द. अफ्रीकी क्रिकेट का चेहरा बदल सकते हैं एबी
हाशिम अमला का दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट टीम की कप्तानी छोडऩे के फैसले से हैरानी नहीं हुई। भारत में बड़ी हार के बाद घरेलू धरती पर पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड के हाथों मिली हार के बाद से उन पर दबाव काफी बढ़ गया था। इसी दबाव के चलते उन्होंने एबी
(गावस्कर का कॉलम)
हाशिम अमला का दक्षिण अफ्रीकी टेस्ट टीम की कप्तानी छोडऩे के फैसले से हैरानी नहीं हुई। भारत में बड़ी हार के बाद घरेलू धरती पर पहले टेस्ट मैच में इंग्लैंड के हाथों मिली हार के बाद से उन पर दबाव काफी बढ़ गया था। इसी दबाव के चलते उन्होंने एबी डिविलियर्स के लिए कप्तानी छोड़ दी। सच्चाई तो यह है जब ग्रीम स्मिथ की जगह अमला को कप्तान बनाया गया था, उस समय हर कोई डिविलियर्स को कप्तान न बनाए जाने से हैरान था क्योंकि पुराने दिग्गज अपनी पसंद के अलावा दूसरे को कप्तान बनते कभी नहीं देखना चाहते।
कप्तानी सिर्फ टॉस जीतने, गेंदबाजी या फील्डर बदलने या बल्लेबाजी क्रम को तय करना नहीं है बल्कि उससे भी कहीं ज्यादा है। कप्तान के तौर पर आपको टीम के अलावा दूसरे लोगों से, स्पांसर्स और मीडिया से भी मिलना-जुलना पड़ता है। एक कप्तान के नाते फॉर्म में न चल रहे खिलाड़ी को हौसला देना होता है और अपनी खुद की फॉर्म खराब होने के बावजूद दूसरों के बारे में सोचना पड़ता है। अमला साफ तौर पर ऐसा नहीं कर पा रहे थे। अब डिविलियर्स पर चीजों को बदलने का दारोमदार है। वह निश्चित तौर पर सीरीज जीतकर टेस्ट रैंकिंग में अपना शीर्ष स्थान बचाए रखना चाहेंगे। उनके पास प्रोटियाज क्रिकेट का चेहरा ठीक उसी तरह बदलने का मौका है, जैसा कि ब्रेंडन मैकुलम ने न्यूजीलैंड क्रिकेट के लिए किया है। कीवी टीम न सिर्फ आक्रामक क्रिकेट खेल रही है बल्कि मैदान में अपने व्यवहार से काफी लोकप्रिय भी हो चुकी है। खासतौर से उन माता-पिता को यह टीम काफी पसंद आ रही है, जिनके बच्चे क्रिकेट में करियर बनाना चाहते हैं।