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World Cup 2019: 'जिंग बेल्स' पर मचा बवाल, विराट व फिंच भी हुए दुखी और की शिकायत

ICC world Cup 2019 जिंग बेल्स की वजह से कई खिलाड़ी आउट होने से बच रहे हैं। अब इसकी शिकायत विराट व फिंच ने भी की है।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Mon, 10 Jun 2019 09:48 PM (IST)Updated: Mon, 10 Jun 2019 09:48 PM (IST)
World Cup 2019: 'जिंग बेल्स' पर मचा बवाल, विराट व फिंच भी हुए दुखी और की शिकायत

अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। ये जिंग बेल्स (एलईडी गिल्लियां) कहीं विश्व कप के चैंपियन की सूरत ही ना बदल दें क्योंकि अगर सेमीफाइनल और फाइनल जैसे महत्वपूर्ण मुकाबले में गेंद के लगने के बाद गिल्लियां नहीं गिरीं तो मैच की सूरत ही बदल सकती है। इस विश्व कप में पांच बार ऐसा हो चुका है जब गेंद स्टंप पर लगी और गिल्लियां नहीं गिरीं। चार बार तो तेज गेंदबाजों की गेंद लगने के बाद गिल्लियां नहीं गिरी। यहां तक कि दो-तीन बार तो स्टंप में लगी एलईडी लाइट भी नहीं जली। इससे पहले आइपीएल 2019 के दौरान भी ऐसा हो चुका है। हालांकि 2015 विश्व कप में भी ऐसा हुआ था लेकिन उस समय ऐसी घटनाएं इक्का-दुक्का ही थीं।

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रविवार को ओवल क्रिकेट मैदान में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए मुकाबले में भी ऐसा ही हुआ था। डेविड वार्नर बल्लेबाजी कर रहे थे और जसप्रीत बुमराह की गेंद स्टंप पर लगी लेकिन प्लास्टिक से बनी गिल्लियां नहीं गिरीं। वह तो वार्नर बाद में आउट हो गए नहीं तो वह खेल बदल सकते थे। ऐसे में सारा दोष उन गिल्लियों को जाता। सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका बनाम इंग्लैंड में आदिल राशिद की गेंद पर डि कॉक आउट होने से बचे। दूसरी बार श्रीलंका के करुणारत्ने को न्यूजीलैंड के खिलाफ इसी कारण आउट होने से बच गए। वेस्टइंडीज बनाम ऑस्ट्रेलिया और बांग्लादेश बनाम इंग्लैंड मैच में बल्लेबाजों की किस्मत गिल्लियों की वजह से चमक उठी।

इसको लेकर जब आइसीसी के एक अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि यह होता रहता है। इसमें कोई नई बात नहीं है। इसमें कुछ नहीं किया जा सकता लेकिन जब उनसे कहा गया कि अगर फाइनल मुकाबले के आखिरी ओवर में ऐसा हुआ तो क्या हश्र होगा, उस पर वह चुप हो गए। गिल्लियों के अडि़यल रवैये से गेंदबाजों का काम और भी मुश्किल हो चुका है। कई कमेंटेटर भी जिंग बेल्स को लेकर सवाल उठा चुके हैं और कई दिग्गजों का मानना है कि आइसीसी को इस मामले में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। ऐसे में अगर आने वाले मैचों में भी ऐसा ही चलता रहा तो आईसीसी के रवैये को लेकर भी सवाल उठने शुरू हो जाएंगे क्योंकि हर मामले में गंभीर रहने वाली आइसीसी इस मामले में चुप्पी साधे हुए है। यह वही आइसीसी है जो धौनी के दस्ताने को लेकर तुरंत सक्रिय हो गई थी। आइसीसी का कहना है कि जिंग बेल्स का वजन कोई मुद्दा नहीं है। इनका वजन लकड़ी की गिल्ली के लगभग बराबर ही है। मैच के दौरान अगर तेज हवाएं चलती हैं तब थोड़ी भारी गिल्ली का प्रयोग होता है।

लकड़ी की गिल्ली से जिंग बेल्स

क्रिकेट में परंपरागत रूप से स्टंप और गिल्लियां लकड़ी की होती हैं लेकिन लेकिन अब नए चमकदार विकेटों में प्लास्टिक भी मिलाया जाता है, जिसमें एलईडी लाइट लगी होती हैं। आइसीसी ने जुलाई 2013 में अंतरराष्ट्रीय मैचों में इस तरह के चमकदार विकेटों के प्रयोग की अनुमति दी थी। क्रिकेट में तब तक कोई बोल्ड या रन आउट नहीं होता है जब तक गिल्लियां नहीं गिरें। लकड़ी की गिल्लियां गेंद के छूते ही गिर जाती थीं लेकिन ये नई एलईडी गिल्लियां उससे भारी होती हैं और यही कारण है कि बुमराह जैसे तेज गेंदबाज की गेंद लगने के बाद भी गिल्ली नहीं गिर रही हैं। इनका प्रयोग इसलिए शुरू हुआ था क्योंकि जैसे ही गेंद इसमें टच करती है तो लाल रंग की एलईडी जल जाती है। रन आउट और स्टंपिंग के समय यह काम आती हैं। अगर मामला नजदीकी होता है तो रीप्ले में पता चल जाता है कि पहले गिल्ली गिरी (लाल लाइट के कारण) या खिलाड़ी क्रीज पर पहुंचा।

