दुआ करें, विवादों से दूर रहे यह विश्व कप: गावस्कर
बिना किसी प्रबल दावेदार के गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में क्रिकेट विश्व कप के 11वें संस्करण का रंगारंग आगाज हो गया, हालांकि पहला मुकाबला शनिवार को खेला जाएगा। इससे पहले हुए विश्व कप के सभी संस्करणों में कोई न कोई टीम ऐसी होती थी, जो खिताब की प्रबल दावेदार
(गावस्कर का कॉलम)
बिना किसी प्रबल दावेदार के गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में क्रिकेट विश्व कप के 11वें संस्करण का रंगारंग आगाज हो गया, हालांकि पहला मुकाबला शनिवार को खेला जाएगा। इससे पहले हुए विश्व कप के सभी संस्करणों में कोई न कोई टीम ऐसी होती थी, जो खिताब की प्रबल दावेदार मानी जाती थी। हालांकि कुछ अप्रत्याशित उलटफेर की वजह से प्रबल दावेदार भी खिताब जीतने में नाकाम रहे, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण 1983 विश्व कप है, जहां भारत चैंपियन बना था और 1996 का विश्व कप जहां श्रीलंकाई टीम ने सभी को चौंकाते हुए विश्व खिताब अपने नाम किया था। 1983 में खिताब के लिए वेस्टइंडीज सभी की चहेती टीम थी, लेकिन फाइनल में वह भारत के हाथों हार गई, जबकि 1996 में ऑस्ट्रेलिया और वेस्टइंडीज को खिताब का प्रबल दावेदार माना गया था। वेस्टइंडीज सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ सकी और ऑस्ट्रेलिया को फाइनल में श्रीलंका ने कोई मौका नहीं दिया।
इस बार दोनों मेजबान देशों के साथ दक्षिण अफ्रीका को भी खिताब का दावेदार माना जा रहा है। ऑस्ट्रेलिया की टीम अच्छी है, लेकिन कप्तान माइकल क्लार्क की फिटनेस टीम के लिए चिंता का सबब है। कुछ अभ्यास मैच खेलकर वह अपनी फिटनेस साबित करने में लगे हुए हैं, लेकिन सवाल यह है कि अपनी फिटनेस साबित करने की उन्हें इतनी जल्दी क्यों है, जबकि इससे लिए उन्हें 21 फरवरी तक की मोहलत दी गई है। उधर, अभ्यास मैच में न्यूजीलैंड के हाथों हार बड़े टूर्नामेंट से पहले दक्षिण अफ्रीकी टीम की आंखें खोलने के लिए काफी है। द्विपक्षीय टूर्नामेंट में तो दक्षिण अफ्रीकी टीम का प्रदर्शन लाजवाब रहता है, लेकिन विश्व कप में वे ऐन मौके पर लडख़ड़ा जाते हैं। यदि इस बार वे अपनी भावनाओं व दबाव पर काबू पा लेते हैं तो 'चोकर्स' का ठप्पा हमेशा के लिए उन पर से हट सकता है।
भारत के लिए क्या कहा जाए। फिलहाल तो खिलाड़ी अपने सर्वश्रेष्ठ के आस-पास भी नजर नहीं आ रहे हैं और टीम का अंतिम संयोजन क्या होगा इस पर भी अभी तक फैसला नहीं हो पाया है। लीग चरण में उन्हें दो कड़े मुकाबले खेलने हैं। पहला पाकिस्तान के खिलाफ और फिर दक्षिण अफ्रीका के साथ। यदि ये दो मुकाबले भारत जीतने में कामयाब रहता है तो फिर टीम को अपना विजयी संयोजन मिल जाएगा और वे लय में लौट आएंगे। श्रीलंका भी वह टीम है जिस पर सभी की नजर रहेगी। यदि मलिंगा पूरी तरह फिट हो जाते हैं और उनके बल्लेबाजों का बल्ला बोलने लगता है तो फिर पिछले दो विश्व कप की उपविजेता टीम एक बार फिर फाइनल में जगह बना सकती है। पाकिस्तान की टीम पर कोई दबाव नहीं है और इस कारण खिलाड़ी खुलकर प्रदर्शन कर सकते हैं। पाकिस्तानी खिलाड़ी जब ऐसा करते हैं तो बड़ी से बड़ी टीम उनके सामने घुटने टेक देती है। अन्य टीमें भी एक-दो उलटफेर करने का माद्दा रखती हैं, लेकिन उनका खिताब तक पहुंच पाना नामुमकिन सा नजर आता है। ऐसे में अब हम सब टूर्नामेंट में पहली गेंद फेंके जाने का इंतजार करें और साथ ही यह दुआ भी करें कि टूर्नामेंट में कोई भी विवाद न हो और इसे हमेशा ही एक शानदार क्रिकेट टूर्नामेंट के लिए याद किया जाए।