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रिषभ पंत की लड़ाई खुद से, उन्हें सीखनी होगी दबाव में संभलने की कारीगरी

रिषभ पंत इस समय ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जिसमें वह खुद पर भी शक करने लगे हैं।

By Sanjay SavernEdited By: Published: Thu, 26 Sep 2019 09:16 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 08:41 AM (IST)
रिषभ पंत की लड़ाई खुद से, उन्हें सीखनी होगी दबाव में संभलने की कारीगरी

नई दिल्ली, जेएनएन। भारतीय टीम के युवा विकेटकीपर बल्लेबाज रिषभ पंत (Rishabh Pant) को पूर्व भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी (MS Dhohi) के उत्तराधिकारीके तौर पर चयनकर्ता स्थापित करने में जुटे हैं। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ भारत को पुणे में 10 अक्टूबर से पहला टेस्ट मैच खेलना है। इस समय युवराज सिंह, गौतम गंभीर, रवि शास्त्री सहित सभी क्रिकेट दिग्गज उनकी ही बात कर रहे हैं। कई मौकों पर पंत ने खुद को साबित भी किया।

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हालांकि विश्व कप से पहले ऑस्ट्रेलियाई सीरीज से ही पंत के लिए हालात बिगड़ते चले गए। कौशल के नाम पर पंत को लगातार मौके दिए जा रहे हैं। बात कौशल की ही है तो यह तो केरल के विकेटकीपर बल्लेबाज संजू सैमसन और बिहार के युवा बल्लेबाज इशान किशन भी कम नहीं है। ऐसे कई मौके रहे हैं जब पंत दबाव में बिखरे हैं। सच्चाई यह है कि पंत को अगर सफल होना होगा तो उनकी लड़ाई किसी और से नहीं खुद से है, क्योंकि पंत को दबाव में संभलने की कारीगरी सीखनी होगी। जैसा कि धौनी और युवराज सिंह जैसे दिग्गज खिलाड़ी अपने समय में करते आए हैं।

दबाव में बिखरते हैं पंत

ऐसा नहीं है कि पंत सिर्फ बल्लेबाजी में ही दबाव नहीं संभाल पाए हैं। विश्व कप से पहले ऑस्ट्रेलियाई टीम भारत के दौरे पर थी। पहले तीन वनडे खेलने के बाद धौनी दो आखिरी वनडे में नहीं खेले। मोहाली में 13 मार्च को हुए वनडे में मैदान पर मौजूद दर्शक धौनी-धौनी चिल्ला रहे थे। विकेटकीपिंग में पंत से अचानक कुछ गलतियां होने लगी। तब दर्शकों ने इसका फायदा उठाते हुए पंत की हूटिंग शुरू कर दी। पंत इतना दबाव में आ गए कि उन्होंने कई स्टंपिंग छोड़ीं। यह साफ बताता है कि इस युवा बल्लेबाज को दबाव संभालना नहीं आता है।

दबाव हटा रिषभ ने की अच्छी बल्लेबाजी 

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के बाद आइपीएल चल रहा था। सभी खिलाडि़यों को विश्व कप टीम चुने जाने का इंतजार था। इसमें दिल्ली कैपिटल्स के खिलाड़ी पंत को भी चुने जाने की उम्मीदें थीं। इस बीच पंत लगातार आइपीएल में विफल हो रहे थे। टीम का चयन हुआ, पंत को मौका नहीं मिला। इसके बाद पंत ने नॉकआउट मुकाबले में सनराइजर्स हैदराबाद को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। तब उन्होंने बेहद दबाव भरे मैच में 21 गेंद में 49 रन की पारी खेली थी। जाहिर सी बात है इस पारी में उन पर टीम में चयन होगा या नहीं जैसा कोई दबाव नहीं था। ऐसे में मैच की स्थिति का पंत ने अच्छे से फायदा पहुंचाया।

विश्व कप में फिर बिखरे रिषभ पंत

चोटिल शिखर धवन की जगह पंत को विश्व कप के बीच में टीम में शामिल किया गया। पंत सेमीफाइनल में दबाव नहीं संभाल सके और शायद अपनी जिंदगी के सबसे बड़े मैच में भारतीय टीम को जीत दिलाने का मौका गंवा बैठे। न्यूजीलैंड के खिलाफ शुरुआती तीन विकेट गंवाने के बाद पंत और हार्दिक को संयम बरतने की जरूरत थी। कुछ समय तक पंत खुद को संभाल सके, लेकिन जब पारी को आगे बढ़ाने की जरूरत थी। वह एक गेंद को सीमा पार पहुंचाने की जल्दबाजी में पवेलियन लौट गए।

खुद पर भी करने लगे हैं शक

पंत इस समय ऐसी स्थिति में पहुंच गए हैं जिसमें वह खुद पर भी शक करने लगे हैं। पंत में पहली गेंद से ही आक्रामक शॉट खेलने का कौशल है, लेकिन ऐसे बल्लेबाज जब लगातार मैच में ऐसा करने में विफल होकर अपना विकेट गंवाने लग जाते हैं तो आलोचना शुरू हो जाती है। ऐसा ही समय एक बार वीरेंद्र सहवाग के करियर में भी आया। जब शुरुआत से ही ऑफ ड्राइव खेलने के चक्कर में वह विकेट के पीछे पकड़े जाने लगे। रिफ्लेक्शन कम होने पर सहवाग को चश्मा लगाकर भी खेलते देखा गया, लेकिन उन्हें सफलता मिली अपने खेल को बदलने से। पंत को भी खुद पर फोकस करना होगा।

बड़ी जिम्मेदारी बन रही है वजह

दरअसल, पंत पर दबाव बढ़ने की सबसे बड़ी वजह नंबर-चार का स्थान भी है। इस स्थान पर युवराज सिंह और सुरेश रैना जैसे दिग्गज बल्लेबाज खेलते आए हैं। शुरुआती विकेट गिरने पर इस स्थान के खिलाड़ी पर दबाव बढ़ता है। ऐसा देखने में भी आया है जब शुरुआती विकेट गिरने पर पंत आए और गलत शॉट खेलकर आउट होकर चले गए। पंत को इस परेशानी से बाहर निकालने के लिए जरूरी है कि पंत के निडर कौशल का डेथ ओवरों में इस्तेमाल किया जाए।

बिना दबाव के बनाए टेस्ट शतक

भले ही इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में पंत ने टेस्ट शतक लगाए, लेकिन इंग्लैंड में खेली गई उनकी 114 रनों की पारी भी सवालों के घेरे में रही। जब टीम को ओवल में पांचवां टेस्ट बचाना था और जिम्मेदारी केएल राहुल और पंत पर थी। राशिद की अद्भुत गेंद पर राहुल के आउट होने के बाद पंत के पास हीरो बनने का मौका था लेकिन वह शतक लगाने के बाद छक्का मारने के चक्कर में आउट हुए और टीम यह मैच हार गई थी। जहां तक उनके सिडनी टेस्ट में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ लगाए गए शतक की बात है जिस समय पंत क्रीज पर आए थे मयंक अग्रवाल और चेतेश्वर पुजारा नींव खड़ी कर चुके थे और इससे पंत को खुलकर अपना खेल खेलने का मौका मिला। पंत को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में सफल होने के लिए धौनी-युवराज जैसी कारीगरी सीखनी होगी।

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