तो अब दो-चार नहीं, आठ कोच के बेड़े के साथ खेलेगी टीम इंडिया?
टीम इंडिया दो-चार नहीं, आठ कोच के साथ आगे बढ़ सकती है।
नई दिल्ली, भारत सिंह। टीम इंडिया में मुख्य कोच का पद क्रिकेट के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो चुकी है। रवि शास्त्री को भले ही क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) की सिफारिश पर मुख्य कोच चुन लिया गया है, लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम की कोचिंग का मामला अभी शांत नहीं पड़ा है।
सीएसी ने रवि शास्त्री के साथ ही जहीर खान को गेंदबाजी सलाहकार और राहुल द्रविड़ को बल्लबाजी सलाहकार नियुक्त किया है। आपको बता दें कि पहले जहीर खान को गेंदबाजी कोच के तौर पर रखे जाने की खबर आई थी और अब उन्हें बीसीसीआइ ने टीम इंडिया का गेंदबाजी सलाहकार बताया है।
टीम इंडिया के पास पहले से बल्लेबाजी कोच के तौर पर संजय बांगड़ हैं। ऐसे में राहुल द्रविड़ को विदेशी दौरों के लिए सलाहकार बताया जा रहा है। यही रोल जहीर खान को भी दिया जा सकता है, क्योंकि रवि शास्त्री भरत अरुण को मुख्य गेंदबाजी कोच बनाना चाहते हैं।
बीसीसीआइ ने अपने ताजा स्टैंड में कहा है कि सपोर्ट स्टाफ की नियुक्ति कोच रवि शास्त्री, कप्तान विराट कोहली और टीम के सदस्यों की सलाह से की जाएगी। बीसीसीआइ के इस बयान के पीछे का एक मतलब और निकलता है। आपको बता दें कि टीम इंडिया को आने वाले 12 से 18 महीनों में कई मुश्किल विदेशी दौरे करने हैं। ऐसे में टीम इंडिया आठ कोच के विचार पर आगे बढ़ सकता है। आइए जानते हैं क्या है यह आठ कोच का फंडा-
कोच नंबर 1- रवि शास्त्री
काफी जद्दोजहद के बाद रवि शास्त्री को टीम का कोच बनने का मौका मिल गया है। कमोबेश इसी टीम ने उनके डायरेक्टर रहने के दौरान सफलता के झंडे गाड़े थे। शास्त्री की कप्तान कोहली के साथ ही मौजूदा टीम के सभी खिलाड़ियों के साथ अच्छी बनती है। खबर मिली है कि उन्हें टीम के सभी 15 सदस्यों का समर्थन मिला था। इसके अलावा वह संकट के समय बीसीसीआइ के लिए तारणहार मैनेजर बनकर सामने आए हैं।
को नंबर 2- राहुल द्रविड़
राहुल द्रविड़ वैसे तो इंडिया 'ए' और अंडर 19 टीम के कोच हैं, लेकिन इसके साथ ही उन्हें विदेशी दौरों के लिए टीम इंडिया का बल्लेबाजी सलाहकार नियुक्ति किया गया है। ऐसा विदेशी पिचों पर उनकी सफलताओं को देखते हुए किया गया है। टीम इंडिया ने पिछला सफल सीजन घर में ही खेला था। अब उसके सामने इस सफलता को विदेशी जमीन पर दोहराने की चुनौती है। इसे देखते हुए द्रविड़ की जिम्मेदारी काफी अहम हो जाती है।
कोच नंबर 3- संजय बांगड़
