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कभी सौरव गांगुली के खिलाफ गेंदबाजी करने वाला ये क्रिकेटर आज दाल पूड़ी बेचने को है मजबूर

असम की टीम के लिए तीन फर्स्ट क्लास क्रिकेट मैच खेल चुके Prakash Bhagat के आज सितारे गर्दिश में हैं क्योंकि उनको चाय और दाल पूड़ी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है क्योंकि उनके पास घर चलाने के लिए पैसे नहीं हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 07 Jul 2021 10:30 AM (IST)
कभी सौरव गांगुली के खिलाफ गेंदबाजी करने वाला ये क्रिकेटर आज दाल पूड़ी बेचने को है मजबूर
सौरव गांगुली समेत कई क्रिकेटरों से मिल चुके हैं Prakash Bhagat (फोटो आइएएनएस)

सिलचर, आइएएनएस। क्रिकेट ही नहीं, बल्कि खेल की दुनिया में हर किसी को सफलता मिले, ये मुमकिन नहीं है। यहां तक कि किसी भी खेल में आगे बढ़ने के लिए हौसले और जुनून से कहीं ज्यादा पैसों की भी जरूरत होती है। यहां तक कि पैसों की वजह से कई बार सफलता की सीढ़ी चढ़ने से पहले आपको अपने पैर पीछे खींचने पड़ जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है असम के लिए रणजी क्रिकेट खेल चुके प्रकाश भगत के साथ, जिन्हें अब अपना गुजारा करने के लिए चाय और दाल पूड़ी बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा है।

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प्रकाश भगत असम राज्य के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और स्टेट लेवल के टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं। भगत असम की टीम के लिए तीन रणजी मैच खेल चुके हैं। टीम के सदस्य के तौर पर उन्होंने 2010 और 2011 में रणजी ट्रॉफी में रेलवे, जम्मू-कश्मीर और गोवा के खिलाफ मुकाबले खेले हैं। हालांकि, फर्स्ट क्लास क्रिकेट के पहले तीन मैचों में उनको उस तरह की सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद उनको और उनके परिवार को रही होगी। उन्होंने सिर्फ एक ही विकेट तीन मैचों की 3 पारियों में हासिल किया है।

प्रकाश भगत ने बताया है कि उन्होंने साल 2003 में बेंगलुरु स्थित राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में ट्रेनिंग ली थी। भगत ने न्यूज एजेंसी आइएएनएस से फोन पर बात करते हुए कहा, "एनसीए ट्रेनिंग के दौरान मैंने सौरव गांगुली को गेंदबाजी की थी। उस समय मुझे सचिन तेंदुलकर, जहीर खान, हरभजन सिंह और वीरेंद्र सहवाग से मिलने का मौका मिला था।" सौरव गांगुली इसलिए इस गेंदबाज से गेंदबाजी कराना चाहते थे, क्योंकि गांगुली एक ऐसा स्पिनर चाह रहे थे जो न्यूजीलैंड के डेनियल विटोरी की तरह गेंदबाजी करता हो।

उन्होंने कहा, "मुझे अपने पिता के निधन के बाद 2011 में क्रिकेट छोड़ना पड़ा। मेरे पिता और बड़े भाई दीपक भगत चाट बेचते थे। पिता के निधन के बाद मेरे भाई भी बीमार पड़ गए। दीपक शादीशुदा हैं और उनके दो छोटे बच्चे हैं।" भगत ने आगे बताया कि अगर असम क्रिकेट संघ (एसीए) या अन्य कोई संस्थान उनकी वित्तीय रुप से मदद करता है तो वह अपना क्रिकेट करियर फिर से शुरू कर सकेंगे।

भगत ने कहा, "क्रिकेट छोड़ने के बाद मैंने परिवार चलाने के लिए एक मोबाइल कंपनी में काम करना शुरू किया, लेकिन कोरोना के कारण लागु हुए लॉकडाउन में मैंने पिछले साल अपनी नौकरी खो दी।" पूर्व रणजी खिलाड़ी मनिमय रॉय ने कहा कि वित्तीय सहायता की कमी के कारण पूर्वोत्तर के ज्यादातर खिलाड़ियों खेल को छोड़ रहे हैं।


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