जब सचिन तेंदुलकर ने शुरू किया 'शतकों का महाशतक' बनाने का सिलसिला, हो गए 30 साल पूरे
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने आज ही के दिन अपने करियर का पहला शतक इंग्लैंड के खिलाफ इंग्लैंड की ही सरजमीं पर जड़ा था।
नई दिल्ली, एजेंसी। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का भगवान कहा जाता है। अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से 7 साल पहले संन्यास ले चुके सचिन तेंदुलकर के नाम आज भी क्रिकेट की दुनिया के तमाम बड़े रिकॉर्ड दर्ज हैं। सबसे ज्यादा रन बनाने की बात हो या फिर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सबसे ज्यादा शतक लगाने का रिकॉर्ड हो, सचिन अभी भी सभी से आगे हैं और अगले कुछ सालों तक उनके ये रिकॉर्ड बरकरार रहने वाले हैं।
भारतीय टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के नाम अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शतकों का शतक लगाने का वर्ल्ड रिकॉर्ड दर्ज है, लेकिन, क्या आप जानते हैं कि उन्होंने शतकों का सिलसिला आज ही के दिन 30 साल पहले किया था। जी हां, इस ऐतिहासिक सफर की शुरुआत 30 साल पहले हुई थी, जब उन्होंने करियर का पहला शतक इंग्लैंड के खिलाफ मैनचेस्टर में बनाया था और भारतीय टीम के लिए टेस्ट मैच बचाया था।
तेंदुलकर ने बताया कि मैनचेस्टर के ओल्ड ट्रैफर्ड में लगाए गए उस पहले शतक की नींव पाकिस्तान के सियालकोट में पड़ गई थी। हालांकि, इससे एक साल पहले ही वे इंटरनेशनल क्रिकेट में डेब्यू कर चुके थे, लेकिन शतक का सूखा इंग्लैंड की सरजमीं पर जाकर समाप्त हुआ था। इंग्लैंड के खिलाफ साल 1990 में अगस्त के महीने में सीरीज का दूसरा मैच खेला गया था, जो 9 अगस्त से शुरू हुआ था।
तेंदुलकर ने अपने 100 शतकों में से पहला शतक 14 अगस्त 1990 को लगाया था, जब वह पांचवें दिन 119 रन बनाकर नाबाद रहे और भारत को हार से बचाया। हालांकि, मैच में भारत को जीत नहीं मिली थी, लेकिन मुकाबला ड्रॉ रहा था। उन्होंने अपने पहले शतक की 30वीं सालगिरह पर कहा, "मैंने 14 अगस्त को शतक बनाया था और अगला दिन स्वतंत्रता दिवस था, तो वह खास था। अखबारों में हेडलाइन अलग थीं और उस शतक ने सीरीज को जीवंत बनाए रखा।" उन्होंने 189 गेंदों का सामना करते हुए 17 चौकों की मदद से 119 रन की पारी खेली थी। सचिन तेंदुलकर के करियर की ये पहली तीन अंकों वाली पारी थी।
समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, यह पूछने पर कि वह कैसा महसूस कर रहे थे, उन्होंने कहा, "टेस्ट बचाने की कला मेरे लिए नई थी। उन्होंने हालांकि कहा कि वकार युनूस का बाउंसर लगने के बाद नाक से खून बहने के बावजूद बल्लेबाजी करते रहने पर उन्हें पता चल गया था कि वह मैच बचा सकते हैं।" उन्होंने कहा, "सियालकोट में मैंने चोट लगने के बावजूद 57 रन बनाए थे और हमने वह मैच बचाया, जबकि चार विकेट 38 रन पर गिर गए थे। वकार के बाउंसर और दर्द में खेलते रहने से मैं मजबूत हो गया।"
सर्वकालिक महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की उम्र उस समय महज 17 साल थी। इतनी कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट में इंग्लैंड की सरजमीं पर शतक लगाने वाले वे दुनिया के पहले बल्लेबाज बने थे। सचिन तेंदुलकर ने उस मैच में नंबर 6 पर बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाकर और भारत के लिए मैच बचाकर ये साबित कर दिया था कि वे अपने करियर में कुछ बड़ा करने के लिए पैदा हुए हैं। ऐसा ही हुआ और वे आज दुनिया के सबसे महान बल्लेबाज हैं।