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इस स्टेडियम में जब से बना मंदिर तब से भारतीय टीम को किसी मैच में नहीं मिली हार

वर्ष 2011 में मंदिर बनने के बाद भारतीय टीम को इस मैदान पर हार नहीं मिली।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Fri, 12 Oct 2018 07:32 PM (IST)Updated: Sat, 13 Oct 2018 09:44 AM (IST)
इस स्टेडियम में जब से बना मंदिर तब से भारतीय टीम को किसी मैच में नहीं मिली हार
इस स्टेडियम में जब से बना मंदिर तब से भारतीय टीम को किसी मैच में नहीं मिली हार

हैदराबाद, प्रेट्र। जीवन के किसी भी क्षेत्र में जब किसी तरह की परेशानी आती है तो सब कुछ सही करने के लिए भगवान की शरण में जाना आम बात है और खेल भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन, एक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम के अंदर मंदिर होना, थोड़ा अजीब लगता है। उप्पल के राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में घुसते ही आपको ऐसा मंदिर दिखेगा। इस स्टेडियम में अभी भारत और वेस्टइंडीज के बीच दूसरा टेस्ट मैच चल रहा है। आम दिनों में भले ही किसी का ध्यान इस तरफ नहीं जाए लेकिन मैच के दिनों में अक्सर ही यह मंदिर अपनी ओर ध्यान आकर्षित करता है।

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इस मंदिर के पीछे की कहानी के बारे पूछे जाने पर पुजारी हनुमंत शर्मा ने कहा कि इस मंदिर का निर्माण 2011 में किया गया, क्योंकि भारतीय टीम और आइपीएल की तत्कालीन स्थानीय फ्रेंचाइजी डेक्कन चार्जर्स इस मैदान पर मैच नहीं जीत रहे थे। उन्होंने कहा कि यह घरेलू टीमों के लिए अशुभ मैदान साबित हो रहा था। तब पाया गया यहां वास्तुदोष है। भगवान गणेश वास्तुशास्त्र के देवता हैं। आप 2011 के बाद का रिकॉर्ड देख लो, तब से भारतीय टीम यहां कभी नहीं हारी।

आंकड़ों के अनुसार भारत ने इस मैदान पर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 2005 में खेला था। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ इस वनडे मैच में भारत पांच विकेट से हार गया था। इसके बाद भारतीय टीम 2007 और 2009 में ऑस्ट्रेलिया से भी पराजित हो गई थी। भारत ने 14 अक्टूबर 2011 को यहां इंग्लैंड को हराया और श्रीलंका को भी छह विकेट से पराजित किया।

इसी तरह से 2010 में न्यूजीलैंड के खिलाफ इस मैदान पर खेला गया पहला टेस्ट मैच ड्रॉ रहा था। इसके बाद भारत ने यहां पर जो तीन टेस्ट मैच खेले उनमें बड़े अंतर से जीत दर्ज की। वर्तमान टेस्ट में वेस्टइंडीज की शुरुआत देखकर लगता है कि यह क्रम आगे भी जारी रहेगा।

हनुमंत से पूछा गया कि क्या भारत का कोई दिग्गज खिलाड़ी यहां पूजा करने के लिए आता है, तो उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह धौनी अभ्यास सत्र के बाद यहां आकर भगवान गणेश का आशीर्वाद लेते हैं। जो अन्य नाम मेरे ध्यान में आ रहा है वह कर्ण शर्मा का है।

हनुमंत बेशक एक पेशेवर पुजारी हैं, लेकिन वह तेलुगू फिल्मों के जूनियर आर्टिस्ट भी हैं। उन्होंने कहा, 'मैं तेलुगू फिल्मों में छोटी भूमिकाएं भी करता हूं। अदाकारी मेरा जुनून है। मैं सात फिल्मों में छोटी भूमिकाएं कर चुका हूं और मैं महर्षि नाम की फिल्म में सुपरस्टार महेश बाबू के साथ भी काम कर रहा हूं।'

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