कि अन्य सैकड़ों लोगों की भी आजीविका चलती है। हालांकि, इस साल रणजी ट्राफी का आयोजन किया जा रहा है, जिसकी शुरुआत साल के आखिर में होगी।