World Cup 2019: इस विश्व कप में बल्लेबाजों को परेशान करने के लिए गेंदबाज करेंगे जमकर प्रयोग
World Cup 2019 गेंदबाजों को खुद को बचाने के लिए पिछले कुछ सालों में अपनी गेंदबाजी में नए प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
नई दिल्ली। पिछले कुछ सालों में दुनिया भर में मैदान की सीमा रेखा को छोटा किया जा रहा है और बल्लेबाजों के लिए मुफीद पाटा पिचें दी जा रही हैं। मैच में दर्शकों का मनोरंजन कराने के लिए ऐसा किया जा रहा है। ऐसे में गेंदबाजों को खुद को बचाने के लिए पिछले कुछ सालों में अपनी गेंदबाजी में नए प्रयोग करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जहां एक तरफ मनोरंजन के लिए गेंदबाजों की कब्र खोदी जा रही है तो ये गेंदबाज अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं। 30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने वाले आइसीसी विश्व कप में भी आपको यह प्रयोग देखने को मिलेंगे।
हाल ही में इंग्लैंड में खत्म हुई इंग्लैंड-पाकिस्तान वनडे सीरीज के अधिकतर मैचों में स्कोर 300 के पार गए और गेंदबाज विकेट तो छोडि़ए रनों को रोकने की कोशिश में लगे रहे। अब विश्व कप में भी यहीं उम्मीद की जा रही है और एक पारी में 500 रनों के लिए वहां स्कोर बोर्ड तैयार किया गया है। इसी को देखते हुए गेंदबाजों ने चाइनामैन, स्लोअर, नक्कल गेंद, गुगली, कैरम बॉल, स्लाइडर, फिंगर सीमअप गेंद का उपयोग शुरू कर दिया है। कलाई के स्पिनर युजवेंद्रा सिंह चहल के कोच रणधीर सिंह ने कहा कि इन हालातों को देखते हुए युजवेंद्रा भी अपनी गेंदबाजी में कई नई चीजें जोड़ रहा है और यह प्रयोग विश्व कप में उनकी गेंदबाजी में देखने को मिल सकते हैं। विश्व के कई मैदानों में 300 से ऊपर के स्कोर बन चुके हैं। हाल ही में तेज गेंदबाजों द्वारा आउट स्विंगर, इनस्विंगर, बाउंसर, यॉर्कर, ऑफ कर्टर, लेग कटर और स्लोअर बाउंसर गेंदें देखने को मिल रही हैं। वहीं, स्पिन गेंदबाज ऑफ ब्रेक, लेग ब्रेक, आर्म बॉल और गुगली गेंदे डाल रहे हैं।
पूर्व इंग्लिश क्रिकेटर माइकल होल्डिंग और जेफ थॉमसन ने कहा था कि उनके जमाने में बाउंसर पहले बल्लेबाजों को डराने के लिए होती थी लेकिन अब माहौल बदल गया है। इन पर बड़े शॉट भी देखने को मिल रहे हैं। अब तेज गेंदबाज स्लो बाउंसर का ज्यादा प्रयोग कर रहे हैं। अगर तेज गेंदबाज वाइड यॉर्कर धौनी, हार्दिक पांड्या और आंद्रे रसेल जैसे विस्फोटक बल्लेबाजों को डालेंगे तो उनके लिए छक्का लगाना मुश्किल होगा। अगर यॉर्कर स्टंप के पास डालते हैं तो गेंद उनके रडार पर होगी और वह हेलिकॉप्टर शॉट के जरिये गेंद को मैदान से बाहर पहुंचा सकते हैं। अब तो पांड्या भी हेलीकॉप्टर शॉट लगाने लगे हैं। वहीं, पूर्व भारतीय दिग्गज बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने भी वनडे में बल्लेबाजों की बढ़ती भूमिका पर निराशा जताई थी। उन्होंने कहा था कि दो नई गेंदों के आने और सपाट पिचों की वजह से गेंदबाजों की हालत खराब हो गई है। एक टीम 350 रन बना रही है और दूसरी 45 ओवर में उसे हासिल कर रही है। इस पर विचार किया जाना चाहिए। दो नई गेंद लेनी है तो गेंदबाजों की मददगार पिचें बनाई जाएं या एक नई गेंद की पुरानी व्यवस्था ही लागू रहे, जिसमें रिवर्स स्विंग तो मिलती रहेगी। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और कोलकाता नाइटराइडर्स के सहायक कोच रहे विजय दहिया भी सचिन की बात से सहमत हुए। उन्होंने कहा, 'जब सब कुछ बल्लेबाजों को दे दिया जाएगा तो गेंदबाज खुद को कैसे बचाएगा। वह तरह-तरह की गेंद लाकर खुद को बचा रहे हैं। कलाई से स्विंग कराने वाले गेंदबाज स्विंग करा लेंगे लेकिन गेंदबाजी में विविधता लाना उनके लिए अच्छा है।'
