इन गलतियों की वजह से ये टीमें नहीं पहुंची फाइनल में
आइपीएल सीजन 8 लगभग खत्म हो चुका है। दो टीमें फाइनल में अपना जगह बना चुकी है और बाकी सभी छह टीमों को बाहर होना पड़ा। आखिर खिताब की होड़ से बाहर हो चुकी टीमों में ऐसी क्या कमियां रहीं जिसकी वजह से वो फाइनल में अपना जगह नहीं बना
नई दिल्ली। आइपीएल सीजन 8 लगभग खत्म हो चुका है। दो टीमें फाइनल में अपना जगह बना चुकी है और बाकी सभी छह टीमों को बाहर होना पड़ा। आखिर खिताब की होड़ से बाहर हो चुकी टीमों में ऐसी क्या कमियां रहीं जिसकी वजह से वो फाइनल में अपना जगह नहीं बना सके। एक नजर डालते हैं उन टीमों की कमियों पर, जिसकी वजह से वो खिताब की होड़ से बाहर हो चुकी हैं।
राजस्थान रॉयल्स : डेथ ओवर
लगातार 5 जीत के साथ आइपीएल टूर्नामेंट में सबसे बेहतरीन शुरुआत के रिकॉर्ड की बराबरी करने वाली राजस्थान की टीम प्ले-ऑफ में तो पहुंची, लेकिन एलिमिनेटर में उनका सफर समाप्त हो गया। इस टीम के बाहर होने की मुख्य वजह आखिरी पांच ओवरों में इनकी गेंदबाजी रही। आखिरी पांच ओवरों में उनका इकोनॉमी रेट 11.6 का था, जो सभी टीमों में सबसे खराब रहा। जेम्स फॉकनर, टिम साउथी, शेन वॉटसन जैसे उनके प्रमुख गेंदबाजों ने पारी के आखिर में प्रति ओवर 12 से अधिक रन दिए। इन ओवरों में टीम केवल 22 विकेट ही चटका सकी। जबकि चेन्नई सुपर किंग्स के ड्वेन ब्रावो ने अकेले आखिरी पांच ओवरों में 21 विकेट चटकाए हैं।
दिल्ली डेयरडेविल्स : ज्यादा बदलाव
2013 और 2014 के सत्र में अंकतालिका में सबसे नीचे रही दिल्ली डेयरडेविल्स की टीम को इस बार उस शर्मनाक स्थिति का सामना नहीं करना पड़ा, लेकिन हकीकत यह है कि उनकी हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। वे नीचे से दूसरे स्थान पर रहे। उनके असफल होने की एक मुख्य वजह लगातार खिलाड़ियों का बदलना रहा। दिल्ली की टीम ने 2011 से लेकर अभी तक 64 खिलाड़ियों को मैदान पर उतारा है। यह किसी भी टीम का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इसी समयकाल में चेन्नई की टीम ने सिर्फ 38 खिलाड़ियों को मैदान पर उतारा। 2015 में दिल्ली ने 20 खिलाड़ियों को आजमाया, जो सत्र में किसी भी टीम द्वारा इस्तेमाल किए गए खिलाड़ियों की सबसे बड़ी संख्या है।
किंग्स इलेवन पंजाब : पावरप्ले में गंवाए विकेट
लीग चरण समाप्त होने के पहले ही यह तय हो गया था कि पिछले साल की उपविजेता टीम किंग्स इलेवन पंजाब आखिरी स्थान पर रहेगी। पावरप्ले में ढेर सारे विकेट गंवाना, उनकी लगातार हार की प्रमुख वजह रही। उन्होंने पावरप्ले में 32 विकेट गंवाए, जो किसी भी अन्य टीम से दस विकेट ज्यादा है। इन शुरुआती छह ओवरों में पंजाब के बल्लेबाजों ने 19.5 की औसत से रन बनाए, जबकि किसी भी अन्य टीम ने कम से कम 26.7 की औसत से रन बनाए। पंजाब की टीम ने 14 में से सात मैचों में 50 रन के भीतर तीन विकेट गंवाए, जो उनके पतन की एक और प्रमुख वजह रही।
सनराइजर्स हैदराबाद : फ्लॉप रहे गेंदबाज
डेल स्टेन, ट्रेंट बोल्ट, भुवनेश्वर कुमार, ईशांत शर्मा, प्रवीण कुमार, कर्ण शर्मा की मौजूदगी को देखते हुए सत्र की शुरुआत में गेंदबाजी को हैदराबाद की सबसे मजबूत कड़ी बताया जा रहा था, लेकिन उनकी गेंदबाजी फ्लॉप रही और टीम प्लेऑफ में जगह नहीं बना सकी। भुवनेश्वर कुमार को छोड़कर कोई भी दूसरा गेंदबाज इस सत्र में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले शीर्ष दस गेंदबाजों की सूची में शुमार नहीं हो सका। सनराइजर्स की तरफ से पूरे सत्र में केवल एक मेडन ओवर फेंका गया। कोई भी गेंदबाज एक मैच में चार या इससे अधिक विकेट नहीं ले सका। बाकी हर टीम के कम से कम एक गेंदबाज ने ऐसा किया। स्टेन, बोल्ट, कर्ण, प्रवीण में से कोई भी सत्र में दस विकेट तक नहीं ले सका।
कोलकाता नाइटराइडर्स : बल्लेबाजी में अगुआ नहीं
कोलकाता के तीन बल्लेबाज गौतम गंभीर, यूसुफ पठान और आंद्रे रसेल ने इस सत्र में 300 से ज्यादा रन बनाए, लेकिन कोई भी 400 रन तक नहीं पहुंच सका। पंजाब को छोड़कर अन्य छह टीमों में कम से कम एक बल्लेबाज ऐसा रहा, जिसने 400 से ज्यादा रन बनाए। बल्लेबाजी इकाई के तौर पर केकेआर ने 24.85 के औसत से रन बनाए, जो किंग्स इलेवन (18.33) के बाद दूसरा सबसे कम औसत है। इसके अलावा टीम की तरफ से केवल आठ अर्धशतकीय पारी खेली गई, जो एक बार फिर पंजाब (05) के बाद दूसरा सबसे खराब रिकॉर्ड है। टीम की तरफ से केवल 64 छक्के लगे, जो सभी टीमों के मुकाबले सबसे कम हैं।