महानता की ओर बढ़ रही भारतीय टीम
किसी भी देश की क्रिकेट में ऐसा वक्तआता है, जब सब कुछ सही हो रहा हो। रन बनते हैं, विकेट मिलते हैं, मैच जीतते हैं।
(रवि शास्त्री का कॉलम)
किसी भी देश की क्रिकेट में ऐसा वक्तआता है, जब सब कुछ सही हो रहा हो। रन बनते हैं, विकेट मिलते हैं, मैच जीतते हैं। एक ग्रुप साथ होता है, वो अपने लिए ऐसे लक्ष्य बनाता है, जो हमें आपको इतनी आसानी से नहीं दिखाई देता। क्या वाकई विराट कोहली की टीम हर वक्त पहले से बेहतर हो रही है?
अश्विन सिर्फ विकेट नहीं ले रहे हैं। उनकी दूसरी जेब में रन भी बड़ी तेजी से जमा हो रहे हैं। जडेजा कानपुर में दो अर्धशतकों के करीब थे। चेतेश्वर पुजारा अपने बनाए 'शेल' यानी खोल से बाहर आते दिखाई दे रहे हैं। रोहित शर्मा दबाव को बेहतर तरीके से झेलते नजर आने लगे हैं। छोटे कद के साहा भी ऐसा लगता है कि वॉर्म-अप कर चुके हैं। विराट उस सोच का मुकाबला करने को तैयार दिख रहे हैं, जो स्वीप को स्पिन के खिलाफ हथियार को तौर पर इस्तेमाल करने की बात करती है। बल्लेबाजी और गेंदबाजी दोनों में रिजर्व खिलाड़ी हैं। किसी भी टीम में अगर ऐसे खिलाड़ी हों, जो एक से ज्यादा क्षेत्रों में दखल रखते हों, उस पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
आज की तारीख में बल्लेबाजी भारत के लिए सबसे कम समस्या दिख रही है। ज्यादातर बल्लेबाज लंबे करियर के लिए बेहतर तरीके से तैयार दिख रहे हैं। तकनीक अच्छी है, दिल मजबूत है। जरूरत होने पर विस्फोटक हो सकते हैं। यकीनन प्रतिभाओं की भरमार है। कोई रफ्तार से भागता नहीं दिखता। सिर्फ घर के आरामदेह माहौल की वजह से मैं ऐसा नहीं कह रहा। हाल के समय में मैंने इन खिलाडि़यों के साथ ड्रेसिंग रूम में वक्त बिताया है। उस दौरान में कई विदेशी दौरों पर उनके साथ रहा हूं।
जिस तरह कनफेक्शनरी की दुकान में जाकर बच्चे का हाल होता है, उसी तरह इन लड़कों में भूख दिखाई देती है। जल्दी ही वो ऐसे युद्ध के ऐसे वेटरन दिखाई देंगे, जिनकी यूनिफॉर्म पर तमाम सम्मान सूचक तमगे लगे होंगे। केएल राहुल से पूछिए। उन्होंने यकीनन ऐसे बच्चे की तरह महसूस किया होगा, जिसे दूर हॉस्टल में भेज दिया गया है, जब पड़ोस के बच्चे पेड़ों पर चढ़ रहे हैं या दूसरी तरह की शरारतें कर रहे हैं।
कोहली और अश्विन इस टीम में सबसे पहले नजर आते हैं। वे विश्व क्रिकेट के सुपर स्टार बन चुके हैं। महानों की फैक्टरी में वे अब फाइनल स्टेज पर हैं, जहां सिर्फ थोड़े टच अप या पॉलिश की जरूरत है, जिसके बाद उन्हें हॉल ऑफ फेम में जगह मिल जाएगी। घर, ऑफिस या देश की तरह खेलों में भी ऐसे लोगों की जरूरत है, जिन्हें नेतृत्व आता हो। ये ऐसे ही हैं। बाकी लोग इन दोनों के इर्दगिर्द जमा होने लगे हैं। जीत के नजरिये से यह टीम भारत की बेहतरीन टीम बन सकती है। हम बेकार ही चिंता कर रहे थे कि सचिन, सहवाग, राहुल, सौरव, लक्ष्मण, कुंबले, जहीर और धौनी के बाद टीम का क्या होगा।
(टीसीएम)