21 साल पहले खेला गया ये टेस्ट मैच ड्रॉ रहा फिर भी था खास, जानिए क्या थी बात
आज हम आपको एक ऐसे टेस्ट मैच के बारे में बताएंगे जहां एक या दो नहीं बल्कि तीन भाइयों की जोड़ी एक ही टीम के लिए मैदान पर उतरी थी
नई दिल्ली, जेएनएन। दुनियाभर में क्रिकेट का खेल सबसे लोकप्रिय खेलों में से एक है। जितना फेम क्रिकेट का यह खेल है उतना ही फेमस क्रिकेट के खेल में भाइयों की जोड़ी रही है। चाहे वो ऑस्ट्रेलिया के मॉर्क वॉ स्टीव वॉ की जोड़ी रही हो, या फिर इरफान पठान और युसुफ पठान की जोड़ी रही हो। जब क्रिकेट के मैदान में दो भाई एक साथ बल्लेबाजी, गेंदबाजी या फिर क्षेत्ररक्षण करते नजर आते हैं तो दर्शकों की तालियां उनका अभिवादन करने से नहीं चूकतीं। आज हम आपको एक ऐसे टेस्ट मैच के बारे में बताएंगे जहां एक या दो नहीं बल्कि तीन भाइयों की जोड़ी एक ही टीम के लिए मैदान पर उतरी थी और ये कहानी हम आज के दिन इसलिए आपसे साझा कर रहे हैं क्योंकि आज यानि कि 10 जून को उन 6 भाइयों में से एक भाई ब्रॉयन स्ट्रैंग का आज जन्मदिन है।
एलिस्टर कैंपबेल की कप्तानी में खेला गया ये टेस्ट मैच
ब्रॉयन स्ट्रैंग और पॉल स्टैंग जिम्बाब्वे की क्रिकेट टीम का प्रतिनिधित्व करते थे। दोनों भाइयों ने कई मैच एक साथ खेले लेकिन जो सबसे ज्यादा चर्चित रहा वो मैच साल 1997 में हरारे में खेला गया। ईएसपीएन क्रिकइन्फो के डेटा के मुताबिक, 21 साल पहले न्यूजीलैंड टीम जिंबाब्वे दौरे पर आई थी। दो मैचों की सीरीज का पहला टेस्ट हरारे में आयोजित किया गया। जिंबाब्वे के कप्तान एलिस्टर कैंपबेल ने इस टेस्ट मैच में ऐसी टीम उतारी जो इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गई। स्ट्रैंग ब्रदर्स सहित इस प्लेइंग इलेवन में 6 खिलाड़ी भाई-भाई थे।
फ्लॉवर बंधु भी हैं इस टेस्ट का हिस्सा रहे
इस मैच में जो 6 भाई खेले थे उनके नाम हैं, ब्रॉयन स्ट्रैंग-पॉल स्ट्रैंग, एंडी फ्लॉवर-ग्रांट फ्लॉवर और गेविन रेनी-जॉन रेनी। क्रिकेट इतिहास में इससे पहले कभी 3 भाइयों की जोड़ी को एक साथ टीम में नहीं खिलाया गया था। यह नजारा अपने आप में खास था। खैर मैच हुआ और जिंबाब्वे ने टॉस जीतकर पहले बैटिंग की। फर्स्ट इनिंग्स में जिंबाब्वे ने 298 रन बनाए जिसके जवाब में कीवी टीम की पहली पारी 207 रन पर सिमट गई। इसके बाद दूसरी पारी में जिंबाब्वे ने 311 रन बनाए, मगर न्यूजीलैंड आखिरी दिन तक सिर्फ 304 रन बना पाई थी। वहीं जिंबाब्वे के गेंदबाज भी सिर्फ 8 विकेट चटकाए पाए थे, ऐसे में यह मैच ड्रा घोषित कर दिया गया।
90 के दशक की मजबूत टीम थी जिम्बाब्वे
90 के दशक में जिम्बाब्वे की टीम काफी मजबूत थी, लेकिन मौजूदा दौर में जिंबाब्वे क्रिकेट बेहद खराब समय से गुजर रहा है। अब इस टीम में अब कोई बड़ा खिलाड़ी नहीं बचा। सारे सीनियर प्लेयर्स रिटायर हो चुके हैं और नए खिलाड़ियों में उतना दम नहीं। टीम की खस्ता हाल का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि वर्ल्ड कप 2019 के क्वॉलीफॉयर राउंड से ही जिंबाब्वे का पत्ता साफ हो गया।