क्रिकेट में अब खत्म होनी चाहिए जुबानी जंग: गावस्कर
पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला गया, लेकिन फिलिप ह्यूज की मौत की घटना के बाद किसी का भी दिल खेल में नहीं था। ह्यूज भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ज्यादा ख्याति नहीं हासिल कर पाए थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उनका कितना सम्मान था, यह उनके शोक में डूबी जनता
(गावस्कर का कॉलम)
पिछले हफ्ते अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेला गया, लेकिन फिलिप ह्यूज की मौत की घटना के बाद किसी का भी दिल खेल में नहीं था। ह्यूज भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत ज्यादा ख्याति नहीं हासिल कर पाए थे, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में उनका कितना सम्मान था, यह उनके शोक में डूबी जनता को देखकर पता लगता है। ऑस्ट्रेलियाई टीम के कप्तान और ह्यूज के परिवार के करीबी दोस्त माइकल क्लार्क तो उन्हें अपना छोटा भाई जैसा मानते थे और उन्हें चुप कराना तो काफी मुश्किल नजर आ रहा था। अंतिम संस्कार के समय उनके द्वारा दी गई श्रद्धांजलि से भी दिल पिघल गए। यही नहीं ह्यूज ने क्रिकेट की भावना को भी जागृत किया, उनके निधन पर पूरा क्रिकेट जगत शोक में डूब गया। अपने खिलाडिय़ों द्वारा जुबानी जंग को रोकने आह्वान कर क्लार्क ने अच्छी परंपरा डालने की कोशिश की है। सच कहूं, तो यह बात सिर्फ ऑस्ट्रेलिया पर नहीं, बल्कि दुनिया की प्रत्येक टीम के हर खिलाड़ी पर लागू होती है। लेकिन इस मामले में ऑस्ट्रेलिया का नंबर पहला आता है और इसे खत्म करने में भी उसका नंबर पहला ही होना चाहिए।
हम इंग्लैंड दौरे पर देख चुके हैं कि बिना एक शब्द कहे जेम्स एंडरसन ने भारत को आखिरी दो टेस्ट मैचों में बर्बाद कर दिया था। ऐसा नहीं है कि परिणाम हासिल करने के लिए विपक्षी टीम के साथ उलझना जरूरी है। क्या रोजर फेडरर, नोवाक जोकोविक, राफेल नडाल, एंडी मरे मैच के दौरान एक-दूसरे पर फब्तियां कसते हैं? क्रिकेट से कहीं ज्यादा पैसा टेनिस में है, लेकिन उनका फोकस सिर्फ अपने गेम पर ही होता है। लंबे समय से क्रिकेट खुद ही अपनी जेंटलमैन की छवि को नुकसान पहुंचाने में लगा हुआ है। अगर ह्यूज की मौत दुनियाभर के क्रिकेटरों को पास लाने का काम करती है, तो निश्चित तौर पर ह्यूज का परिवार काफी संतुष्ट होगा। यह ह्यूज के गेंद और बल्ले के योगदान से कहीं ज्यादा होगा।