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सेना देशों में स्पिनर रहे हैं बेअसर, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का रहा है जलवा

सेना देशों में जैसे साउथ अफ्रीका इंग्लैंड न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया में स्पिनरों का बोलबाला बहुत कम देखने को मिला है जिसके आंकड़े भी यही कहानी बयां करते हैं।

By Vikash GaurEdited By: Published: Tue, 09 Jun 2020 08:18 AM (IST)Updated: Tue, 09 Jun 2020 08:18 AM (IST)
सेना देशों में स्पिनर रहे हैं बेअसर, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का रहा है जलवा
सेना देशों में स्पिनर रहे हैं बेअसर, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों का रहा है जलवा

नई दिल्ली, जागरण न्यूज नेटवर्क। लार पर प्रतिबंध लगाने के बाद कई पूर्व और मौजूदा तेज गेंदबाजों ने इसे गेंदबाजों के लिए नाइंसाफी बताया था। इसके बाद पूर्व भारतीय कप्तान और आइसीसी क्रिकेट समिति के प्रमुख अनिल कुंबले टेस्ट क्रिकेट को रोमांचक बनाए रखने के लिए स्पिनरों को बढ़ावा देने के पक्षधर दिखे। उन्होंने कहा कि ऐसी परिस्थतियों में टेस्ट खेलने वाली दोनों टीम अधिक स्पिनरों को टीम में खिला सकती हैं।

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हालांकि, आंकड़ों पर गौर दें तो पिछले दस वर्षों में सेना देशों (दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया) में स्पिनरों का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा है। ऐसे में किसी भी कप्तान के लिए ऐसी परिस्थितियों में धीमी गति के दो गेंदबाजों को रखना परेशानी का सबब बन सकता है। एक जनवरी 2010 से लेकर 31 दिसंबर 2019 तक के आंकड़े बताते हैं कि इन देशों में तेज गेंदबाजों का ही जलवा रहता है।

पिछले दस सालों में स्पिनरों ने क्रिकेट खेलने वाली सभी देशों में कुल मिलाकर प्रति टेस्ट 12.03 विकेट लिए, लेकिन जहां तक ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, दक्षिण अफ्रीका और न्यूजीलैंड की बात है तो इन देशों में यह आंकड़ा प्रति टेस्ट 6.4 रह जाता है। दूसरी ओर तेज गेंदबाजों ने ओवरऑल जहां प्रति टेस्ट 19.20 विकेट लिए, वहीं सेना देशों में उन्हें प्रत्येक टेस्ट में औसतन 24.87 विकेट मिले।

सन 2000 से 2009 के बीच स्पिनरों ने कुल मिलाकर प्रति टेस्ट 9.79 विकेट लिए थे और सेना देशों में उनका आंकड़ा 6.8 था। इन चार देशों में स्पिनरों के प्रदर्शन में गिरावट आई है। यही नहीं, 2010 से 2019 के बीच स्पिनरों ने इन चार देशों में केवल 40 बार पारी में पांच या इससे अधिक विकेट और पांच बार मैच में दस या इससे अधिक विकेट लिए। इससे पहले के 2000 से 2009 के बीच में हालांकि स्पिनरों ने इन देशों में 69 बार पांच या अधिक विकेट तथा 13 बार दस या अधिक विकेट हासिल किए थे।

इन देशों में स्पिनरों का सबसे अच्छा प्रदर्शन सन 1970 से 1979 के बीच रहा, जब उन्होंने प्रति टेस्ट 8.23 विकेट लिए थे लेकिन 1980-89 में यह आंकड़ा 6.02 और 1990-99 के बीच आंकड़ा 6.5 रह गया था। अगर इन चार देशों में स्पिनरों के प्रदर्शन पर गौर करें तो उपमहाद्वीप के केवल दो स्पिनर इन देशों में विकेटों का शतक लगा पाए हैं। इनमें से कुंबले ने 35 टेस्ट मैचों में 141 विकेट और दिग्गज मुथैया मुरलीधरन ने 23 मैचों में 125 विकेट लिए।

इनके बाद बिशन सिंह बेदी (90 विकेट), मुश्ताक अहमद (84), ईरापल्ली प्रसन्ना (78), दानिश कानेरिया (75) और भगवत चंद्रशेखर (71) का नंबर आता है। इन देशों में सर्वाधिक विकेट लेने वाले स्पिनरों में ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज लेग स्पिनर शेन वॉर्न नंबर एक पर हैं, जिन्होंने अपने 708 टेस्ट विकेट में से 558 विकेट इन चार देशों में लिए हैं। उनके बाद नाथन लियोन (274 विकेट) हैं।


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