किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं होती अच्छी टीम
रवि शास्त्री। श्रीलंका के खिलाफ जिस तरह टीम इंडिया ने घुटने टेके वह काफी तकलीफ देने वाला है। मौजूदा हालात में भारतीय टीम का अभियान उम्मीद की बारीक डोर पर टिका है। वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली हार काफी हद तक हालात पर निर्भर थी, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ मिली शिकस्त काफी चौंकाने वाली रही। एक ऐसी टीम जिसने चैंपिंयस ट्रॉ
रवि शास्त्री। श्रीलंका के खिलाफ जिस तरह टीम इंडिया ने घुटने टेके वह काफी तकलीफ देने वाला है। मौजूदा हालात में भारतीय टीम का अभियान उम्मीद की बारीक डोर पर टिका है। वेस्टइंडीज के खिलाफ मिली हार काफी हद तक हालात पर निर्भर थी, लेकिन श्रीलंका के खिलाफ मिली शिकस्त काफी चौंकाने वाली रही। एक ऐसी टीम जिसने चैंपिंयस ट्रॉफी में अधिकतर टीमों को धूल चटाई, उसने श्रीलंका के खिलाफ 348 रन लुटाए। बेशक भुवनेश्वर कुमार की कमी खली, लेकिन अन्य खिलाड़ियों ने क्या किया। फील्डिंग ने भी यहां नीचा दिखाया।
अभी भी भारतीय टीम अपने बचे दोनों मैचों को जीतने से बढ़कर कुछ नहीं कर सकती। बेशक धौनी की कमी टीम को खलेगी, लेकिन अच्छी टीम किसी एक खिलाड़ी पर निर्भर नहीं होती। मगर आपको इस बात को मानना पड़ेगा कि धौनी कोई साधारण खिलाड़ी नहीं हैं। भारत को एक अच्छी शुरुआत की जरूरत है। भारत के लिए सबसे बड़ी समस्या यह है कि उसके बल्लेबाज बड़ा स्कोर खड़ा नहीं कर पा रहे हैं। टीम इंडिया ने श्रीलंका के खिलाफ टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी इसलिए चुनी क्योंकि बल्लेबाजी उनकी मजबूती है। इसके अलावा उन्होंने सोचा कि पहले कुछ ओवरों में पिच में नमी होगी, जैसी कि वेस्टइंडीज के खिलाफ मैच में देखने को मिली थी। मगर श्रीलंका ने संभलकर खेलते हुए भारत के अनुमान को गलत साबित कर दिया।
त्रिनिदाद में भारत को बिल्कुल घर जैसा अहसास होगा। मगर साथ ही यह वेस्टइंडीज के वनडे कप्तान डवेन ब्रावो और स्पिनर सुनील नरेन का भी घरेलू मैदान है। मेजबान टीम अपनी पूरी लय में है और श्रीलंका के खिलाफ बोनस अंक से जीत हासिल कर चुकी है। अब अगर भारत को उससे हार मिलती है तो उसका अभियान यहीं खत्म हो सकता है। जमैका के मुकाबले त्रिनिदाद की पिच स्पिनरों की अधिक मददगार है। कम से कम उछाल के मामले में तो ऐसा ही है। अश्विन और रवींद्र जडेजा जमैका में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए। मगर यहां उन्हें अपनी प्रतिभा के साथ न्याय करना होगा।
भारतीय क्रिकेट का भविष्य सामने है। यह युवा खिलाड़ी अगली पीढ़ी के मार्गदर्शक हैं। अधिकतर पीढ़ीगत बदलाव काफी तकलीफदेह होते हैं, लेकिन भारतीय टीम के साथ ऐसा नहीं है। मौजूदा भारतीय टीम के खिलाड़ी अगले 5-7 सालों तक टीम की सेवा कर सकते हैं। प्रशंसक लक्ष्मण, कुंबले और द्रविड़ की अगली पीढ़ी की ओर देख रहे हैं और उम्मीद है कि उन्हें उनके सवालों का जवाब मिल गया होगा। (टीसीएम)
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