इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा रहाणे को टीम से बाहर बैठाना सही फैसला नहीं
इस सीरीज में जिस ढंग से खिलाडिय़ों का चयन किया गया है, उसे देखकर लगता है कि सभी अच्छे लोगों को बाहर बैठाया गया है।
(गावस्कर का कॉलम)
श्रीलंका के खिलाफ भारत शानदार क्रिकेट खेल रहा है। हां यह सही है कि वह दुनिया की सर्वश्रेष्ठ विपक्षी टीम नहीं है और भले ही उनकी गेंदबाजी अंतररराष्ट्रीय स्तर के अनुसार न हो लेकिन उनकी बल्लेबाजी निश्चित तौर पर विश्वस्तरीय है। मगर ये बल्लेबाज फंसे हुए महसूस कर रहे हैं और उन्हें खुलकर खेलने का मौका नहीं मिल पा रहा है। वो भी बल्लेबाजों के लिए अनुकूल पिच पर। इसका श्रेय भारतीय गेंदबाजों को मिलना ही चाहिए। अपनी गति में परिवर्तन के साथ जसप्रीत बुमराह शानदार साबित हो रहे हैं और वह अपनी मर्जी से तेज यॉर्कर भी फेंक रहे हैं। यॉर्कर की वजह से ही लंकाई बल्लेबाजों को पिच पर पीछे रहकर खेलना पड़ रहा है। शार्दुल ठाकुर ने अपने पहले ही मैच में अच्छी आक्रामक गेंदबाजी की और सपाट पिच पर भी वह खतरनाक दिखे। इसके अलावा कुलदीप की चतुराई भरी गेंदबाजी से लंकाई खिलाड़ी एक बार फिर से सस्ते में निपट गए। पांड्या ने भी दो विकेट हासिल किए और वो भी छक्का खाने के बाद, इससे उनके धैर्य का पता चलता है। भारत ने उम्मीद के अनुसार टीम में बदलाव किए और भुवनेश्वर कुमार, केदार जाधव और युजवेंद्र चहल को आराम दिया। राहुल को एक और मौका मिला, जबकि वेस्टइंडीज के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई वनडे सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले अजिंक्य रहाणे को फिर से मौका नहीं मिला। उन्हें भी क्रीज पर कुछ समय बिताना चाहिए था। इसके बजाय हार्दिक पांड्या को बल्लेबाजी क्रम में ऊपर भेजा गया। इससे बहुत ज्यादा फर्क नहीं पड़ा क्योंकि शर्मा अगले ओवर में आउट हो गए और उनकी जगह आए राहुल कभी भी टिकते नहीं दिखे। वह एक बार फिर से धनंजय की गुगली को परखने में विफल रहे। एक खिलाड़ी में भरोसा जताना समझ में आता है, लेकिन इसके लिए फॉर्म में चल रहे खिलाड़ी को बाहर बैठाना सही नहीं है। इस सीरीज में जिस ढंग से खिलाडिय़ों का चयन किया गया है, उसे देखकर लगता है कि सभी अच्छे लोगों को बाहर बैठाया गया है। उन्हें अपने व्यक्तिगत करियर को आगे बढ़ाने का मौका नहीं मिल पा रहा है। शायद उन्हें भी कुछ अलग हेयर स्टाइल और टैटू वगैरह बनवाना चाहिए ताकि उनका चयन में टीम में हो सके।