Move to Jagran APP

कोरोना पॉजिटिव पू्र्व भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान की हालत गंभीर, वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया

पूर्व भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान की हालत गंभीर बताई जा रही है और उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 06:01 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 06:03 PM (IST)
कोरोना पॉजिटिव पू्र्व भारतीय क्रिकेटर चेतन चौहान की हालत गंभीर, वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व क्रिकेटर चेतन चौहान जुलाई की शुरुआत में कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे और अभी उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है। उन्हें शुक्रवार की रात में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया है। जुलाई में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद लखनऊ में संजय गांधी पीजीआई अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें किडनी और ब्लड प्रेशर से संबंधित परेशानी भी हो गई और फिर उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है। 

loksabha election banner

73 साल के चेतन चौहान ने भारत के लिए 40 टेस्ट मैच और 7 वनडे मैच खेले थे। पिछले साल तक वो यूपी के स्पोर्ट्स मिनिस्टर थे, लेकिन बाद में उन्हें दूसरा मंत्रालय दे दिया गया था। वो भारतीय जनता पार्टी के सदस्य हैं और दो बार लोकसभा एमपी भी रह चुके हैं। चेतन चौहन ने भारत के लिए टेस्ट डेब्यू साल 1969 में न्यूजीलैंड के खिलाफ किया था। अपने टेस्ट करियर में उन्होंने 31.57 की औसत से 2084 रन बनाए थे। टेस्ट क्रिेकेट में उनके नाम पर कोई शतक नहीं है जबकि उन्होंने 16 अर्धशतक लगाए थे। इसके अलावा भारत के लिए 7 वनडे मैचों में उन्होंने कुल 153 रन बनाए थे। 

चेतन चौहान और सुनील गावस्कर ने टेस्ट क्रिकेट में भारत के लिए ओपनिंग बल्लेबाजी करते हुए 3000 से ज्यादा रन बनाए थे और दोनों के बीच 10 बार शतकीय साझेदारी भी हुई थी। साल 1979 में दोनों ने ओवल मैदान पर 213 रन की साझेदारी थी और मर्चेंट व मुस्ताक अली की 203 रन की साझेदारी को तोड़ा था। टेस्ट में इस बेहतरीन साझेदारी के लिए दोनों को याद किया जाता है। टेस्ट क्रिकेट में चौहान ने 2000 से ज्यादा रन बनाए थे, लेकिन वो एक बार भी शतक नहीं लगा पाए। वो टेस्ट इतिहास के पहले ऐसे खिलाड़ी बने थे जिनके नाम पर बिना किसी शतक के 2000 रन थे। 

चेतन चौहान ने भारत के आखिरी मैच साल 1981 में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेला था। इस टूर के बाद चौहान को टीम से ड्रॉप कर दिया गया और फिर कभी उन्हें भारत के लिए खेलने का मौका नहीं मिला। घरेलू मैचों में उनका रिकॉर्ड काफी शानदार था और उन्होंने 179 फर्स्ट क्लास मैचों में 40.22 की औसत से 11 हजार से भी ज्यादा रन बनाए। घरेलू मैचों में उन्होंने 21 शतक और 59 अर्धशतक भी लगाए थे। 1981 में उन्हें अर्जुन अवॉर्ड से नवाजा गया था और इसके बाद उन्होंने राजनीति का रुख कर लिया। वो साल 1991 और 1998 में बीजेपी की टिकट पर दो बार लोकसभा का चुनाव जीतकर एमपी भी बने। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.