भारतीय पेस तिकड़ी ने किया गेंदबाजी में बदलाव : नए-नए प्रयोग करने में भारतीय तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार, मुहम्मद शमी और जसप्रीत बुमराह भी पीछे नहीं हैं। भुवनेश्वर नक्कल गेंद का अच्छा इस्तेमाल करते हैं तो वहीं, बुमराह की यॉर्कर का कोई जवाब नहीं है जबकि शमी ने आइपीएल में स्लोअर बॉल का इस्तेमाल किया था। बुमराह की बात करें, तो उनका गेंदबाजी एक्शन सभी से जुदा है और इसके चलते उनकी गेंद ज्यादा स्किड होती है और यॉर्कर भी ज्यादा खतरनाक दिखती है। वहीं, शमी के पास पेस के साथ रिवर्स स्विंग कराने की क्षमता है। शमी अपनी स्विंग के बल पर टीम को जरूरत पड़ने पर कभी भी विकेट दिला सकते हैं। शमी 2015 विश्व कप का भी हिस्सा थे और उन्होंने तब वहां (ऑस्ट्रेलिया में) 17 विकेट अपने नाम किए थे। अब उन्होंने अपनी फिटनेस पर भी काम किया है। वहीं, भुवनेश्वर के पास दोनों और स्विंग कराने की क्षमता है और साथ ही अंतिम ओवरों में चतुराई भरी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को भ्रमित कर देते हैं। 2013 में इंग्लैंड में ही भारत ने चैंपियंस ट्रॉफी का खिताब जीता था और तब भुवी ने पांच मैचों में छह विकेट अपने नाम किए थे। इसके अलावा तेज गेंदबाज ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या और विजय शंकर भी अपनी मीडियम पेस से इन तीनों गेंदबाजों का भार कुछ कम करेंगे। पिछले कुछ समय में तेज और स्पिन गेंदबाजों ने अपनी गेंदबाजी में कुछ ऐसे प्रयोग किए हैं।
नक्कल गेंद : इस गेंद का प्रयोग सबसे पहले पूर्व भारतीय तेज गेंदबाज जहीर खान ने किया था। अब भुवनेश्वर कुमार भी इसका इस्तेमाल करते हैं। नक्कल गेंद वह होती है जिसमें आप सीम पर रखने वाली पहली दो अंगुलियों को सीम के पीछे मोड़कर रखते हैं। इसका नतीजा यह रहता है कि गेंद सामान्य गति से धीमी हो जाती है और बल्लेबाज चौंक जाते हैं। यह स्लोअर से अलग होती है क्योंकि एक्शन वही होने के कारण बल्लेबाज को गति का अंदाजा नहीं लगता।
स्लोअर गेंद : इस तरह की गेंद का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया के ग्लेन मैकग्रा करते थे। अब इसका ज्यादातर प्रयोग इंग्लिश गेंदबाज टॉम कुर्रन करते हैं। स्लोअर बॉल में गेंदबाज गेंद को शुरू की दो अंगुलियों में फंसा लेता है और इसके बाद वह उसे फेंकता है और ऐसे में गेंद की समान्य गति कम हो जाती है। कई गेंदबाज गेंद छोड़ने से पहले अपने हाथ के मूवमेंट को धीमा करते हैं। आइपीएल में भारतीय गेंदबाज मुहम्मद शमी ने भी इसका प्रयोग किया था।
कैरम गेंद : भारत के रविचंद्रन अश्विन के बाद अब अफगानिस्तान के मुजीब उर रहमान इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इस गेंद का प्रयोग ऑफ स्पिनर करते हैं। इसमें दूसरी अंगुली का अहम योगदान होता है। गेंद के पीछे इस अंगुली को फंसाया जाता है और गेंद डालते वक्त आगे की ओर दबाव डाला जाता है। ठीक उसी तरह जैसे कैरम बोर्ड में निशाना लगाने के लिए स्ट्राइकर को अंगुली से धकेला जाता है। यह ऑफ स्पिन की जगह लेग स्पिन हो जाती है जिससे बल्लेबाज असहज हो जाता है।
