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पिच के मामले पर बीसीसीआइ और एससीए आमने-सामने

बीसीसीआइ और एससीए पिच के मामले पर एक-दूसरे के आमने-सामने आ गए हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 01 Oct 2018 08:50 PM (IST)Updated: Mon, 01 Oct 2018 08:50 PM (IST)
पिच के मामले पर बीसीसीआइ और एससीए आमने-सामने
पिच के मामले पर बीसीसीआइ और एससीए आमने-सामने

नई दिल्ली, प्रेट्र। वेस्टइंडीज के खिलाफ दूसरे वनडे की मेजबानी के दौरान मुफ्त पास को लेकर मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (एमपीसीए) से जारी तनातनी के बीच अब भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) राजकोट में होने वाले पहले टेस्ट मैच की पिच को लेकर सौराष्ट्र क्रिकेट संघ (एससीए) के साथ एक नए विवाद में फंस गया। गुरुवार से दोनों देशों के बीच पहला टेस्ट मैच एससीए में खेला जाएगा और यहां की पिच को लेकर बीसीसीआइ और एससीए आमने-सामने हो गए हैं।

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भारतीय टीम के ऑस्ट्रेलिया दौरे से पहले बीसीसीआइ चाहता है कि वेस्टइंडीज के खिलाफ टेस्ट सीरीज से कोहली एंड कंपनी का कुछ अभ्यास हो जाए, इसलिए टीम प्रबंधन ने दोनों टेस्ट मैचों के लिए अधिक उछाल वाली पिच बनाने की इच्छा जाहिर की है। वेस्टइंडीज के पास अच्छे-खासे तेज गेंदबाज हैं और ऐसे में भारतीय टीम प्रबंधन युवा खिलाडि़यों को ऑस्ट्रेलिया के दौरे से पहले परखना चाहता है। इसके लिए बीसीसीआइ ने मुख्य क्यूरेटर दलजीत सिंह और विश्वजीक पेडियार को राजकोट भेजा है जो इस पर ध्यान रख सकें कि कैसी पिच बनाई जा रही है। हालांकि, इस फैसले के खिलाफ एससीए ने बीसीसीआइ के इस कदम पर ऐतराज जताया।

बीसीसीआइ के पूर्व सचिव और एससीए में दखल रखने वाले निरंजन शाह ने कहा, 'बोर्ड गलत परंपरा शुरू कर रहा है, क्योंकि सभी मान्यता प्राप्त संघों के पास अनुभवी पिच क्यूरेटर मौजूद हैं, जो 365 दिन काम करते हैं।' हालांकि, शाह ने यह साफ नहीं किया कि पहले टेस्ट के लिए कैसी पिच तैयार की जा रही है। एससीए के सदस्य शाह ने कहा, 'सौराष्ट्र एक पुराना संघ है। यह पिछले कई वर्षो से मैचों की मेजबानी कर रहा है। बीसीसीआइ का अपना क्यूरेटर भेजना गलत शुरुआत है। अगर मैच के बाद आइसीसी ने पिच को लेकर कोई ऐतराज जताया तो एससीए इसका जिम्मेदार नहीं होगा। बीसीसीआइ को ही सारी जिम्मेदारी तब लेनी होगी। खासकर तब, जब पिच को बनाने में हमारे किसी क्यूरेटर की भागीदारी नहीं है। लंबे समय से राज्य संघ की ही जिम्मेदारी पिच बनाने की रही है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षो से बीसीसीआइ ने हर स्थान पर अपने क्यूरेटर भेजने शुरू कर दिए। इस गलत प्रथा को और बढ़ाया जा रहा है। अगर बीसीसीआइ पिचों को लेकर चिंतित है तो उन्हें हर स्थल पर अपना क्यूरेटर नियुक्त करना चाहिए। फिर आपको स्थानीय क्यूरेटर की जरूरत क्यों है? बाहर से आने वाले लोगों से ज्यादा स्थानीय लोगों को बेहतर पता होता है।'

बीसीसीआइ के सम्मलेन (नियम नहीं) के अनुसार, जब पिच बन रही हो तो मुख्य क्यूरेटर को राज्य संघ से अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। स्थानीय क्यूरेटर को बीसीसीआइ के मुख्य क्यूरेटर के अंतर्गत काम करना होता है। एक बार टॉस से पहले जब मैदान को मैच रेफरी के हवाले कर दिया जाता है तब मुख्य क्यूरेटर का काम पूरा हो जाता है। पिछले महीने भारतीय टीम को इंग्लैंड दौरे पर टेस्ट सीरीज गंवानी पड़ी थी और इस बार ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए कोहली एंड कंपनी के पास तैयारी करने के लिए कम से कम 10 दिन होंगे। इसके साथ ही राजकोट दूसरे अंतरराष्ट्रीय टेस्ट मैच की मेजबानी करेगा। इससे पहले उसने भारत और इंग्लैंड के मैच की मेजबानी की थी जो मैच ड्रॉ रहा था।


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