विराट कोहली की बल्लेबाजी पर उम्र का असर या फॉर्म गायब? न्यूजीलैंड दौरे पर हुए हैं फ्लॉप
भारतीय कप्तान विराट कोहली के लिए हाल ही खत्म हुआ न्यूजीलैंड दौरा काफी खराब गुजरा है। वहां वे 11 पारियों में एक भी शतक नहीं लगा पाए हैं।
नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। चार टी-20, तीन वनडे, दो टेस्ट और एक भी शतक नहीं..इसके बाद तो भारतीय कप्तान विराट कोहली की बल्लेबाजी पर सवाल उठना लाजमी है, क्योंकि 2014 में इंग्लैंड दौरे के बाद यह उनका सबसे खराब प्रदर्शन है। कोहली न्यूजीलैंड दौरे पर 11 पारियों में मात्र 218 रन ही बना पाए। उम्र के बढ़ने के साथ बल्लेबाजों के लिए हाथ-आंख संयोजन बैठाना मुश्किल हो जाता है। कोहली अब 30 पार कर चुके हैं और पूर्व कप्तान कपिल देव ने कोहली के हाथ-आंख संयोजन में कमी बताकर मुद्दा खड़ा कर दिया, लेकिन अपने करियर में खुद इस परेशानी से जूझने वाले वीरेंद्र सहवाग को ऐसा नहीं लगता है।
पूर्व भारतीय बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग का मानना है कि कोहली के साथ इस समय सिर्फ फॉर्म की समस्या है जबकि आंख-हाथ के संयोजन का कोई मुद्दा नहीं है। सहवाग ने कहा कि जब आप फॉर्म में नहीं होते हो तो कुछ भी आपके लिए काम नहीं करता। ऐसा नहीं है कि विराट प्रयास नहीं कर रहे, लेकिन किस्मत उनके साथ नहीं है। आपका आंख-हाथ का संयोजन समय के साथ-साथ कम होता है लेकिन एक रात में नहीं। मैं आश्वस्त हूं कि यह फॉर्म का मुद्दा है। वह अच्छी गेंदों पर आउट हुए हैं।
सहवाग ने कहा कि न्यूजीलैंड में गेंद काफी सीम करती है और अगर आप रन नहीं कर रहे हैं तो चुनौती ज्यादा बढ़ जाती है। जाहिर सी बात है, आप फ्रंटफुट पर खेल, गेंद को छोड़ते हुए तालमेल बैठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि मेरे लिए अहम है कि आपको पता हो कि गेंद कब छोड़नी है और आप यह तब कर सकते हैं जब आप आत्मविश्वास से भरे हों। दबाव के कारण भी विराट आउट हुए। इससे पहले पूर्व भारतीय कप्तान कपिल देव ने कहा था कि कोहली को अधिक अभ्यास की जरूरत है। उनकी सजगताऔर हाथ-आंख का संयोजन धीमा हुआ है।
कपिल ने कहा कि जब आप उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचते हो, जब आप 30 पार करते हैं तो इससे आपकी आंखों की रोशनी प्रभावित होती है। जब गेंद स्विंग होती है तो कोहली सजगता के साथ चौका जड़ते हैं,लेकिन अब वह ऐसा करने के चक्कर में दो बार आउट हो चुके हैं। मुझे लगता है कि उन्हें अपनी आंख सही करने की जरूरत है। जब बड़े खिलाड़ी इन स्विंग पर बोल्ड या एलबीडब्ल्यू होने लगते हैं तो उन्हें अधिक अभ्यास की जरूरत होती है। यह दिखाता है कि आपकी सजगता और हाथ-आंख के संयोजन में कमी आई है। 18 से 24 वर्ष की उम्र में आपकी आंख अच्छी होती हैं, लेकिन इसके बाद यह उस पर निर्भर करता है कि आप कैसे इस पर काम करते हो।
कई बल्लेबाज रह चुके हैं परेशान
उम्र के इस पड़ाव में अब से पहले भी कई भारतीय बल्लेबाज सजगता और हाथ-आंख संयोजन से प्रभावित दिखे हैं। इसमें सबसे पहला नाम तो वर्तमान बीसीसीआइ अध्यक्ष और पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली का आता है, जिन्हें बाद में चश्मा पहनकर बल्लेबाजी भी करते देखा गया लेकिन एक बार आंख ने बल्ले का साथ छोड़ा तो वह उससे उबर नहीं पाए। करियर के आखिरी समय वीरेंद्र सहवाग के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। वह करियर के आखिरी कुछ मैचों में हाथ-आंख संयोजन की वजह से लगातार आउट होते रहे। वह कुछ मैचों में चश्मा लगाकर भी खेले। सही मायनों में सहवाग के करियर खत्म होने का सबसे बड़ा कारण भी यही बना।
क्या होता है हाथ-आंख का संयोजन
बल्लेबाजी में हाथ-आंख का संयोजन और सजगता बेहद ही जरूरी होती है। इसका मतलब है कि क्या आप गेंद को ठीक से देख पा रहे हैं? अगर नहीं तो ठीक समय पर आपका बल्ला गेंद पर नहीं आ पाता है। ऐसे में आप या तो जल्दी बल्ला चला देते हैं या फिर देरी से। इसके अलावा अगर आपकी सजगता धीमी हुई तो आप सही समय पर गेंद पर बल्ला नहीं ला पाते हैं। ऐसे में अधिक तेजी से आ रही गेंद आपको परेशानी में डालना शुरू कर देती है। ऐसे में गेंद पहले निकल जाती है और बल्ला बाद में आता है।