IND vs AUS: यह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी मजबूत नहीं
विराट कोहली अंतिम एकादश को लेकर असमंजस में होंगे लेकिन हनुमा विहारी का इस बार दावा मजबूत दिख रहा है। हा
(सौरव गांगुली का कॉलम)
भारत ने एडिलेड में शानदार प्रदर्शन किया जिसमें चेतेश्वर पुजारा ने आगे आकर अच्छी बल्लेबाजी की। मुश्किल विदेशी हालात में स्ट्राइक रेट की बात करना अर्थहीन है। रन बनाने के अलावा नई गेंद को खेलना और पहला सत्र बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में जब पिच गेंदबाजों को मदद कर रही थी तब पुजारा का योगदान रहा और अब ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट में भी ऐसा ही था जब भारत ने 41 रन पर अपने चार विकेट खो दिए थे और ऐसे में स्ट्राइक रेट का कोई महत्व नहीं होता। पर्थ का स्टेडियम नया है और कहा जा रहा है कि यह विकेट उछाल भरा और तेज होगा।
यदि यह विकेट ऐसा हुआ तो भारत के पास भी ऑस्टेलियाई बल्लेबाजों की तरह उतना ही मौका रहेगा। इसके अलावा भारतीय बल्लेबाज ऑस्ट्रेलिया की तुलना में अनुभवी है। इस भारत के तेज गेंदबाजी आक्रमण को कम नहीं समझना चाहिए। उनके पास 20 विकेट निकालने की क्षमता है और यदि इस पिच पर घास रही तो वह भी अपना जल्द प्रभाव छोड़ सकते हैं। भारत ने इसी तरह के विकेट पर जोहानिसबर्ग में दक्षिण अफ्रीका को हराया था।
पर्थ में अगर विकेट तेज गेंदबाजों को मदद करती है तो भारत अपने चार तेज गेंदबाजों को अंतिम-11 में शामिल करने को लेकर असमंजस में होगा। भारत रवींद्र जडेजा की जगह तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को शामिल करने पर ज्यादा तरजीह देगा। हालांकि सब कुछ टॉस पर निर्भर करेगा जब कप्तान कोहली क्या फैसले लेते हैं, लेकिन जोहानिसबर्ग और एडिलेड के अनुभव को देखा जाए तो पहले बल्लेबाजी की ओर इशारा जाता है। मुङो लगता है कि यहां टॉस जीतने वाली पहली टीम पहले बल्लेबाजी चुन सकती है। यह ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजी इतनी मजबूत नहीं है और चौथी पारी के दबाव को ङोलने में सक्षम नहीं है।
विराट कोहली अंतिम एकादश को लेकर असमंजस में होंगे लेकिन हनुमा विहारी का इस बार दावा मजबूत दिख रहा है। हालांकि रोहित पर्थ टेस्ट से बाहर होने पर दुखी होंगे क्योंकि उन्हें खुद को टेस्ट में भी अच्छा बल्लेबाज साबित करने के लिए एक पूरी टेस्ट सीरीज की जरूरत है। यह टेस्ट मैच इस सीरीज का सबसे महत्वपूर्ण है। पर्थ ऑस्ट्रेलिया को एक मौका देगा। यदि भारत जीत गया तो उन्हें सीरीज जीतने का मौका मिलेगा।