18 साल बाद रणजी ट्रॉफी में खेलेगी बिहार क्रिकेट टीम, सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश
बिहार की टीम 18 साल बाद इस प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट में भाग लेगी। साथ ही बिहार अगले सत्र में बीसीसीआइ के अन्य टूर्नामेंटों में भी भाग लेगा।
नई दिल्ली, जेनएन। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिहार की क्रिकेट टीम का रणजी ट्रॉफी में खेलने का रास्ता साफ कर दिया है। बिहार की टीम 18 साल बाद इस प्रतिष्ठित घरेलू टूर्नामेंट में भाग लेगी। साथ ही बिहार अगले सत्र में बीसीसीआइ के अन्य टूर्नामेंटों में भी भाग लेगा। अगले सत्र की शुरुआत सितंबर से होगी, जबकि रणजी ट्रॉफी के मुकाबले छह अक्टूबर से खेले जाएंगे।
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र, न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कोर्ट के पहले के आदेश पर अमल नहीं करने के कारण बीसीसीआइ के अधिकारियों के खिलाफ क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार (कैब) की अवामनना याचिका पर सुनवाई की। चार जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार को रणजी समेत सभी टूर्नामेंट खेलने के लिए हरी झंडी दिखा दी थी। इसके बावजूद विजय हजारे ट्रॉफी में बिहार का नाम नहीं था और आइपीएल में भी राज्य के खिलाड़ियों की नीलामी नहीं हुई।
सुप्रीम कोर्ट के इसी आदेश की अवहेलना का हवाला देते हुए कैब के सचिव आदित्य वर्मा ने अवमानना वाद याचिका दायर की थी, जिसके अनुसार अगर विजय हजारे ट्रॉफी के कार्यक्रम में बिहार शामिल नहीं है तो उसे रणजी ट्रॉफी में भी खेलने से बोर्ड रोक सकता है। इस पर मंगलवार को सुनवाई हुई और फैसला बिहार के हक में सुनाया गया। कोर्ट ने कहा कि बिहार अगले सत्र से रणजी तो खेलेगा ही, जिस पर फैसला पिछले आदेश में सुना दिया गया था। साथ ही अब बिहार की टीम विजय हजारे समेत बोर्ड के अन्य टूर्नामेंट में भी शिरकत करेगी।
पहले उत्तर-पूर्व के राज्यों से खेलेगा बिहार
मालूम हो कि बीसीसीआइ के महाप्रबंधक सबा करीम ने सुप्रीम कोर्ट के चार जनवरी के आदेश की कॉपी बोर्ड के तकनीकी समिति के चेयरमैन सौरव गांगुली को सौंपी थी। इसके बाद गांगुली ने बिहार को रणजी ट्रॉफी खेलने का प्रस्ताव दिया, जिसके बाद बोर्ड ने संविधान का मसौदा तैयार किया। बहरहाल बिहार की टीम को रणजी के मुख्य दौर में प्रवेश के लिए पहले उत्तर-पूर्व के राज्यों से दो-दो हाथ करना पड़ेगा। इसके बाद दो शीर्ष टीमें मुख्य दौर में क्वालीफाई करेंगी।
तीन दिन में दें राय
बीसीसीआइ ने मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट में संविधान के मसौदे की कॉपी भी सौंप दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर किसी राज्य संघ को संविधान के मसौदे पर राय देनी हो तो, वे तीन दिनों के अंदर एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रहमण्यम को सौंप दें।
अरब सागर में फेंक देना चाहिए यह संविधान
कोर्ट ने अन्य मामलों में कहा कि महाराष्ट्र क्रिकेट संघ (एमसीए) के चुनाव 11 मई तक नहीं होंगे। एमसीए का संविधान लोढ़ा समिति के आदेश के मुताबिक नहीं है। इस संविधान को अरब सागर में फेंक देना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि बिहार के संविधान मसौदे और एमसीए मामले की अगली सुनवाई 11 मई को होगी। एमसीए के चुनाव पहले बुधवार को होने थे।
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इन पर दोबारा विचार होगा
सुप्रीम कोर्ट बीसीसीआइ में ‘एक राज्य एक वोट’ के आदेश पर दोबारा विचार के लिए तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश में जिन क्रिकेट सदस्यों ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया कि बीसीसीआइ के लिए तैयार हो रहे संविधान के नए मसौदे में हो सकता है कि चयनकर्ताओं की संख्या सिर्फ तीन तक सीमित नहीं रहे।
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