भगवान जैसे हैं सचिन
(रवि शास्त्री) हम जानते थे कि वेस्टइंडीज की टीम तीसरे दिन से अधिक खेल को नहीं खींच पाएगी। इसके बावजूद हम इस पल के लिए तैयार नहीं थे। अपनी आंखों से निकल आए आंसू पोछते हुए सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर से जुड़ी यादें ताजा कीं। वह धीरे और सतर्कता से बोल रहे थे।
(रवि शास्त्री) हम जानते थे कि वेस्टइंडीज की टीम तीसरे दिन से अधिक खेल को नहीं खींच पाएगी। इसके बावजूद हम इस पल के लिए तैयार नहीं थे। अपनी आंखों से निकल आए आंसू पोंछते हुए सचिन तेंदुलकर ने अपने क्रिकेट करियर से जुड़ी यादें ताजा कीं। वह धीरे और सतर्कता से बोल रहे थे। उन सभी लोगों के बारे में जिन्होंने उनकी इस यात्रा में अहम भूमिका निभाई। अपना आखिरी सलाम उन्होंने क्रिकेट की उस पिच के लिए रखा हुआ था, जिस पर उन्होंने अपनी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा बिताया। पिच को छूकर उन्होंने उसके प्रति आभार प्रकट किया।
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इस इंसान ने धैर्य, साहस, विशालता के उच्चतम मानक निर्धारित किए। साथ ही मानवता, विनम्रता, निष्पक्षता और खेल भावना के भी। उन्होंने कभी किसी के लिए बुरा नहीं कहा, कभी आपा नहीं खोया, कभी अंपायर के निर्णय पर सवाल खड़ा नहीं किया और न ही कभी स्लेजिंग का जवाब ही दिया। उनके मन में अपने सीनियर्स के लिए हमेशा सम्मान रहा और युवाओं के लिए हमेशा समय। उनकी आत्मा की पवित्रता सभी विवादों और घोटालों से अछूती रही। और इस शरीर के अंदर एक आदर्श साधु और एक योद्धा रखना आसान बात नहीं है। हमें अब कभी उनके जैसा कोई देखने को नहीं मिलेगा। न ही एक क्रिकेटर के तौर पर और न ही एक इंसान के तौर पर। हम इंसानों के बीच वह एक भगवान जैसे हैं।
यह दोनों टेस्ट छह दिन से भी कम चले। वेस्टइंडीज आई और बिना कोई छाप छोड़े चली भी गई। आश्चर्यजनक रूप से वेस्टइंडीज का हाल यहां कोलकाता से भी बुरा हुआ। यह अच्छी बल्लेबाजी पिच थी, लेकिन परिणाम फिर भी वही रहा। हालांकि प्रदर्शन के मामले में शेन शिलिंगफोर्ड एकमात्र अपवाद रहे। सच कहूं तो मुझे क्रिस गेल और शिवनारायण चंद्रपॉल जैसे बल्लेबाजों की मौजूदगी वाली टीम से कहीं अधिक अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद थी।
भारत को इस मैच में नई गेंद की अच्छी जोड़ी मिली। स्पिन विभाग में अश्विन और ओझा फिर फॉर्म में लौटते दिखे। ओझा ने विशेष मैच में विशेष प्रदर्शन किया। यहां उनकी गेंदों का उछाल, टर्न और विविधता कैरेबियाई बल्लेबाजों के लिए बेहद कठिन साबित हुई। डेरेन सैमी को अब नए सिरे से टेस्ट कप्तान के तौर पर अपनी उपयोगिता साबित करनी होगी। यह सब वह फिर कभी कर सकते हैं, लेकिन यह वक्ततो पूरी तरह सचिन तेंदुलकर का है। (टीसीएम)
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