भारत को अभ्यास मैच नहीं खेलने का खामियाजा भुगतना पड़ा
ओवल की पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी है और भारत के पास सम्मान बचाने का मौका है
(गावस्कर का कॉलम )
इंग्लैंड में भारत ने इतिहास रचने का मौका गंवा दिया। 1-2 से पिछड़ने के बाद जबरदस्त वापसी करते हुए भारत के पास सीरीज जीतने का मौका था। दक्षिण अफ्रीका की तरह भारतीय गेंदबाजों ने विपक्षी टीम के बल्लेबाजों को ढेर किया, लेकिन बल्लेबाजों ने सारा काम खराब कर दिया। दोनों ही दौरों पर कप्तान विराट कोहली का प्रदर्शन ही चमकदार रहा, लगा कि वह दूसरे ग्रह से आए हैं क्योंकि उनके लिए बल्लेबाजी बहुत ही आसान लग रही थी। हालांकि इस दौरान उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने बेहद आसानी से 500 रन बना डाले।
इंग्लैंड में 500 रन बनाकर उन्होंने आलोचकों का मुंह बंद कर दिया। इसी वजह से वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज हैं। दुर्भाग्य से उन्हें दूसरे बल्लेबाजों का साथ नहीं मिला और दक्षिण अफ्रीका की तरह यहां भी बाकी बल्लेबाजी ताश के पत्तों की तरह ढह गई। यह बात सही है कि गेंद काफी स्विंग कर रही थी, लेकिन अभ्यास मैच नहीं खेलने की जिद की वजह से उन्होंने स्विंग गेंद को खेलने में महारत हासिल करने का मौका गंवा दिया। इसके बाद मोइन अली के खिलाफ बल्लेबाजों ने घुटने टेके, जिस पर विश्वास करना मुश्किल है क्योंकि भारतीयों को स्पिन का अच्छा खिलाड़ी माना जाता है।
गेंद की पिच तक आने के लिए पैरों का इस्तेमाल ही नहीं किया गया। बहुत ज्यादा सफेद गेंद से खेलने की वजह से बल्लेबाजों की तकनीक खराब हो रही है। कोई चाहे कितनी भी नेट प्रैक्टिस करे, लेकिन मैच अभ्यास की अपनी ही बात होती है। चाहे वह निचले स्तर की गेंदबाजी के खिलाफ ही क्यों ना हो।हमारे गेंदबाजों की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है। उन्होंने पूरे दिल से गेंदबाजी की है। इशांत शर्मा, मुहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह ने लगातार अच्छी गेंदबाजी की और इंग्लिश बल्लेबाजों को परेशान किया।
ओवल की पिच बल्लेबाजी के लिए अच्छी है और भारत के पास सम्मान बचाने का मौका है, लेकिन यह आसान नहीं होगा क्योंकि आसमान में बादल होंगे। जब तक बल्ले की स्पीड कम नहीं होगी तब तक बल्लेबाज संघर्ष करेगा। यही सफेद और लाल गेंद में बड़ा फर्क है और दौरे पर यही समस्या सबसे ज्यादा देखने को मिली है।ओवल टेस्ट एलिस्टेयर कुक का आखिरी मैच होगा, जिन्होंने इंग्लैंड के लिए शानदार प्रदर्शन किया है। साथ ही इस लोकप्रिय मैदान पर युवा पृथ्वी शॉ का पदार्पण हो सकता है और आखिरी टेस्ट के प्रति उत्सुकता बढ़ने का एक यह भी कारण है।