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क्रिकेट खेलते हुए जो न कर सके राहुल द्रविड़ संन्यास लेने के बाद कर दिखाया वो बड़ा कमाल

अपने 16 साल के टेस्ट करियर में 164 टेस्ट में 13288 रन बनाने वाले द्रविड़ ने वनडे क्रिकेट में 344 मैच खेलकर 10889 रन बनाए।

By Pradeep SehgalEdited By: Published: Sun, 04 Feb 2018 11:52 AM (IST)Updated: Sun, 04 Feb 2018 04:52 PM (IST)
क्रिकेट खेलते हुए जो न कर सके राहुल द्रविड़ संन्यास लेने के बाद कर दिखाया वो बड़ा कमाल

नई दिल्ली, अभिषेक त्रिपाठी। जब अनुराग ठाकुर बीसीसीआइ अध्यक्ष थे तो उन्होंने भारतीय अंडर-19 टीम के कोच राहुल द्रविड़ को टीम इंडिया का कोच बनने का न्यौता दिया था लेकिन तब मिस्टर कूल ने यह कहकर इन्कार कर दिया था कि अभी जूनियर टीम के साथ जुड़े हुए कुछ समय ही हुआ है और मैं पहले इस जिम्मेदारी को पूरा करना चाहता हूं। द्रविड़ के कोच रहते हुए भारतीय टीम 2016 में अंडर-19 विश्व कप के फाइनल में पहुंची और उसके दो साल बाद उसने चौथी बार खिताब जीता। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआइ) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि द्रविड़ टीम इंडिया के भविष्य के कोच हैं। 2019 विश्व कप के बाद वह इस रेस में सबसे आगे होंगे। बस देखना ये है कि वे इस जिम्मेदारी को स्वीकारते हैं या नहीं।

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टीम इंडिया के कप्तान विराट कोहली की पूर्व कोच अनिल कुंबले से एक साल भी नहीं पटी जबकि उनके वर्तमान कोच रवि शास्त्री से अच्छे संबंध हैं। द्रविड़ की शैली इन दोनों से ही भिन्न है। द्रविड़ न कुंबले की तरह बेहद सख्त हैं और न ही शास्त्री की तरह छूट देने वाले। यही कारण है कि उनकी जितनी इज्जत क्रिकेटर के तौर पर थी उससे ज्यादा कोच के तौर पर है। बीसीसीआइ के अधिकतर लोग उनका बेहद सम्मान करते हैं और चाहते हैं कि 2019 विश्व कप में शास्त्री का कोच पद का कार्यकाल खत्म होने के बाद द्रविड़ ये जिम्मेदारी संभालें। द्रविड़ वर्ष 2015 से भारत ‘ए’ और अंडर-19 टीम को कोचिंग दे रहे हैं। वह दुनिया के एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जो 150 टेस्ट खेलने के बाद भी जूनियर टीम के साथ हैं और अपने खिलाड़ियों से शानदार प्रदर्शन करवा रहे हैं।

शिष्यों ने दी गुरु दक्षिणा

द्रविड़ अब तक किसी विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा नहीं रहे थे लेकिन अंडर-19 टीम के युवाओं ने अपने गुरु की यह कमी भी पूरी कर दी। द्रविड़ हमेशा से ही सितारों की फौज पैदा करने की जगह टीम वर्क में भरोसा रखते हैं। यही कारण है कि उनकी टीम में ऐसी खिलाड़ी दिखाई देते हैं जो जमीन से जुड़े रहकर अच्छा प्रदर्शन करते हों। कोच को ज्यादा तड़क-भड़क पसंद नहीं है। द्रविड़ ने आइपीएल नीलामी से पहले अपनी युवा ब्रिगेड का ध्यान भटकने नहीं दिया। उन्होंने कहा कि आइपीएल नीलामी हर साल होगी लेकिन देश के लिए विश्व कप खेलने का मौका बार-बार नहीं मिलेगा। इसके बाद जो हुआ, वह अब इतिहास है।

द्रविड़ कभी नहीं रहे विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा

अपने 16 साल के टेस्ट करियर में 164 टेस्ट में 13288 रन बनाने वाले द्रविड़ ने वनडे क्रिकेट में 344 मैच खेलकर 10889 रन बनाए। वह किसी भी स्तर पर विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा नहीं रहे। 1999 विश्व कप उनका पहला विश्व कप था। इसमें बतौर रिजर्व विकेटकीपर उन्होंने पदार्पण किया लेकिन भारत का प्रदर्शन टूर्नामेंट में बेहद खराब रहा। चार साल बाद दक्षिण अफ्रीका में गांगुली की कप्तानी में भारतीय टीम खिताब के बिल्कुल करीब पहुंची लेकिन फाइनल में यह सपना टूट गया जब ऑस्ट्रेलिया ने उसे हराकर खिताब जीता। द्रविड़ की कप्तानी में 2007 में भारत ने वेस्टइंडीज में विश्व कप खेला जो किसी बुरे सपने से कम नहीं था। भारतीय टीम शुरुआती दौर से ही हारकर बाहर हो गई। 2011 में जब भारत ने अपनी मेजबानी में विश्व कप जीता तो द्रविड़ उस टीम का हिस्सा नहीं थे।

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