इस सिस्टम को ऑस्ट्रेलिया के एक पूर्व क्रिकेटर ब्रोंट एकरमैन ने तैयार किया था। उनको इसकी प्रेरणा अपनी बेटी के एक खिलौने से मिली थी। वह खिलौना लगभग एक क्रिकेट गेंद के आकार का था और उसमें एलईडी लाइट लगी हुई थी। इस तकनीक में गिल्ली में्र कम वोल्टेज की बैटरी लगी होती है और हर गिल्ली में माइक्रोप्रॉसेसर लगा होता है। यही माइक्रोप्रॉसेसर पता लगाता है कि विकेट और गिल्ली के बीच संपर्क किस समय टूटा है। इस सिस्टम में गिल्ली में एक सेकेंड के हजारवें हिस्से में रोशनी जल सकती है। एकरमैन के मुताबिक, बारिश हो, झटका लगे या कंपन हो लेकिन गिल्ली में रोशनी तभी चमकेगी, जब इसके दोनों छोरों का संपर्क विकेट से पूरी तरह से टूट जाएगा। संपर्क टूटने के बाद माइक्रोप्रॉसेसर, विकेट को रेडियो सिग्नल भेजता है और फिर विकेट में भी लाइट जलने लगती है।

बहुत महंगा है यह सिस्टम

अब जीत के बाद किसी खिलाड़ी को स्टंप उखाड़कर ले जाते नहीं देखा जाता क्योंकि यह स्टंप बहुत महंगे हैं। आइसीसी के एक अधिकारी के अनुसार एक मैच में पूरा सिस्टम लगाने के लिए करीब 40000 डॉलर (2800000 रुपये) का खर्चा आता है। इसका सबसे पहले प्रयोग ऑस्ट्रेलिया की बिग बैश लीग में हुआ था। अब सभी बड़ी प्रतियोगिताओं में लकड़ी के स्टंप और गिल्ली की जगह यही सिस्टम लगाया जाता है।

इस विश्व कप में कब-कब हुई घटना

1-इंग्लैंड बनाम दक्षिण अफ्रीका

आदिल राशिद की गेंद पर क्विंटन डीकॉक ने रिवर्स स्वीप खेला लेकिन गेंद स्टंप से लगकर चार रन के लिए चली गई। इंग्लैंड के खिलाडि़यों को लगा कि उन्हें विकेट मिल गया है लेकिन गेंद लगने के बाद भी गिल्लियां नहीं गिरीं। हालांकि यह मैच इंग्लैंड ही जीता।

2-न्यूजीलैंड बनाम श्रीलंका

तेज गेंदबाज ट्रेंट बोल्ट ने दिमुथ करुणारत्ने को गेंद फेंकी। गेंद बल्ले से लगने के बाद स्टंप की ओर चली गई लेकिन गिल्ली नहीं गिरी। यह मैच न्यूजीलैंड जीता.

3-ऑस्ट्रेलिया बनाम वेस्टइंडीज

तेज गेंदबाज मिशेल स्टार्क की गेंद क्रिस गेल के करीब से गुजरते हुए विकेटकीपर एलेक्स कैरी के दस्तानों में समाई। कैच की अपील हुई और अंपायर ने आउट करार दिया। गेल ने फौरन रिव्यू लिया। रीप्ले में दिखा कि गेंद बल्ले से दूर रही और ऑफ स्टंप को छूकर विकेटकीपर के पास गई। स्टंप के लगने से आवाज आई। गेल नॉट आउट दिए गए। इतनी तेज गेंद के लगने के बाद स्टंप का ना गिरना चौंकाने वाला रहा। यह मैच ऑस्ट्रेलिया जीता।

4-इंग्लैंड बनाम बांग्लादेश

तेज गेंदबाज बेन स्टोक्स की गेंद मुहम्मद सैफुद्दीन के बल्ले से लगकर स्टंप पर जा लगी लेकिन फिर गिल्ली नहीं गिरी। यह मैच इंग्लैंड जीता।

5-भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया

तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह की पहली ही गेंद वॉर्नर के बल्ले का किनारा लेते हुए लेग स्टंप पर जा लगी। चूंकि गिल्ली नहीं गिरी तो वॉर्नर आउट नहीं हुए। यह मैच भारत जीता।

भारतीय कप्तान विराट ने कहा कि इसकी उम्मीद आप अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में नहीं करते हैं। अगर तकनीक की बात है तो यह शानदार है लेकिन तेज गेंदबाजों की गेंद से गिल्ली नहीं गिर रही है। ये कोई मध्यम गति के गेंदबाज नहीं हैं। धौनी ने स्टंप चेक किया और कहा कि यह स्टंप ज्यादा नीचे भी नहीं गड़ा है। हमें नहीं समझ में आया कि स्टंप के साथ क्या गलत है। ऐसे में तो स्टंप को तोड़ना ही पड़ेगा।

वहीं ऑस्ट्रेलिया के कप्तान आरोन फिंच ने कहा कि मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। रविवार को भले ही यह चीज हमारे पक्ष में गई लेकिन यह सही नहीं है। बुमराह की गेंद काफी तेजी से विकेट पर लगी थी लेकिन यह लगातार हो रहा है जो दुखद है। आप ऐसी स्थिति को विश्व कप के सेमीफाइनल और फाइनल में नहीं देखना चाहेंगे। आप एक क्षेत्ररक्षक और गेंदबाज के तौर पर बहुत मेहनत करते हो और ऐसा होता है तो आपकी मेहनत पर पानी फिर जाता है।

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