World Cup डायरी: जानिए वर्ल्ड चैंपियन वेस्टइंडीज के दौर में कैसा था टीम इंडिया का प्रदर्शन
पहला विश्व कप 1975 में इंग्लैंड में आयोजित किया गया था जिसे प्रूडेंशियल कप के नाम से जाना जाता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। पहला विश्व कप 1975 में इंग्लैंड में आयोजित किया गया था जिसे प्रूडेंशियल कप के नाम से जाना जाता है। इस टूर्नामेंट की आठ टीमों में श्रीलंका और पूर्वी अफ्रीका भी शामिल थीं। पूर्वी अफ्रीका में केन्या, तंजानिया, युगांडा और जांबिया के खिलाड़ी शामिल थे। वेस्टइंडीज ने कप्तान क्लाइव लॉयड की अगुआई में विजेता ट्रॉफी उठाई थी।
साल 1975 में भारत का प्रदर्शन
पहले विश्व कप का पहला मैच भारत और इंग्लैंड के बीच लॉर्ड्स के मैदान पर खेला गया। इसकी पहली गेंद मदन लाल ने फेंकी थी। यह क्रिकेट इतिहास का 19वां अंतरराष्ट्रीय वनडे मैच था। 60-60 ओवर के इस मैच में इंग्लैंड ने भारत को 202 रनों के भारी भरकम अंतर से मात दी। इंग्लैंड ने चार विकेट पर 334 रन का स्कोर खड़ा किया जिसके जवाब में भारत पूरे ओवर फेंके जाने तक तीन विकेट खोकर 132 रन ही बना सका। भारत ने ईस्ट अफ्रीका से दूसरा मैच 10 विकेट से जीता। भारत ने इस टूर्नामेंट में तीन मैच खेले। इसमें एक जीता और दो हारे। टीम ग्रुप स्तर से बाहर हो गई।
साल 1975 के वर्ल्ड कप की भारतीय टीम
एस वेंकटराघवन(कप्तान), सुनील गावस्कर, मोहिंदर अमरनाथ, एकनाथ सोलकर, अंशुमन गायकवाड़, गुंडप्पा विश्वनाथ, ब्रजेश पटेल, मदन लाल, सैयद आबिद अली, कर्सन घावरी, फारुख इंजीनियर (विकेटकीपर)।
कालीचरण बनाम लिली
वेस्टइंडीज के कालीचरण द्वारा महानतम तेज गेंदबाज डेनिस लिली की धुनाई को आज भी याद किया जाता है। कालीचरण ने बल्लेबाजों के लिए खौफ कहलाने वाले डेनिस लिली की 10 गेंदों पर शानदार शॉट लगाते हुए कुल 35 रन बटोरे थे।
फाइनल वेस्टइंडीज के नाम
लॉर्ड्स के मैदान पर खेले गए साल 1975 के वर्ल्ड के फाइनल में वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया का आमना-सामना हुआ। इस वर्ल्ड कप के फाइनल को विंडीज के कप्तान क्लाइव लॉयड के शतक (102) के लिए याद किया गया जाता है। इसमें विव रिचर्ड्स ने तीन रन आउट कर मैच बदल दिया था। लक्ष्य का पीछा कर रही ऑस्ट्रेलिया ने एक विकेट के नुकसान पर 81 रन बना लिए थे लेकिन उसी दौरान रिचर्ड्स ने एलन टर्नर और फिर चैपल बंधुओं इआन व ग्रेग को रन आउट कर मैच का नतीजा ही बदल दिया।
वेस्टइंडीज ने फिर से मचाया कोहराम (World Cup 1979)
साल 1979 का वर्ल्ड कप टूर्नामेंट भारत के लिए बेहद निराशाजनक रहा। टीम इंडिया ने लीग राउंड में अपने तीनों मैच गंवाए। उसे श्रीलंका की टीम से भी अप्रत्याशित हार मिली। श्रीलंका को उस समय टेस्ट दर्जा प्राप्त नहीं हुआ था। टूर्नामेंट के फाइनल में वेस्टइंडीज ने इंग्लैंड को हराकर लगातार दूसरी बार खिताब अपने नाम किया। वेस्टइंडीज ने लगातार दूसरी बार यह खिताब क्लायव लॉयड की कप्तानी में जीता। उस साल वर्ल्ड कप में ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, विंडीज, श्रीलंका, न्यूजीलैंड, कनाडा, पाकिस्तान और भारत ने हिस्सा लिया था।
वर्ल्ड कप 1975 में टीम इंडिया का प्रदर्शन
वेस्टइंडीज के खिलाफ पहले मैच में भारतीय टीम 190 रनों पर सिमट गई। माइकल होल्डिंग ने चार विकेट लिए। गुंडप्पा विश्वनाथ को छोड़ कोई भी बल्लेबाज 20 रन तक नहीं पहुंच सका। वेस्टइंडीज ने गॉर्डन ग्रीनिज के नाबाद 106 रनों की बदौलत नौ विकेट से जीत दर्ज की। विश्व कप का अपना पहला मैच खेल रहे कपिल देव ने एकमात्र विकेट झटका। न्यूजीलैंड के खिलाफ दूसरे मैच में भारत 55.5 ओवर में 182 रन ही बना सका। न्यूजीलैंड ने 57 ओवर में दो विकेट खोकर मैच आठ विकेट से जीत लिया। तीसरे मैच में श्रीलंका ने 60 ओवर में पांच विकेट पर 238 रन बनाए। मोहिंदर अमरनाथ ने सबसे ज्यादा तीन विकेट लिए। भारतीय टीम 54.1 ओवर में 191 रन पर ढेर हो गई। वेंगसरकर (36) ही संघर्ष कर पाए।
किंग ने नहीं मानी रिचर्ड्स की बात
इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल में वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाज विव रिचर्ड्स ने नाबाद शतकीय पारी खेली, लेकिन मैच का रुख कोलिंग किंग ने पलटा। पहले बल्लेबाजी करते हुए वेस्टइंडीज ने 99 पर चार विकेट गंवा दिए। विव रिचर्ड्स ने नए बल्लेबाज कोलिंग किंग को आराम से बल्लेबाजी करने की हिदायत दी, लेकिन किंग ने रिचड्र्स को कहा, ‘पूरे टूर्नामेंट में हमने किसी को माफ नहीं किया, तो फिर आज अलग क्यों? मैं यह ट्रॉफी यूं ही नहीं गंवाने दूंगा।’ इसके बाद किंग ने जो पारी खेली उसने मैच का रुख पलट कर रख दिया। किंग ने ताबड़तोड़ 66 गेंदों पर 86 रन बना डाले। बाकी का काम रिचर्ड्स ने किया। रिचर्ड्स ने नाबाद रहते हुए 138 रन बनाए। वेस्टइंडीज ने इस वर्ल्ड कप के फाइनल में इंग्लैंड को 92 रन से मात दी थी।
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