पूर्व ऑलराउंडर संजय बांगड़ इस समय टीम इंडिया के बल्लेबाजी कोच हैं। उनकी मुखथ्य कोच रवि शास्त्री से भी अच्छी बनती है। पूर्व मुख्य कोच अनिल कुंबले का कप्तान विराट कोहली के साथ विवाद हो जाने के बाद कुंबले ने वेस्टइंडीज दौरे पर जाने की बजाए अपना इस्तीफा सौंप दिया था। तब वेस्टइंडीज दौरे पर बांगड़ ने मुख्य कोच की गैर मौजूदगी में इस जिम्मेदारी को संभाला था।
कोच नंबर 4- जेसन गिलेस्पी
भारत को इंग्लैंड के साथ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज खेलनी है और इस मौके पर भारतीय खेमा अपने साथ पूर्व ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाज जेसन गिलेस्पी को जोड़ सकता है। बताया जाता है कि गिलेस्पी का नाम रवि शास्त्री ने सीएसी की मीटिंग में भी लिया था, लेकिन फिलहाल उनका पापुआ न्यू गिनी के साथ करार है। हांलांकि, गिलेस्पी के इंग्लिश काउंटी यॉर्कशर में शानदार रिकॉर्ड की वजह से बीसीसीआइ इंग्लैंड दौरे पर उनकी सेवाएं ले सकता है।
कोच नंबर 5- फैनी डी विलियर्स
इसी तरह टीम इंडिया दक्षिण अफ्रीका के दौरे पर पूर्व दक्षिण अफ्रीकी तेज गेंदबाज फैनी डी विलियर्स को अपने साथ जोड़ सकती है। फैनी ने दक्षिण अफ्रीका के लिए 18 टेस्ट में 85न विकेट लिए थे। उन्होंने 83 वनडे में 95 विकेट चटकाए थे।
कोच नंबर 6- जहीर खान
इसी तरह भारतीय दौरों पर जहीर खान को टीम इंडिया अपने साथ सलाहकार के तौर पर जोड़ सकती है। खबर है कि गेंदबाजी सलाहकार जहीर खान साल में 100 से ज्यादा दिनों के लिए टीम के साथ नहीं रह सकते, इसलिए उनकी सेवाएं घरेलू दौरों पर ली जा सकती हैं।
कोच नंबर 7- जोंटी रोड्स
पूर्व दक्षिण अफ्रीकी क्रिकेटर जोंटी ने विश्व क्रिकेट में फील्डिंग के मायने ही बदल दिए हैं। उन्हें अब तक का सर्वश्रेष्ठ फील्डर माना जाता है। भारतीय टीम की खराब फील्डिंग हाल ही में खत्म हुए वेस्टइंडीज दौरे पर भी देखी गई थी। ऐसे में जोंटी या उन जैसे किसी और खिलाड़ी को टीम इंडिया कुछ समय के लिए अपने साथ जोड़ सकती है। हो सकता है कि वह श्रीलंका दौरे तक टीम के सथ जुड़ भी जाएं।
कोच नंबर 8- रामाकृष्णन श्रीधर
श्रीधर इस समय टीम के फील्डिंग कोच हैं और मुख्य कोच रवि शास्त्री से उनकी अच्छी बनती है। श्रीधर टीम के साथ लंबे समय से हैं और इस दौरान उनकी खिलाड़ियों से अच्छी बनने लगी है। उन्हें मुख्य फील्डिंग कोच रखकर जोंटी या उन जैसे फील्डिंग विशेषज्ञों को कुछ समय के लिए टीम के साथ जोड़कर खिलाड़ियों को खास टिप्स या ट्रेनिंग दी जा सकती है।
फायदे का सौदा
ऐसा करना बीसीसीआइ के लिए फायदे का सौदा हो सकता है, क्योंकि इन सभी की फीस काफी ज्यादा है। इस वजह से इन्हें लगातार दो साल तक टीम के साथ जोड़े रखना काफी महंगा साबित हो सकता है। ऐसे में 40-45 दिनों के विदेशी दौरे पर इनकी सेवाएं लेना टीम प्रबंधन और बीसीसीआइ के लिए प्रदर्शन और पैसे के लिहाज से फायदे का सौदा रहेगा। हालांकि, टीम के खिलाड़ियों का इतने कोच के साथ सामंजस्य बिठाना अपने आप में एक चुनौती होगी।