फिंगर सीम अप गेंद : स्पिनर गेंद को स्पिन कराने के लिए सीम का सहारा लेते हैं। वह गेंद को सीम पर पकड़ बनाकर अपने अनुसार घुमाते हैं। लेकिन फिंगर सीम अप में ऐसा नहीं होता है। इसमें स्पिनर गेंद को किसी और हिस्से से पकड़कर फेंकता है। स्पिनर अक्सर नई गेंद से इसका प्रयोग करते हैं जिससे बल्लेबाजों को दिक्कत होती है।
द स्लाइडर : कलाई के स्पिनर गेंद फेंकते वक्त अपनी कलाई का इस्तेमाल करते हैं। अनिल कुंबले की फ्लिपर टिप्पा खाने के बाद सीधे तेजी से आगे की ओर स्टंप में घुसती थी। अब ऑस्ट्रेलिया के एडम जांपा स्लाइडर फेंक रहे हैं। इसमें गेंद टिप्पा खाने के बाद विकेट की तरफ जाती है लेकिन उसका घुमाव पीछे की तरफ होता है। इससे गेंद ज्यादा उछाल नहीं लेती।
स्लोअर बाउंसर : स्लोअर बाउंसर में गेंद की गति कम हो जाती है और बल्लेबाज के विकेट गंवाने के मौके बन जाते हैं। ज्यादातर तेज गेंदबाज सीमित प्रारूपों के अंतिम ओवर में इसका इस्तेमाल करते हैं। ऑस्ट्रेलिया के पैट कमिंस इसका अच्छे से इस्तेमाल करते हैं।
राउंड आर्म गेंद : इसका इस्तेमाल केदार जाधव करते हैं और यह उनकी खास गेंद है। तेज गेंदबाज लसिथ मलिंगा जिस तरह गेंद को फेंकते हैं लगभग उसी तरह जाधव भी इस गेंद को डालते हैं। जाधव स्पिनर हैं इसलिए उनके द्वारा डाली गेंद की गति कम हो जाती है और बल्लेबाज के लिए गेंद पर छक्का लगाना मुश्किल हो जाता है।
स्लो यॉर्कर : लसिथ मलिंगा और ड्वेन ब्रावो दो ऐसे गेंदबाज हैं जो इस गेंद का शानदार इस्तेमाल करते हैं। यह नियमित तौर पर फेंके जानी वाली यॉर्कर से अलग होती है और इसमें गेंद की गति कम हो जाती है और बल्लेबाजों को लंबा शॉट खेलने में मुश्किल हो जाती है। हाल ही में भारत की तरफ से जसप्रीत बुमराह ने इसका अच्छे से इस्तेमाल किया है।
नाम : जसप्रीत बुमराह
उम्र : 25 साल (छह दिसंबर 1993)
जन्मस्थान : अहमदाबाद (गुजरात)
भूमिका : दायें हाथ के तेज गेंदबाज
वनडे करियर
मैच, विकेट, सर्वश्रेष्ठ, औसत, इकॉनमी, स्ट्राइक रेट, पांच विकेट
49, 85, 5/27, 22.15, 4.51, 29.40, 1
इंग्लैंड में (वनडे)
5, 4, 2/28, 52.50, 5.00, 63.00, 0
साल 2019 में (वनडे)
5, 7, 3/63, 34.85, 4.99, 41.80, 0
आइपीएल-12 में (टी-20)
16, 19, 3/20, 21.52, 6.63, 19.40, 0
नाम : मुहम्मद शमी
उम्र : 28 साल (तीन सिंतबर 1990)
जन्मस्थान : अमरोहा (उत्तर प्रदेश)
भूमिका : दायें हाथ के तेज गेंदबाज
वनडे करियर
मैच, विकेट, सर्वश्रेष्ठ, औसत, इकॉनमी, स्ट्राइक रेट, पांच विकेट
63, 113, 4/35, 26.11, 5.48, 28.5, 0
इंग्लैंड में (वनडे)
4, 8, 3/28, 19.00, 4.67, 24.3, 0
विश्व कप में (2015)
7, 17, 4/35, 17.29, 4.81, 21.50, 0
आइसीसी टूर्नामेंट में (वनडे)
7, 17, 4/35, 17.29, 4.81, 21.50, 0
साल 2019 में (वनडे)
11, 19, 3/19, 26.42, 5.13, 30.80, 0
आइपीएल-12 में (टी-20)
14, 19, 3/21, 24.68, 8.68, 17.00, 0
नाम : भुवनेश्वर कुमार
उम्र : 29 साल (पांच फरवरी 1990)
जन्मस्थान : मेरठ (उत्तर प्रदेश)
भूमिका : दायें हाथ के तेज गेंदबाज
वनडे करियर
मैच, विकेट, सर्वश्रेष्ठ, औसत, इकॉनमी, स्ट्राइक रेट, पांच विकेट
105, 118, 5/42, 35.66, 5.01, 42.70, 1
इंग्लैंड में (वनडे)
15, 18, 2/14, 28.72, 4.47, 38.50, 0
विश्व कप में (2015)
1, 1, 1/19, 19.00, 3.80, 30.00, 0
आइसीसी टूर्नामेंट में (वनडे)
11, 14, 2/19, 25.21, 4.28, 35.35, 0
साल 2019 में (वनडे)
10, 19, 4/45, 22.36, 5.23, 25.60, 0
आइपीएल-12 में (टी-20)
15, 13, 2/24, 35.46, 7.81, 27.20, 0
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