World Cup 2019: जानिए नेविल क्रिकेट मैदान के बारे में जहां कपिल ने खेली थी वो 175 रन की पारी
1993 विश्व कप में नेविल क्रिकेट मैदान पर कपिल ने जो 175 रन की पारी खेली थी उसे शायद ही कभी भूला जा सकता है।
अभिषेक त्रिपाठी, लंदन। आज अगर भारत में क्रिकेट इतने ऊंचे पायदान पर है तो उसकी एकमात्र वजह कपिल देव की कप्तानी में टीम इंडिया का लॉर्ड्स के मैदान में 1983 विश्व कप ट्रॉफी उठाना है, लेकिन भारत को यह ट्रॉफी सिर्फ इसलिए मिली, क्योंकि तत्कालीन कप्तान कपिल देव ने नेविल क्रिकेट मैदान में 18 जून 1983 को खेले गए लीग मैच में जिंबाब्वे के खिलाफ 175 रनों की पारी खेलकर हमें जीत दिलाई थी। उस मैच में भारत ने नौ रन पर चार विकेट गंवा दिए थे और इसके बाद कपिल बल्लेबाजी करने उतरे। 17 रन के कुल योग पर यशपाल शर्मा के रूप में भारत का पांचवां विकेट गिरा, लेकिन कपिल डटे रहे और उनकी 138 गेंदों की नाबाद पारी की वजह से भारत 60 ओवर में आठ विकेट पर 266 रन बनाने में सफल रहा। कपिल ने इस पारी के दौरान 16 चौके व छह छक्के लगाए और इसी के साथ नेविल क्रिकेट मैदान क्रिकेट जगत में अमर हो गया। भारत ने यह मैच 31 रन से जीता और यहीं से टीम इंडिया की क्रिकेट की महाशक्ति बनने की शुरुआत हो गई।
टीम इंडिया अगर यह मैच हार जाती तो विश्व कप के अगले दौर में पहुंचना मुश्किल हो जाता, लेकिन कपिल ने नेविल क्रिकेट मैदान में उस समय की वनडे की सबसे बड़ी पारी खेलकर खुद का और इस मैदान का नाम इतिहास के पन्नों में दर्ज करा दिया। हालांकि, विश्व कप के प्रसारक बीबीसी की हड़ताल होने के कारण इस मैच की रिकॉर्डिग नहीं हो पाई। लगभग 4000 लोगों के अलावा कपिल की पारी को कोई नहीं देख पाया।
ऐसा है नेविल क्रिकेट मैदान : उस मैच की रिकॉर्डिग नहीं होने के कारण आप कपिल की उस पारी को चाहकर भी नहीं देख सकते हैं। विराट सेना उसी इंग्लैंड में इस समय विश्व कप खेल रही है। जब हम साउथैंप्टन में टीम इंडिया की दक्षिण अफ्रीका पर जीत के बाद गुरुवार को लंदन पहुंचे तो मेरे दिमाग में सिर्फ एक बात कौंध रही थी कि जिस वजह से आज हम लोग यहां हैं, उस पारी को तो नहीं देख सकते, लेकिन उस मैदान, उस जगह को देखना चाहिए और उसके बाद मैंने उस नेविल मैदान में जाने का फैसला किया। टीम इंडिया को रविवार को अगला मुकाबला ओवल मैदान में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलना है और शुक्रवार को उसे अभ्यास करना था, लेकिन बारिश के कारण अभ्यास रद हो गया। इसके बाद मैं नेविल मैदान के लिए निकल गया। लंदन के ओवल ट्यूब (मेट्रो) स्टेशन से ट्यूब पकड़कर चारिंग क्रॉस रेलवे स्टेशन पहुंचा। यहां से ट्रेन लेकर टनब्रिज वेल्स स्टेशन उतरा। वहां से टैक्सी लेकर काउंटी टीम वेल्स के मैदान नेविल पहुंचा।
छोटे से मैदान पर पड़ा कीर्तिमान : छोटे से कस्बे में बने इस मैदान के गेट पर ना ही कोई सुरक्षाकर्मी था और ना ही दफ्तर में कोई कर्मचारी। मैदान की बाउंड्री 60 से 65 मीटर की होगी। 10 कदम चलते ही मैदान दिखाई दिया और उसे देखते ही मन को आत्मिक सुकून भी मिला। आज भी वह मैदान वैसा ही है। बारिश के कारण पिच ढकी हुई थी और नीले और बैंगनी रंग के रॉडोडेनड्रॉन फूल दूर से आकर्षित कर रहे थे। यह फूल इसी क्रिकेट मैदान में पाए जाते हैं। मैदान चारों तरफ से बड़े-बड़े पेड़ों और रॉडोडेनड्रॉन फूलों से घिरा हुआ है। यहां बैठने के लिए दो स्टैंड हैं, जिसमें एक में वही पुराने जमाने का ड्रेसिंग रूम और एक छोटा सा पब है। ब्लूमेंटल स्टैंड में 412 सीट हैं, जबकि उसके बगल में बने छोटे से पवेलियन के नीचे 124 लोगों के बैठने की जगह है। मैच के समय मैदान के आसपास अस्थायी सीटें लगाई जाती हैं जिससे यहां करीब 6000 लोग मैच देख सकते हैं।
मैंने देखा था वह मैच : स्टेडियम के पास में ही रहने वाले स्टीव निकर ने कहा कि मैंने वह मैच देखा था। करीब 4000 दर्शक उस मैच में मौजूद थे। यह इस मैदान का पहला और आखिरी वनडे अंतरराष्ट्रीय मैच था। बादल होने के कारण गेंद स्विंग हो रही थी और यही कारण था कि गावस्कर समेत भारत के चार बल्लेबाज पवेलियन में जल्दी पहुंच गए। सबको लग रहा था कि यह मैच जिंबाब्वे जीत जाएगा, लेकिन कपिल ने वह कर दिखाया जो किसी को उम्मीद नहीं थी। उस दिन बहुत हवा चल रही थी और कपिल हवा के खिलाफ ऑफ साइड में चौके-छक्के लगा रहे थे। अगर उस पारी की तुलना किसी से की जाए तो सिर्फ इयान बॉथम की 1981 की पारी याद आती है, जब उन्होंने फॉलोऑन के बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शतक लगाया था।
मेरे घर की छत पर गया था कपिल का छक्का : नेविल क्रिकेट मैदान से सटी हुई सड़क है और उसके दूसरी तरफ जेफ्री रिचर्ड्स का घर है। जब मैं बारिश में भीगते हुए उस मैदान का मुजाहिरा कर रहा था तभी रिचर्ड्स अपने कुत्ते के साथ टहलते हुए मैदान में आ गए। क्रिकेट के शौकीन रिचर्ड्स ने बताया कि 1983 विश्व कप के समय मैं यहां नहीं था। मैं यहां बाद में रहने आया, लेकिन पड़ोसियों ने बताया कि कपिल ने एक ऐसा छक्का लगाया कि गेंद उस मकान में जाकर गिरी जिसमें मैं अब रहता हूं। वाकई में वह 100 मीटर से लंबा छक्का होगा।
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